
राजसमंद के कांकरोली थाने में भीलवाड़ा के ज्वेलरी व्यापारी खूबचंद सोनी की पुलिस हिरासत में मौत ने पूरे व्यापारी वर्ग में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। चोरी का माल खरीदने के आरोप में रविवार दोपहर व्यापारी को थाने लाया गया, लेकिन कुछ ही घंटों में वह शव बनकर मोर्चरी पहुंचा।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने खूबचंद को जबरन केस में फंसाया, थाने में मारपीट की, जिससे उसकी मौत हुई। आश्चर्य की बात है कि घटना की गंभीरता के बावजूद कार्रवाई केवल निचले स्तर के चार पुलिसकर्मियों तक सीमित रही — तीन हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल को निलंबित किया गया, लेकिन थानाधिकारी और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

व्यापारी संघ और स्वर्णकार समाज का कहना है कि यह पुलिस की दबंगई और पक्षपातपूर्ण रवैये का ताजा उदाहरण है, जहां ‘बलि का बकरा’ बनाने के लिए छोटे कर्मचारी निशाने पर हैं, जबकि आदेश देने वाले ऊपरी अफसर सुरक्षित बैठे हैं।
गवाहों के अनुसार, खूबचंद ने खुद पुलिस को दुकान के सीसीटीवी फुटेज चेक करने की पेशकश की थी, लेकिन पुलिस ने फुटेज देखने की जहमत भी नहीं उठाई और उन्हें जबरन गाड़ी में बैठाकर थाने ले गई। कुछ घंटों बाद परिवार को फोन आया — “कैमरे चेक करने की जरूरत नहीं, कांकरोली आ जाओ” — और फिर यह खबर कि व्यापारी की मौत हो गई।
चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ तीन दिन पहले ही ऋषभदेव थाने में भी चोरी का माल खरीदने के आरोप में एक व्यापारी की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। लगातार दो ऐसी घटनाओं ने राजस्थान पुलिस की पूछताछ पद्धति, हिरासत में मानवाधिकारों और अफसरशाही की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
व्यापारी संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन और उग्र होगा। यह मामला अब सिर्फ एक व्यक्ति की मौत का नहीं, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भरोसे के संकट का बन चुका है।
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