उदयपुर। राजस्थान की व्यापारिक दुनिया में हलचल मचा देने वाले 2 हजार करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी के हाई-प्रोफाइल मामले में मिराज ग्रुप के सीएमडी मदनलाल पालीवाल और प्रकाशचन्द्र पुरोहित को विशेष आर्थिक अपराध न्यायालय (ACJM कोर्ट) से सशर्त जमानत मिल गई है। हालांकि, कोर्ट ने साफ कर दिया है कि आरोपी बिना अनुमति देश नहीं छोड़ सकेंगे और उन्हें जांच अधिकारी के साथ पूरा सहयोग करना होगा।
गिरफ्तारी से बचने की लंबी लड़ाई
इस बहुचर्चित मामले में 3 अगस्त 2024 को जब कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए, तो आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गईं। सेशन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अधिवक्ता दीपक चौहान ने दलील दी कि आरोपियों ने जांच में सहयोग की पेशकश की थी, ऐसे में गैर-जमानती वारंट जारी करना अनुचित है। हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए गैर-जमानती वारंट को जमानती वारंट में बदलने का आदेश दिया और स्पष्ट किया कि यदि आरोपी समय पर ट्रायल कोर्ट में उपस्थित होते हैं, तो उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
जीएसटी विभाग ने जताई सख्त आपत्ति
जब आरोपी नियमित जमानत के लिए कोर्ट पहुंचे, तो जीएसटी इंटेलिजेंस विभाग ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। विभाग के अनुसार, फर्जी फर्मों के माध्यम से पैकेजिंग सामग्री की आड़ में कच्चा माल मिराज प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड तक पहुंचाया गया, जिससे हजारों करोड़ रुपये के कर की हेराफेरी हुई।
अब कोर्ट की शर्तों के मुताबिक पालीवाल और पुरोहित जांच में सहयोग करेंगे और बिना अनुमति देश नहीं छोड़ सकेंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि अर्थिक अपराध विभाग की आगामी जांच क्या नया खुलासा करती है? क्या आरोपी निर्दोष साबित होंगे या फिर जांच के बाद और बड़े नाम इस घोटाले की जद में आएंगे?
इस हाई-प्रोफाइल केस पर व्यापार जगत और प्रशासन की नजरें टिकी हुई हैं और आगे होने वाली कार्यवाही किसी बड़े खुलासे की ओर इशारा कर सकती है।
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