
“जहाँ चिराग़ जलते थे अमन के, वहाँ आज नफरत की हवा बह चली है।”
प्रयागराज। प्रयागराज की ज़मीन, जो एक ज़माने में आध्यात्म और गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल मानी जाती थी, आज एक नई हलचल से दो-चार है। सिकंदरा इलाके में स्थित एक दरगाह—सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की मज़ार—रविवार को अचानक चर्चा का केंद्र बन गई, जब वहां कुछ युवकों ने धार्मिक नारेबाज़ी करते हुए भगवा झंडा लहराया।
घटना का सिलसिला
6 अप्रैल की दोपहर, लगभग 20 से ज़्यादा युवक बाइक रैली निकालते हुए दरगाह के बाहर पहुंचे। तीन युवक दरगाह के मुख्य द्वार पर चढ़ गए और भगवा झंडा लहराने लगे। इस दौरान नारेबाज़ी की गई, जिनकी प्रकृति सांप्रदायिक मानी जा रही है। घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
पुलिस की सक्रियता
डीसीपी गंगानगर, कुलदीप सिंह गुनावत ने मीडिया को बताया-“यह एक साझा आस्था की दरगाह है, जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग आते हैं। कुछ अराजक तत्वों ने माहौल खराब करने की कोशिश की, जिन्हें मौके पर मौजूद पुलिस ने तुरंत रोका और वहां से हटाया।”
पुलिस की ओर से यह भी कहा गया है कि वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। उनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिन पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में ढिलाई सामने आई है, उन पर विभागीय जांच बैठा दी गई है।
साझी विरासत पर चोट
यह दरगाह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि साझा विरासत और सामाजिक समरसता की प्रतीक रही है। सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की मज़ार पर हर वर्ष दोनों समुदायों के लोग श्रद्धा के साथ चादर चढ़ाने आते हैं। यहां हिंदू महिलाएं संतान प्राप्ति की मन्नतें मांगती हैं, और मुस्लिम परिवार फ़ातिहा पढ़ते हैं।
इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था को हिलाया है, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता की बुनियाद को भी सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।
राजनीति या साज़िश?
सवाल उठते हैं कि क्या यह घटना महज़ एक शरारती हरकत थी या फिर इसके पीछे कोई संगठित साज़िश है? क्या चुनावी माहौल को देखते हुए धार्मिक ध्रुवीकरण की कोई रणनीति चल रही है? आखिर किसे फ़ायदा है जब मोहब्बत की ज़मीन पर नफरत का बीज बोया जाता है?
विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे मामलों में समय रहते कार्रवाई न हो तो वे सांप्रदायिक संघर्ष की आग में बदल सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह इलाका हमेशा से शांत रहा है। एक दुकानदार ने बताया, “हमने कभी नहीं सोचा था कि मज़ार पर ऐसा कुछ होगा। यहाँ सभी धर्मों के लोग आते हैं। ये जो हुआ, वो हमारी परंपरा के ख़िलाफ़ है।”
प्रशासन की सख़्ती और पारदर्शिता अब इस मामले की दिशा तय करेगी। ज़रूरत है कि दोषियों को जल्द गिरफ़्तार कर संदेश दिया जाए कि धार्मिक स्थलों को राजनीति या प्रदर्शन का मंच नहीं बनने दिया जाएगा।
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