फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। ऐतिहासिक धरोहरों की भूमि उदयपुर में जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर नमन करने के बाद ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान के तहत जल संचय-जन भागीदारी कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर राजस्थान सरकार के वरिष्ठ मंत्रीगण, विभिन्न जनप्रतिनिधि और समाजसेवी भी उपस्थित रहे।
जल संचय अभियान को जनता का सहयोग
कार्यक्रम में प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि इस पहल के तहत भूजल पुनर्भरण के लिए रिचार्ज वैल बनाए जा रहे हैं, जिससे वर्षा जल को संरक्षित कर जल स्तर को सुधारा जाएगा। सचिव महावीर चपलोत ने बताया कि इस योजना में समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

इतिहास और पर्यावरण संरक्षण का संगम
कार्यक्रम में इतिहासविद, जल विशेषज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर जल विशेषज्ञ डॉ. अनिल मेहता और वरिष्ठ इतिहासविद डॉ. देव कोठारी ने जल संरक्षण की ऐतिहासिक और वैज्ञानिक महत्ता पर प्रकाश डाला।
समाज का संकल्प, सरकार का समर्थन
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस अभियान को ‘जन-जन का आंदोलन’ बताते हुए कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश में जल संरक्षण केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी बननी चाहिए। केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने इसे जल संकट से जूझ रहे प्रदेशों के लिए आदर्श मॉडल बताया।

आगे का रोडमैप
रिचार्ज वैल निर्माण से भूजल स्तर को बढ़ाने पर फोकस।
जनभागीदारी से जल संचयन के लिए जागरूकता कार्यक्रम।
उदयपुर को जल संरक्षण मॉडल के रूप में विकसित करने की योजना।
इस कार्यक्रम के जरिए महाराणा प्रताप की कर्मभूमि पर जल संरक्षण का संकल्प लिया गया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनेगा। कर्मभूमि से मातृभूमि तक इस जल संरक्षण यात्रा में हर नागरिक की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।

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