राजसमंद। राजपुरा दरीबा कॉम्प्लेक्स, राजसमंद में 49वें माइंस सुरक्षा सप्ताह 2025 के अवसर पर आयोजित तकनीकी कार्यशाला और एक्ज़ीक्यूटिव बॉडी मीटिंग माइनिंग सेक्टर में सुरक्षा मानकों को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई। हिन्दुस्तान ज़िंक के जावर माइंस द्वारा आयोजित इस आयोजन में देशभर की 66 प्रमुख औद्योगिक कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, और ‘सुरक्षित ब्लास्टिंग प्रथाएं’ विषय पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य केवल खनन दुर्घटनाओं में कमी लाना ही नहीं था, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी था कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से कार्यस्थल की सुरक्षा को और अधिक मज़बूती मिले।
ब्लास्टिंग की तकनीक पर केंद्रित रहा फोकस
उप खान सुरक्षा निदेशक (उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र), विशाल गोयल के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला का मूल उद्देश्य वर्तमान ब्लास्टिंग प्रक्रियाओं की समीक्षा और उनमें व्याप्त खतरों की पहचान करना था। खदानों में अनियंत्रित विस्फोट की घटनाएं अकसर जान-माल के लिए गंभीर खतरा बन जाती हैं। ऐसे में, ब्लास्टिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित, वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से सुरक्षित बनाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
“जैसे बिजली का अनियंत्रित उपयोग खतरनाक है…” – टॉम मैथ्यू
मुख्य अतिथि खान सुरक्षा निदेशक टॉम मैथ्यू ने अपने संबोधन में कहा, “खनन हर उद्योग की रीढ़ है, और इसके मूल में ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग का कार्य आता है। जैसे बिजली का अनियंत्रित उपयोग खतरनाक हो सकता है, वैसे ही अनियंत्रित ब्लास्टिंग जानलेवा साबित हो सकती है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि हर खननकर्मी को ब्लास्टिंग से संबंधित तकनीकी जानकारी और सुरक्षा प्रक्रियाओं की गहन समझ होनी चाहिए।
तकनीक और सहयोग : माइनिंग सुरक्षा का भविष्य
कार्यशाला में हिन्दुस्तान ज़िंक की ओर से राजपुरा दरीबा कॉम्प्लेक्स के IBU CEO बलवंत सिंह राठौड़ ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने बताया कि उन्नत ब्लास्टिंग तकनीकों और विस्फोटक कंपनियों जैसे ओरिका के अनुभवों को साझा कर, ज़ीरो डैमेज और ज़ीरो फेटलिटी जैसे लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सार्थक पहल की जा रही है।
राठौड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि सहयोगात्मक शिक्षा और प्रशिक्षण के ज़रिए न केवल दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है, बल्कि उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि संभव है।
प्रमुख कंपनियों की भागीदारी : सामूहिक जिम्मेदारी की मिसाल
इस कार्यशाला में वंडर सीमेंट, नुवोको विस्टास, इंडिया सीमेंट, जेके लक्ष्मी सीमेंट, बिड़ला सीमेंट वर्क्स, खैतान बिज़नेस कॉर्पोरेशन, राजस्थान बेराइट्स, अरावली पॉलियार्ट जैसे प्रतिष्ठित औद्योगिक समूहों ने भाग लेकर यह स्पष्ट कर दिया कि माइनिंग सेक्टर में सुरक्षा अब केवल एक ‘कानूनी आवश्यकता’ नहीं बल्कि एक ‘नैतिक जिम्मेदारी’ बन चुकी है।
माइनिंग सुरक्षा को लेकर नया दृष्टिकोण
इस कार्यशाला से स्पष्ट हुआ कि भारतीय खनन क्षेत्र धीरे-धीरे पारंपरिक और जोखिमपूर्ण तरीकों से आधुनिक, डेटा-ड्रिवन और मानव-केंद्रित सुरक्षा मॉडल की ओर बढ़ रहा है। जहां पहले उत्पादन ही प्राथमिक लक्ष्य होता था, अब “सेफ्टी फर्स्ट, आउटपुट सेकंड” की सोच उद्योगों में तेज़ी से जगह बना रही है।
विस्फोटकों के सुरक्षित भंडारण, इलेक्ट्रॉनिक डिटोनेशन सिस्टम, बफर ज़ोन की वैज्ञानिक योजना और रियल-टाइम निगरानी जैसे विषयों पर विशेष सत्र आयोजित हुए, जो माइनिंग स्थलों पर लागू की जा सकने वाली प्रायोगिक रणनीतियों के रूप में उभर रहे हैं।
शब्दों से क्रियान्वयन तक का सफर जरूरी
हिन्दुस्तान ज़िंक द्वारा आयोजित यह आयोजन अपने उद्देश्य, भागीदारी और तकनीकी गहराई के चलते एक “एक्शन-ओरिएंटेड प्लेटफॉर्म” बनकर उभरा है। अब यह ज़रूरी है कि कार्यशाला में हुए विमर्श और सुझाव जमीनी क्रियान्वयन तक पहुंचाया जाए।
खनन उद्योग में सुरक्षा कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है — और इस कार्यशाला ने यही संदेश पूरे खनन समुदाय को प्रभावी ढंग से दिया है।
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