
उदयपुर | राजस्थान की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक वरिष्ठ अध्यापक द्वितीय श्रेणी प्रतियोगी परीक्षा 2022 का पेपर लीक होना राज्य की परीक्षा प्रणाली पर एक करारा तमाचा था। इस घोटाले में शामिल आठ प्रमुख अभियुक्तों की जमानत याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने खारिज कर दी है।
यह फैसला अभ्यर्थियों के भविष्य और परीक्षा प्रणाली की शुचिता को ध्यान में रखते हुए लिया गया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह संगठित अपराध का मामला है, जिसमें बड़े स्तर पर षड्यंत्र रचा गया था।
पेपर लीक का षड्यंत्र : होटल से बस तक फैला था नेटवर्क
यह कहानी शुरू होती है पुखराज विश्नोई से, जो जालौर में कनिष्ठ लिपिक के पद पर था। उसने उदयपुर के सुखेर इलाके में हिमांशी होटल में लेपटॉप और प्रिंटर के जरिए परीक्षा का पेपर प्रिंट कर सात अभ्यर्थियों को उपलब्ध कराया। लेकिन यह सिर्फ एक हिस्सा था, असल खेल तो बेकरिया की एक बस में खेला गया, जहां 41 परीक्षार्थियों को लीक पेपर दिया गया।
इसी तरह राजीव कुमार उपाध्याय, जो मूलतः उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला है, ने जयपुर में एक होटल बुक कर परीक्षार्थियों को पेपर सॉल्वड करवाने की व्यवस्था की। इस काम में उसका साथ दिया बर्खास्त उपनिरीक्षक गोपाल सारण और ओमप्रकाश मोदरान ने।
गमाराम खिलेरी, जो पहले से ही ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल कराने के मामलों में संलिप्त था, इस बार भी अपनी भूमिका में था। उसने बेकरिया में परीक्षार्थियों तक पेपर पहुंचाने में मदद की।
पेपर लीक का मास्टरमाइंड कौन?
इस पूरे षड्यंत्र की जड़ें आयोग के अंदर तक फैली थीं। रामगोपाल मीणा, जो कि अनिल कुमार मीणा (मुख्य अभियुक्त) का निजी वाहन चालक था, उसने पेपर लीक से जुड़े पैसों का पूरा हिसाब रखा। पेपर किसे मिला, कितने पैसे दिए गए, कहां-कहां भेजा गया – यह सब उसकी डायरी में दर्ज था।
लेकिन इस गोरखधंधे में केवल अपराधी ही नहीं, बल्कि सिस्टम से जुड़े लोग भी शामिल थे। अनिता कुमारी मीणा, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में उप प्रबंधक थी, उसने लीक हुए पेपर से कमाए गए पैसों को संपत्तियों में निवेश किया। जांच एजेंसियों ने उसके घर से 19.50 लाख रुपए बरामद किए।
कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत?
राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए साफ कहा कि यह महज नकल कराने का मामला नहीं, बल्कि पूरे परीक्षा तंत्र पर हमला था। इसलिए अभियुक्तों की दूसरी बार भी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
एटीएस और एसओजी की टीम इस मामले में अन्य संदिग्धों की भूमिका की जांच कर रही है। जिन अभियुक्तों की जमानत खारिज हुई है, उनके खिलाफ अब और गहरी जांच होगी और आरोप तय किए जाएंगे।
यह फैसला उन लाखों छात्रों के लिए राहत भरा है, जो मेहनत से परीक्षा की तैयारी करते हैं। लेकिन सवाल अब भी बना हुआ है – क्या यह सिर्फ कुछ लोगों का खेल था, या सिस्टम में बैठे कुछ और बड़े चेहरे भी इसमें शामिल थे?
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