पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को वर्चुअल माध्यम से खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के सातवें संस्करण का उद्घाटन किया। इस ऐतिहासिक आयोजन की मेजबानी पहली बार बिहार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इसे देश में खेलों के विकास के लिए एक अहम पड़ाव बताया और कहा कि यह पहल आने वाले वर्षों में भारत को ओलंपिक चैंपियन राष्ट्र बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बिहार के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि यह राज्य अब ज्ञान के साथ-साथ खेल प्रतिभाओं के विकास में भी अग्रणी भूमिका निभाने जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की खेल संस्कृति को मजबूती देने वाला आंदोलन है।
बिहार का पहला बहु-विषयक खेल आयोजन
यह पहली बार है जब बिहार ने इस स्तर के किसी बहु-विषयक खेल आयोजन की मेजबानी की है। इस संस्करण में कुल 27 पदक खेल और एक प्रदर्शन खेल को शामिल किया गया है। खेलों का आयोजन बिहार के पांच प्रमुख शहरों – पटना, राजगीर, भागलपुर, गया और बेगूसराय – के अलावा राजधानी दिल्ली में भी किया जा रहा है। इस वर्ष प्रतियोगिता में 10,000 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं, जिनमें 6,000 से अधिक एथलीट शामिल हैं।
इस आयोजन की एक विशेष बात यह है कि इसमें पहली बार एशियाई खेल सेपक टाकरा को पदक प्रतियोगिता में शामिल किया गया है, जबकि ई-स्पोर्ट्स को एक प्रदर्शन खेल के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
बिहार में खेलों का नया अध्याय
केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि बिहार में खेलों के अच्छे दिन शुरू हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि यह भूमि प्राचीन काल में नालंदा और विक्रमशिला जैसे ज्ञान केंद्रों के लिए विश्वविख्यात रही है। अब यही धरती खेल विकास के नए केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आयोजन बिहार की छवि को निखारने और राज्य को बड़े आयोजनों की मेजबानी के लिए तैयार करने का एक अवसर है। “विकसित बिहार, विकसित भारत का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है,” उन्होंने कहा। “यह राज्य अब प्रत्येक युवा खेल प्रतिभा को एक मंच और अपनी क्षमता दिखाने का अवसर देगा।”
2036 ओलंपिक के लिए तैयारी
डॉ. मांडविया ने इस आयोजन को 2036 ओलंपिक की तैयारी की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने कहा कि खेलो इंडिया का उद्देश्य केवल एक वार्षिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह पूरे वर्ष चलने वाली गतिविधि है। इसके तहत एक विस्तृत खेल कैलेंडर तैयार किया जाएगा, जिसमें नए खेलों को भी जोड़ा जाएगा।
“प्रतिभा की पहचान, उसका समुचित प्रशिक्षण और पोषण ही भारत को ओलंपिक विजेता राष्ट्र बनाने की दिशा में ले जाएगा,” डॉ. मांडविया ने कहा। “खासकर 2026 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की संभावित मेजबानी को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि हम अभी से तैयारी शुरू करें।”
सेपक टाकरा में स्वर्ण पदक की प्रेरणा
बिहार के लिए यह आयोजन इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में पटना में आयोजित इंटरनेशनल सेपक टाकरा फेडरेशन (ISTAF) विश्व कप में भारतीय पुरुष टीम ने इतिहास रचते हुए पहली बार स्वर्ण पदक जीता था। यह जीत पाटलिपुत्र खेल परिसर में मिली थी, जो अब एक प्रमुख खेल स्थल के रूप में देश में प्रतिष्ठित हो चुका है। इस टूर्नामेंट में चार महाद्वीपों के 21 देशों ने भाग लिया था।
प्रधानमंत्री ने स्वयं इस ऐतिहासिक जीत पर टीम को बधाई दी थी। यह सफलता बिहार की खेल क्षमता और समर्पण का प्रमाण है, जिसे अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है।
खेलो इंडिया की व्यापकता
खेलो इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत 14 अक्टूबर 2017 को हुई थी। इसका उद्देश्य देश में खेलों की संस्कृति को प्रोत्साहित करना, खेलों में भागीदारी बढ़ाना और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा विकसित करना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक कई युवा एथलीट अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
