सीसीआरटी क्षेत्रीय केंद्र में ग्रीष्मकालीन शिविर इंद्रधनुष-2025 : रचनात्मकता और संस्कृति के संगम से बच्चों में नई चेतना का संचार

उदयपुर। भारतीय संस्कृति और कला को नई पीढ़ी तक पहुँचाने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम के रूप में सीसीआरटी (सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्सेज एंड ट्रेनिंग) क्षेत्रीय केंद्र, उदयपुर द्वारा ‘इंद्रधनुष-2025’ ग्रीष्मकालीन शिविर की शुरुआत हैप्पी होम उच्च माध्यमिक विद्यालय, प्रतापनगर, उदयपुर के सहयोग से की गई। यह शिविर 2 से 12 जून, 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें बच्चों को विविध पारंपरिक कलाओं एवं शिल्पों से रूबरू कराया जाएगा।

संस्कृति और सृजनात्मकता का सेतु
शिविर का उद्घाटन समारोह अत्यंत उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। सीसीआरटी के परामर्शक ओम प्रकाश शर्मा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा,“यह शिविर केवल प्रशिक्षण का माध्यम नहीं, बल्कि बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों, कलात्मक संवेदनशीलता और रचनात्मक सोच के साथ जोड़ने का एक प्रयास है।”

उनके अनुसार, ‘इंद्रधनुष’ शिविर का उद्देश्य बच्चों को केवल कला सिखाना नहीं है, बल्कि उन्हें अपनी परंपराओं से जोड़ते हुए नवाचार के लिए प्रेरित करना भी है।

विशेषज्ञों की टोली से प्रशिक्षण
शिविर में देश की विविध लोककलाओं और पारंपरिक शिल्पों के आठ अनुभवी विशेषज्ञ बच्चों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। क्षेत्राधिकारी अभीक सरकार ने जानकारी दी कि शिविर में निम्न विशेषज्ञों की सहभागिता हो रही है:

ओम प्रकाश कुमावत – लोक नृत्य

विलास जानवे – मूकाभिनय (Mime)

मनोहर लाल कुम्हार – मृण शिल्प (Terracotta)

कैलाश खटीक – पेपर मेशी (Paper Mache)

पुरुषोत्तम – माँड़ना कला (Rangoli-style folk art)

मोहम्मद समीर – बांधनी (Bandhani tie-dye)

प्रेम देवी मालवीय – प्राकृतिक अपशिष्ट से खिलौने निर्माण

नीलोफर मुनीर – पतंग निर्माण कला

प्रशिक्षण सत्र प्रतिदिन सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक आयोजित हो रहा है। बीच में प्रतिभागियों के लिए पोषणयुक्त अल्पाहार की भी व्यवस्था की गई है।

पहले दिन से दिखा उत्साह और जिज्ञासा
शिविर के पहले ही दिन बच्चों ने भारी उत्साह के साथ भाग लिया और विभिन्न कलाओं को जानने के प्रति गहरी रुचि दिखाई। मिट्टी की मूर्तियाँ बनाना, रंगों से खेलना, नृत्य की भावभंगिमाएँ सीखना और अपनी पतंग को स्वयं डिजाइन करना – बच्चों के लिए यह अनुभव न केवल आनंददायक रहा बल्कि आत्मविकास की दिशा में एक सशक्त कदम भी रहा।

अभिभावकों की भागीदारी और पंजीकरण में रुचि
स्थानीय अभिभावकों द्वारा शिविर की सराहना करते हुए अधिक संख्या में बच्चों को पंजीकृत कराने की मांग की गई। इसके मद्देनजर आयोजकों ने 3 जून, 2025 तक पंजीकरण की प्रक्रिया को जारी रखने का निर्णय लिया है, जिससे अधिक से अधिक बच्चे इस अनूठे सांस्कृतिक सफर में सम्मिलित हो सकें।

समापन समारोह: प्रतिभाओं की प्रस्तुति
12 जून, 2025 को शिविर का समापन एक भव्य समारोह के साथ होगा, जिसमें बच्चों द्वारा सीखी गई विधाओं का प्रस्तुतीकरण किया जाएगा। लोकनृत्य, मूकाभिनय, पारंपरिक शिल्प और अन्य कलाकृतियाँ दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत की जाएँगी। इस अवसर पर सीसीआरटी के वरिष्ठ अधिकारी एवं अतिथि उपस्थित रहेंगे।

सभी प्रतिभागियों को संस्कृति मंत्रालय (सीसीआरटी) की ओर से प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा, जो उनकी सृजनात्मक यात्रा का एक मान्य प्रमाण होगा।

संस्थान का स्वागत व अभिनंदन
शिविर के उद्घाटन समारोह की शुरुआत में हैप्पी होम उच्च माध्यमिक विद्यालय, प्रताप नगर की निदेशक डॉ. सुषमा अरोड़ा ने समस्त प्रशिक्षकों, अधिकारियों और अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा, “इस प्रकार के शिविर बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, जहाँ वे न केवल कला सीखते हैं बल्कि आत्मविश्वास, अनुशासन और सांस्कृतिक जागरूकता भी प्राप्त करते हैं।”

इंद्रधनुष-2025 ग्रीष्मकालीन शिविर निस्संदेह उदयपुर के बच्चों के लिए एक बहुआयामी अवसर है, जहाँ वे अपने भीतर की कल्पनाशीलता को पहचानते हुए भारतीय संस्कृति की बहुरंगी छवियों से जुड़ सकेंगे। यह शिविर बच्चों में सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करने और उन्हें आत्म-प्रकाश की ओर ले जाने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है।

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