
उदयपुर। सायरा थाना क्षेत्र की भील बस्ती में सोमवार दोपहर एक मासूम जिंदगी खेलते-खेलते मौत की गोद में समा गई। चार साल का दिनेश, मासूम आंखों में चमक और हाथों में सीताफल का सपना लिए पेड़ पर चढ़ा था। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था—एक टहनी टूटी, और वह सीधे बगल के कुएं में जा गिरा।
गांव वालों ने घंटों कोशिश की, उम्मीद का हर सहारा थामे रखा, पर रात के अंधेरे के साथ उम्मीद भी डगमगाने लगी। आखिरकार, गत रात 10 बजे सूचना पर राजस्थान नागरिक सुरक्षा विभाग की टीम पहुंची। ठंडी हवा और सन्नाटे के बीच, गोताखोर और बचावकर्मी अंधे पानी में उतरते रहे। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद, वे मासूम का नन्हा शरीर ऊपर लाए—अब न मुस्कान थी, न खेल की शरारत।

दिनेश गमेती, मनोज, विजय नकवाल, प्रकाश राठौड़, भवानी शंकर वाल्मीकि, कपिल सालवी और वाहन चालक कैलाश मेनारिया—इनके हाथों में वह लौटा, जो अब सिर्फ यादों में जिंदा रहेगा। गांव की आंखें नम थीं, और हवा में सिर्फ एक सवाल—क्यों इतनी जल्दी चला गया ये नन्हा फरिश्ता?
रेस्क्यू टीम में गोताखोर मनोज, विजय नकवाल, दिनेश गमेती, बचावकर्मी प्रकाश राठौड़, भवानी शंकर वाल्मीकि, कपिल सालवी और वाहन चालक कैलाश मेनारिया शामिल थे। ऑपरेशन में दिनेश गमेती की विशेष भूमिका रही।
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