नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बीते कुछ दिनों से चले आ रहे सैन्य तनाव के बीच 10 मई को दोनों देशों ने तत्काल संघर्षविराम की घोषणा कर दी। यह निर्णय भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान की ओर से हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में आया है। इस संघर्षविराम में अमेरिका ने अहम भूमिका निभाई है, जिसकी पुष्टि खुद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा, “मैं भारत और पाकिस्तान के मजबूत और समझदार नेतृत्व की बहुत सराहना करता हूं, जिन्होंने समय रहते अपनी बुद्धि और धैर्य से यह समझ लिया कि अब और लड़ाई को रोकना जरूरी है। क्योंकि युद्ध से विनाशकारी परिणाम मिल सकते थे। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे।”
उन्होंने आगे लिखा, “आपके इस साहसी फैसले से आपका नाम और सम्मान बढ़ा है। मुझे गर्व है कि अमेरिका इस ऐतिहासिक और बहादुरी भरे फैसले में मदद कर सका। भले ही इस पर बात नहीं हुई है, लेकिन मैं अब भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार को काफी बढ़ाने का इरादा रखता हूं। साथ ही, मैं कश्मीर के मुद्दे पर भी दोनों देशों के साथ मिलकर कोई शांतिपूर्ण हल निकालने की कोशिश करूंगा, भले ही इसमें बहुत समय लगे।”
डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को अपने बयान में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिनों से चले आ रहे सैन्य तनाव के बाद दोनों पक्ष युद्धविराम पर सहमत हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह सहमति अमेरिका की मध्यस्थता से ही संभव हो सकी।
ट्रंप ने लिखा, “अमेरिका की मध्यस्थता में रात भर चली लंबी वार्ता के बाद मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं।”
इस घटनाक्रम की पुष्टि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि वह और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस बीते 48 घंटे से भारत और पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बातचीत में जुटे हुए थे। इस उच्च स्तरीय वार्ता में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शामिल हुए, वहीं पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार असीम मलिक शामिल रहे।
विदेश मंत्री रूबियो ने कहा, “यह बेहद कठिन और संवेदनशील वार्ता थी, लेकिन दोनों देशों के नेताओं ने असाधारण धैर्य और समझदारी दिखाई। इस संघर्षविराम से लाखों जानें बचेंगी और यह भविष्य की स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम हो सकता है।”
इस संघर्षविराम के बाद अब वैश्विक समुदाय की नजर भारत-पाकिस्तान के संबंधों में आगे होने वाले घटनाक्रमों पर है। साथ ही ट्रंप द्वारा कश्मीर मुद्दे पर दी गई मध्यस्थता की पेशकश एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस जटिल मसले को केंद्र में ले आई है।
ट्रंप के बयान और अमेरिका की भूमिका से स्पष्ट है कि वैश्विक राजनीति में दक्षिण एशिया के तनावपूर्ण हालात को अब पहले से कहीं ज्यादा गंभीरता से लिया जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के बीच यह संघर्षविराम जहां राहत भरी खबर है, वहीं आने वाले दिनों में कूटनीतिक प्रयासों की गहराई इस दिशा में बहुत कुछ तय करेगी।
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