ऑपरेशन सिंदूर: सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर भारत की निर्णायक विजय

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के सात जवान शहीद हो गए और पांच नागरिकों की जान गई। हमले की बर्बरता और इसमें लिप्त आतंकी संगठनों की पहचान के बाद यह स्पष्ट हो गया कि इसके पीछे पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी ढांचे की भूमिका है।

भारत ने हमेशा से अपनी नीति में ‘शांतिप्रिय लेकिन निर्णायक’ रुख अपनाया है। लेकिन इस हमले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि केवल प्रतिरक्षा काफी नहीं, बल्कि एक आक्रामक लेकिन सटीक उत्तर आवश्यक है। इसी संदर्भ में भारत सरकार ने 7 मई 2025 की तड़के “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया, जो आधुनिक भारत की सैन्य रणनीति, कूटनीतिक कुशलता और वैश्विक संदेश का एक मजबूत उदाहरण बन गया।

I. ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
पिछले एक दशक से भारत-पाकिस्तान संबंधों में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की एयर स्ट्राइक और अब 2025 का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत अब पारंपरिक प्रतिक्रिया की नीति से आगे बढ़ चुका है।

पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद ने नए रूप लिए हैं—हाइब्रिड टेरर, सोशल मीडिया उकसावे, ड्रोन आधारित हथियार सप्लाई, और प्रशिक्षित कमांडो की घुसपैठ। पहलगाम हमला इन्हीं रणनीतियों का विस्तार था। भारत सरकार ने इस बार स्पष्ट कर दिया था कि इसका जवाब सीमित दायरे में नहीं, बल्कि गहराई और सटीकता से दिया जाएगा।

II. ऑपरेशन सिंदूर की रूपरेखा
7 मई की सुबह 3:30 बजे भारतीय वायुसेना, सेना और नौसेना की साझा कमान के तहत एक जटिल और बहुस्तरीय हमला किया गया। इस ऑपरेशन में न केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) बल्कि पाकिस्तान के आंतरिक इलाकों तक कार्रवाई की गई।

प्रमुख विशेषताएं:
समन्वित हमला: थल, वायु और नौसेना के विशेष बलों का सामूहिक प्रबंधन।

निशाने की स्पष्टता: केवल आतंकवादी अड्डों और संसाधनों को निशाना बनाया गया।

जनहानि से परहेज: कोई भी नागरिक या आम सैन्य ठिकाना लक्ष्य नहीं था।

समयबद्धता: कुल 23 मिनट में प्राथमिक मिशन को पूरा किया गया।

राफेल, हैमर और SCALP मिसाइल का प्रयोग: उच्च तकनीक वाले हथियारों का प्रयोग कर रणनीतिक बढ़त।

III. सैन्य सफलताएं: आतंकवाद की रीढ़ पर सीधा प्रहार
1. नौ आतंकी शिविरों का विनाश
ऑपरेशन में भारत ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के नौ प्रमुख प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त कर दिया। इन शिविरों का उपयोग आतंकियों को प्रशिक्षित करने और जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए किया जाता था।

प्रमुख ठिकाने: मुझफ्फराबाद, रावलकोट, कोटली (PoK), बहावलपुर (पंजाब, पाकिस्तान), और बन्नू (खैबर पख्तूनख्वा)।

इन ठिकानों में से कई पर सैटेलाइट इंटेलिजेंस और ह्यूमन इंटेलिजेंस के माध्यम से महीनों से निगरानी रखी जा रही थी।

2. पाकिस्तान के भीतर 300+ किमी तक कार्रवाई
भारत की राफेल और सुखोई विमानों ने पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्रों में गहराई तक घुसकर संवेदनशील आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि भारत ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय के पास हमला किया—जहां अमेरिका तक ने कभी सैन्य कार्रवाई की हिम्मत नहीं की थी।

3. पाकिस्तान के एयर डिफेंस की पोल खुली
पाकिस्तानी सेना का एयर डिफेंस ग्रिड ऑपरेशन के दौरान पूरी तरह से निष्क्रिय रहा। भारतीय राफेल जेट्स ने SCALP और हैमर मिसाइलों की सहायता से बिना किसी बाधा के लक्ष्य भेदा।

रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली पुराने सोवियत दौर की SAM बैटरी पर आधारित है, जो आधुनिक युद्धक विमानों और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के सामने असहाय सिद्ध हुई।

4. प्रमुख आतंकवादियों का खात्मा
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की कि इस ऑपरेशन में भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल कई आतंकवादी मारे गए। इनमें शामिल थे:

अब्दुल रहमान सईद – लश्कर का लॉन्चिंग कमांडर

मुहम्मद उस्मान जरगर – जैश का प्रशिक्षक

बशीर हाफिज – हिजबुल का ऑपरेशनल हेड

इनकी मौत ने आतंकियों के पूरे लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को हिला दिया है।

IV. कूटनीतिक मोर्चे पर सफलता
1. पाकिस्तान ने खुद मांगा युद्धविराम
ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान के DGMO ने भारत को संपर्क कर युद्धविराम की गुहार लगाई। भारत ने इसे सशर्त स्वीकृति दी, लेकिन साफ कर दिया कि:

युद्धविराम का मतलब नीतिगत बदलाव नहीं है।

सिंधु जल संधि का निलंबन प्रभावी रहेगा।

पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा निलंबित रहेंगे।

किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की जरूरत नहीं।

2. वैश्विक प्रतिक्रिया
अमेरिका ने भारत के ‘सेल्फ-डिफेंस’ के अधिकार को समर्थन दिया।

फ्रांस और इज़राइल ने तकनीकी सहयोग की सराहना की।

चीन ने संयम की अपील की, लेकिन स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का पक्ष नहीं लिया।

रूस ने भारत के ‘क्लीन स्ट्राइक’ सिद्धांत को समर्थन दिया।

इससे स्पष्ट है कि भारत की रणनीति न केवल सैन्य बल्कि कूटनीतिक दृष्टि से भी पूर्व-तैयार और संतुलित थी।

V. तीनों सेनाओं का समन्वय: भारत की संयुक्त युद्ध नीति का प्रमाण
ऑपरेशन सिंदूर इस बात का प्रतीक है कि भारत अब युद्ध संचालन को परंपरागत शाखाओं में विभाजित नहीं कर रहा। इसके बजाय “थिएटर कमांड” और “इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स” की अवधारणा को सक्रिय किया जा रहा है।

थल सेना: सीमा के पास घुसपैठ रोकने और सर्जिकल रेड के लिए।

वायुसेना: गहरे लक्ष्यों पर सटीक हमला और एयर सुपरमैसी के लिए।

नौसेना: अरब सागर में पाकिस्तानी नौसेना की हरकतों की निगरानी के लिए INS विक्रांत और P-8I विमान तैनात।

VI. आतंकवाद के खिलाफ भारत का नया दृष्टिकोण
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब “रणनीतिक संयम” की नीति का स्थान “रणनीतिक उत्तर” ने ले लिया है। यह बदलाव केवल शक्ति

प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत में एक परिवर्तन का संकेत है।

भारत का अब यह स्पष्ट संदेश है:

आतंक का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं होगा।

जहां से खतरा उत्पन्न होगा, वहीं उसका नाश होगा।

कूटनीतिक और सैन्य विकल्प एकसाथ प्रयोग किए जाएंगे।

VII. भविष्य की दिशा: आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक मोर्चा
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत अब कई मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है:

UN में आतंकी संगठनों की लिस्टिंग का नया प्रस्ताव

FATF के माध्यम से पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर टेरर फंडिंग की निगरानी

Drones, AI और Space-Intelligence पर अधिक निवेश

निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी। यह भारत की संप्रभुता, संकल्प और सामर्थ्य का ऐसा प्रतीक है जिसने न केवल आतंकवादियों को जवाब दिया बल्कि दुनिया को भी स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अब ‘इनकार’ नहीं करता, ‘कार्रवाई’ करता है।

यह ऑपरेशन बताता है कि भारत अब केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक आक्रामकता के दौर में प्रवेश कर चुका है — वह भी बिना सीमा पार युद्ध के तनाव के।

आज जब हम ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व करते हैं, तो यह भी याद रखना आवश्यक है कि यह कार्रवाई केवल सैनिकों की वीरता का नहीं, बल्कि भारत की संगठित इच्छाशक्ति, कूटनीतिक दृढ़ता और तकनीकी आत्मनिर्भरता का परिचायक है।

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