बिहार खेलो इंडिया का एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। देश भर में स्थापित 1048 खेलो इंडिया केंद्रों में से 38 बिहार के सभी जिलों में कार्यरत हैं। इन केंद्रों का नेतृत्व पूर्व चैंपियन एथलीटों द्वारा किया जा रहा है और यह जमीनी स्तर पर प्रतिभाओं की खोज व प्रशिक्षण का कार्य कर रहे हैं।
इन केंद्रों में टेबल टेनिस, एथलेटिक्स, कुश्ती, फुटबॉल, हॉकी, भारोत्तोलन, तीरंदाजी, मुक्केबाज़ी, कबड्डी और वुशु जैसे खेलों की सुविधा दी जा रही है। वर्तमान में इन केंद्रों में 939 एथलीट (473 पुरुष और 466 महिलाएं) प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
राज्य उत्कृष्टता केंद्रों की भूमिका
खेलो इंडिया के अंतर्गत देश भर में 34 राज्य उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र राज्य सरकारों के सहयोग से कार्य कर रहे हैं और इनमें से कुछ बिहार में भी स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान करते हैं और एथलीट-केंद्रित दृष्टिकोण को अपनाते हैं।
डॉ. मांडविया ने बताया कि यह सफलता विशेष प्रशिक्षण, स्थानीय समर्थन और धैर्य के कारण संभव हुई है। उन्होंने कहा, “हमें केवल समय का इंतजार करना है, प्रतिभा को निखरने का अवसर देना है।”
राष्ट्रीय खेलों में बिहार का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
हाल ही में उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में बिहार ने एक स्वर्ण पदक सहित कुल 12 पदक जीतकर अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह सफलता बिहार के खेल विकास की दिशा में निरंतर हो रही प्रगति का सूचक है।
इस उपलब्धि के पीछे राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका, खेल मंत्रालय की रणनीतिक योजनाएं और एथलीटों की अथक मेहनत शामिल है। यह उपलब्धि राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।
खेलों के प्रति सामाजिक जागरूकता
डॉ. मांडविया ने खेलों को केवल प्रतियोगिता का माध्यम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बताया। उन्होंने विशेष रूप से साइकिलिंग के
महत्व को रेखांकित किया, जो अब रविवार को पूरे देश में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि मोटापे जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए फिटनेस के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
“खेल जीवनशैली का हिस्सा बनें, न कि केवल इवेंट का,” उन्होंने कहा। यह विचार प्रधानमंत्री मोदी के ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के साथ भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
भविष्य की योजनाएं
खेल मंत्री ने घोषणा की कि आने वाले वर्षों में खेलो इंडिया के अंतर्गत और भी विशेष आयोजन किए जाएंगे। इनमें खेलो इंडिया स्कूल गेम्स, दीव में तटीय खेल, दक्षिण भारत में स्वदेशी खेलों का आयोजन और छत्तीसगढ़ में जनजातीय खेलों की मेजबानी शामिल होगी।
उन्होंने कहा कि इन आयोजनों से क्षेत्रीय प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा और भारत के विविध सांस्कृतिक और पारंपरिक खेलों को वैश्विक पहचान मिलेगी।
समावेशी खेल नीति की आवश्यकता
डॉ. मांडविया ने जोर देकर कहा कि भारत को एक समावेशी खेल नीति की आवश्यकता है, जो न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी खेल प्रतिभाओं को निखार सके। खेलो इंडिया का मॉडल इसी दिशा में कार्य कर रहा है, जिसमें सभी वर्गों और क्षेत्रों के युवाओं को एकसमान अवसर प्रदान किए जाते हैं।
निष्कर्ष
बिहार में आयोजित खेलो इंडिया युवा खेलों का यह संस्करण न केवल खेल प्रतियोगिता है, बल्कि यह भारत की खेल संस्कृति के पुनरुद्धार की कहानी है। यह आयोजन दर्शाता है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक समर्थन और जनभागीदारी हो, तो कोई भी राज्य खेल महाशक्ति बन सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया खेलो इंडिया अभियान अब केवल एक सरकारी योजना नहीं रह गया है, बल्कि यह करोड़ों युवाओं के सपनों का माध्यम बन चुका है। बिहार की धरती से उठती खेल की यह नई लहर न केवल राज्य बल्कि देश को भी वैश्विक खेल मानचित्र पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी।
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