
उदयपुर। उदयपुर के ऐतिहासिक जग मंदिर पैलेस में हाल ही में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सांस्कृतिक संवाद हुआ। उड़ीसा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी और मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के युवा चेहरे डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के बीच हुई इस मुलाकात को महज एक शिष्टाचार भेंट कहना गलत होगा। यह एक दूरगामी राजनीतिक मंथन था, जिसमें सिर्फ परंपराओं की नहीं, बल्कि भविष्य की सियासी संभावनाओं की भी झलक दिखी।
राजनीतिक समझ और रणनीतिक मेल
डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ यूं तो राजघराने की विरासत संभालते हैं और सामाजिक कार्यों के रिकॉर्ड गिनीज बुक में दर्ज करवाए हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक समझ किसी अनुभवी नेता से कम नहीं। उड़ीसा के मुख्यमंत्री से उनकी यह मुलाकात कई राजनीतिक मायनों से भरपूर रही। एक ओर, यह बातचीत मेवाड़-उड़ीसा के ऐतिहासिक रिश्तों को फिर से मजबूत करने की कवायद थी, तो दूसरी ओर, यह भाजपा के भीतर एक मजबूत क्षेत्रीय समीकरण तैयार करने का संकेत भी दे रही थी।
उड़ीसा से जुड़ाव—परिवार और भविष्य की राजनीति
डॉ. लक्ष्यराज सिंह की पत्नी निवृत्ति कुमारी का उड़ीसा से गहरा नाता है। उनके पिता कनकवर्धन सिंह देव न केवल पटना-बलांगीर रियासत के पूर्व महाराजा हैं, बल्कि वर्तमान में उड़ीसा सरकार में उपमुख्यमंत्री भी हैं। वहीं, उनकी माता संगीता कुमारी सिंह देव बलांगीर लोकसभा से लगातार पांच बार सांसद रह चुकी हैं। ऐसे में यह मुलाकात पारिवारिक सौहार्द्र से कहीं अधिक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी मानी जा सकती है।
भविष्य की संभावनाएं—क्या लक्ष्यराज सिंह सियासी पारी खेलेंगे?
डॉ. लक्ष्यराज सिंह अब तक सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उनका राजनीतिक झुकाव भी किसी से छिपा नहीं है। भाजपा के बड़े नेताओं से उनकी करीबी और उनके परिवार का राजनीतिक कद यह इशारा कर रहा है कि वे भविष्य में खुद भी राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
इस मुलाकात ने साफ कर दिया कि लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ न सिर्फ इतिहास से जुड़े हैं, बल्कि वर्तमान की राजनीति को भी बखूबी समझते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे कब इस राजनीतिक सफर में खुलकर उतरते हैं!
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