उदयपुर। भारत की खनन और धातु क्षेत्र की अग्रणी कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैसे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को रणनीतिक रूप से अपनाकर कोई संगठन न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ा सकता है, बल्कि सुरक्षा, दक्षता और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व में भी वैश्विक मानक स्थापित कर सकता है। नेशनल टेक्नोलॉजी डे 2025 के मौके पर कंपनी की हालिया उपलब्धियाँ इस बात की मिसाल हैं कि डिजिटल बदलाव अब खनन उद्योग की मुख्यधारा बन चुका है।
हिंदुस्तान जिंक भूमिगत खनन में टेली-रिमोट ऑपरेशन अपनाने वाली भारत की पहली मेटल कंपनी बन चुकी है। इस नवीन प्रणाली के तहत अब ऑपरेटर सतह पर बैठकर ही खदान के भीतर लोडर मशीनों को चला सकते हैं। यह तकनीक कंपनी के खुद के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क द्वारा संभव हुई है, जिससे सुरक्षा में भारी वृद्धि हुई है और खनन दक्षता में बड़ा सुधार हुआ है।
उत्पादन क्षमता में 23% से अधिक की वृद्धि
रामपुरा आगुचा माइंस में इस तकनीक के उपयोग से शाफ्ट से अयस्क निकालने की क्षमता 6,500 टन/दिन से बढ़कर 8,000 टन/दिन हो गई है। यह न केवल उत्पादन की वृद्धि है, बल्कि श्रम शक्ति की उत्पादकता और सुरक्षा में भी बेहतरीन सुधार का संकेत है।
‘स्मोक-आवर्स ड्रिलिंग’: शिफ्ट बदलाव में भी न रुके काम
हिंदुस्तान जिंक ने स्मोक-आवर्स ड्रिलिंग तकनीक लागू कर भारत में खनन क्षेत्र में एक नई लकीर खींची है। इस तकनीक से ड्रिलिंग शिफ्ट चेंज के दौरान भी जारी रह सकती है, जो आमतौर पर उत्पादन रुकने का समय होता है।
22,000 टन वार्षिक उत्पादन में इजाफा
पिछले तीन वर्षों में इस तकनीक ने औसतन 22 हज़ार टन अतिरिक्त मेटल उत्पादन में योगदान दिया है। यह सिस्टम रामपुरा आगुचा और सिंदेसर खुर्द—दुनिया की शीर्ष चांदी उत्पादक खदानों में से एक—दोनों में प्रभावी रूप से काम कर रहा है।
स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग और एआई-आधारित प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस
कंपनी ने Infi nite Uptime नामक टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के साथ साझेदारी कर सेंसर-आधारित अनुमानात्मक रखरखाव प्रणाली लागू की है।
500 घंटे डाउनटाइम में कमी
1000 से अधिक स्मार्ट सेंसर का नेटवर्क कंपनी के माइंस और स्मेल्टर्स में संभावित मशीन फेल्योर को पहले ही पहचान लेता है, जिससे अनियोजित रुकावट में लगभग 500 घंटे की कमी आई है।
AI और ML से जिंक प्रोडक्शन में दक्षता और गुणवत्ता में उछाल
AI-आधारित ऑटोमेशन उपकरण के जरिए कंपनी ने जिंक डस्ट, सोडियम सल्फेट, चूना और सीमेंट जैसे कच्चे माल के उपयोग को अनुकूलित किया है।
डाटा-संचालित निर्णय प्रणाली
यह उपकरण पिछले उत्पादन डेटा से सीखकर सटीक अनुमान लगाता है कि किस मात्रा में कौन-सा कच्चा माल मिलाया जाए ताकि गुणवत्ता बनी रहे और लागत घटे।
सुरक्षा और निगरानी में AI-आधारित कैमरा प्रणाली
कंपनी ने अपने परिचालन क्षेत्रों में AI कैमरा सिस्टम लगाया है, जो कार्यस्थल पर सुरक्षा उल्लंघनों की स्वतः पहचान कर लेता है।
50% तक मानवीय हस्तक्षेप में कमी
नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुए, इस प्रणाली ने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ ऑडिटिंग लागत और मानव हस्तक्षेप को भी लगभग 50% तक घटाया है।
हाई-टेम्परेचर स्मेल्टिंग में रोबोटिक्स का उपयोग
स्मेल्टर इकाइयों में उच्च तापमान पर काम करने वाले खतरनाक कार्यों को अब रोबोटिक ऑटोमेशन द्वारा संचालित किया जा रहा है। इससे न केवल कार्यस्थल सुरक्षित बना है, बल्कि प्रोडक्ट की गुणवत्ता में भी निरंतरता बनी हुई है।
LIDAR-सक्षम ड्रोन से भूमिगत खदानों की उच्च सटीक मैपिंग
अब कंपनी LIDAR ड्रोन-आधारित स्टॉप स्कैनिंग शुरू करने की तैयारी में है। यह तकनीक खदानों की त्रिविमीय मैपिंग कर अयस्क के सटीक लोकेशन और मात्रा का अनुमान लगाती है, जिससे माइन प्लानिंग और अयस्क निष्कर्षण में क्रांतिकारी सुधार होगा।
वेदांता स्पार्क के साथ मिलकर टेक स्टार्टअप्स को बढ़ावा
हिंदुस्तान जिंक ने वेदांता स्पार्क के अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, कंप्यूटर विजन, IoT, AR/VR जैसी तकनीकों में इनोवेशन लाने के लिए कई स्टार्टअप्स के साथ मिलकर काम किया है।
इनोवेशन कैफे और MSME के साथ साझेदारी
कंपनी अपने “Innovation Café” मॉडल के जरिए इन-हाउस इनोवेशन को बढ़ावा देती है, और सप्लाई चेन से जुड़े MSMEs के साथ सहयोग कर संपत्ति की विश्वसनीयता और परिचालन उत्कृष्टता को मजबूत करती है।
आर्थिक प्रभाव और वैश्विक मान्यता
भारत के प्राथमिक जिंक बाजार में हिंदुस्तान जिंक की 77% हिस्सेदारी है।
कंपनी 40+ देशों को सप्लाई करती है।
S&P ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 में लगातार दूसरे साल दुनिया की सबसे सस्टेनेबल मेटल एंड माइनिंग कंपनी के रूप में रैंक मिली है।
तकनीकी नवाचारों से बना आत्मनिर्भर भारत का मॉडल
हिंदुस्तान जिंक की यह रणनीति दिखाती है कि भारत के पारंपरिक उद्योग क्षेत्र कैसे इंडस्ट्री 4.0 की अवधारणाओं को अपनाकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे निकल सकते हैं। एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन टेक्नोलॉजी, सेंसर नेटवर्क—इन सभी का संगठित और रणनीतिक उपयोग न केवल उत्पादन को बढ़ा रहा है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभाव, संसाधनों की बर्बादी और मानवीय जोखिम को भी कम कर रहा है।
इस प्रकार, हिन्दुस्तान जिंक आज सिर्फ एक खनन कंपनी नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया मिशन की एक प्रेरक मिसाल बन चुकी है।
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