
जयपुर। राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025 पर साढ़े चार घंटे तक चली बहस के बावजूद बिल पारित नहीं हो सका। विधेयक पर 29 विधायकों ने चर्चा में हिस्सा लिया, जिसमें कांग्रेस और आरएलडी के साथ-साथ भाजपा के भी अधिकांश विधायकों ने इसे प्रवर समिति को भेजने या जनमत जानने के लिए छह महीने रोकने की मांग की।
विपक्ष और कोचिंग संचालकों का विरोध, सरकार ने झुकाया सिर
विधानसभा में जब यह बिल बहस के लिए आया, तभी कोचिंग संचालकों ने सरकार से मुलाकात कर इसे रोकने की अपील की। सरकार पर बढ़ते दबाव और भारी विरोध को देखते हुए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की अनुशंसा की, जिसे विधानसभा में स्वीकृति दे दी गई।
बैरवा ने कहा कि विधेयक को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए स्टेकहोल्डर्स और सभी विधायकों के सुझावों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, “भजनलाल सरकार विपक्ष के सुझावों को महत्व देती है और हम चाहते हैं कि यह विधेयक सही तरीके से लागू हो।”
विधायकों के तर्क और विरोध के स्वर
पूर्व संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने चिंता जताते हुए कहा कि यह बिल पूरी तरह ब्यूरोक्रेसी के नियंत्रण में आ जाएगा और कोचिंग संस्थान अधिकारियों को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “ये कोचिंग वाले कलेक्टर को जेब में रखेंगे। अफसर न तेरे हैं, न मेरे हैं, ये एहले सियासत हैं।”
भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने इस बिल की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से चर्चा किए बिना इसे लाया गया है। उन्होंने केंद्र की गाइडलाइन का हवाला देते हुए कहा कि इसमें छात्रों की अनुपस्थिति पर अभिभावकों को सूचना देने जैसे जरूरी प्रावधान भी शामिल नहीं किए गए हैं।
लाडपुरा विधायक कल्पना देवी ने इस बिल की मंशा का समर्थन करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित करना है। वहीं, अनीता भदेल और मनीष यादव सहित कई विधायकों ने छोटे कोचिंग संस्थानों के बंद होने और बड़े संस्थानों को फायदा मिलने की आशंका जताई।
बिल में क्या था खास?
नियम उल्लंघन पर 5 लाख रुपए तक का जुर्माना।
तीन बार नियम तोड़ने पर मान्यता रद्द करने का प्रावधान।
कोचिंग संस्थानों को अधिक जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से नियंत्रण और विनियमन।
अब यह विधेयक प्रवर समिति के पास भेजा गया है, जहां सभी स्टेकहोल्डर्स और विधायकों के सुझावों को शामिल कर इसे और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा।
राजस्थान सरकार की मंशा कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने की थी, लेकिन विपक्ष और खुद सत्तारूढ़ दल के विधायकों की आपत्तियों के कारण यह विधेयक फिलहाल प्रवर समिति की जांच के दायरे में चला गया है। अब देखना होगा कि संशोधित रूप में यह बिल फिर से सदन में कब पेश किया जाता है और इसमें क्या बदलाव किए जाते हैं।
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