
उदयपुर। शायराना के संग गूंजा भक्ति रस का इज़हार।
27 जुलाई की वो संजीदी दोपहर,
जब ऐश्वर्या कॉलेज बना सूफ़ियाना दरबार।
भक्ति और सूफ़ी के रंग में रँगी महफ़िल ऐसी सजी,
कि सरस्वती वंदना से शुरू हुई, और आत्मा तक जा पहुँची।
मनोज गीतांकर ने जब मंच को सजाया,
हर स्वर ने सागर सा भक्ति का बहाव लाया।
संगीत की रूहानी वाणी में, प्रभा पालीवाल ने गाया,
“नाम तेरा तारण हारा” सुन, मन हर एक का मुस्काया।
राजसमंद से आए सैक्सोफोन के साज़ पर,
छोटू लाल की धुनों ने भक्तों को झूमने को किया तैयार।
जय हो शंकराय की गूंज लेकर आईं लक्ष्मी वासवानी,
और एस.डी. कौशल ने भजन से सजाई आत्मा की कहानी।
ललित गोयल ने जब गाया, “अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो”,
तो मानो द्वारकाधीश ख़ुद उतर आए थे उस मोड़ पर वो।
उत्पल नरेश सिंह चौहान के सूफ़ी गीत ने आँखों की खामोशी को आवाज़ दी,
“तु बात करे न करे, आँखों से ही आरती सजती रही।”
हिरांश वर्धन, नन्हे फ़रिश्ते की सूरत में,
“आज इबादत मेरी रूबरू” कह कर महफ़िल में छा गए पूरी सूरत में।
मनोज आंचलिया ने शायरी में जब खुदा का ज़िक्र किया –
“किसी की आँख में आँसू, खुदा देखता रहे”,
तो जज़्बातों का समंदर श्रोताओं की आंखों से बह निकला।
महबूब खान ने बुल्ले शाह और ख़ुसरो का रूहानी कलाम सुनाया,
तो दिलों ने सजदा किया और वाह-वाह से हर कोना गूंजाया।

अशोक आसवानी ने “सुख के सब साथी…” जब सुनाया,
तो हर दिल को राम नाम का सहारा नजर आया।
हेमंत सूर्यवंशी का राम भजन सुन,
हर मन राम की ओर खुद-ब-खुद मुड़ गया उस पल में।
कबीर के दोहे जब निषित चपलोत ने सुनाए,
तो लगा जैसे सदियों पुरानी साधना फिर से लौट आए।
मनोहर लाल मुखिया ने “ओ दुनिया के रखवाले” गाया,
तो दर्द ने भी खुद को उनके सुरों में पिघलाया।
डॉ आनंद श्रीवास्तव और प्रभा पालीवाल की जोड़ी ने
“मैली चादर ओढ़ कर” ऐसा सुना दिया,
कि दरबार भी झुकने को मजबूर हो गया।
डॉ. राजकुमार राज ने जब “दर्पण” पर वैज्ञानिक कविता सुनाई,
तो भक्ति और विज्ञान का अद्भुत संगम दिखाई दिया।
अजीत सिंह खींची की “आदमी को आदमी की तरह” की पुकार,
मानवता के मंदिर की घंटियों सी गूंजती रही बारम्बार।
विष्णु वैष्णव और गुलज़ार चित्तौड़ी की कलामों ने
चित्तौड़ की सरज़मीं से सूफ़ी की खुशबू फैलाई।

धर्मेंद्र शर्मा, मंजूर हुसैन, पी आर सालवी –
इन सभी ने मिलकर जब भक्ति का सुर छेड़ा,
तो हर दिल ने कहा – ये महफ़िल तो खुदा का बसेरा।
हेमंत पालीवाल ने “मत कर माया पर अभिमान…”
ऐसा गाया, जैसे कबीर का ज्ञान फिर से जगा इंसान।
🎶 कार्यक्रम प्रभारी उत्पल नरेश सिंह चौहान ने जो ऐलान किया –
कि श्रेष्ठ गायकों संग देशभक्ति एल्बम जल्द ही होगा तैयार,
तो हर प्रतिभा में उम्मीद का सूरज फिर से चमका बारंबार।
कार्यक्रम के संचालन में जब आंचलिया और आभा सिरसीकर साथ आए,
तो शब्द और संगीत दोनों ने मिलकर नया संसार बसाया।
आभा जी ने रागों की बारीकी से जब भक्ति को बाँधा,
तो हर मन ने रियाज़ के सागर में गोते लगाया।
मु
ख्य अतिथि श्री गोपेश भट्ट शर्मा, हरियाली के रखवाले,
और विशिष्ट अतिथि राकेश माथुर, ग़ज़लों के उजाले।
उन्होंने पाँच श्रेष्ठ प्रस्तुतियों को सम्मान पत्रों से नवाज़ा,
और हर प्रतिभागी को शायराना उदयपुर ने स्नेह-स्मृति में साज़ा।

समाप्ति पर भी ये महफ़िल पूरी ना हुई,
क्योंकि भक्ति की रूह अभी भी हवाओं में तैर रही थी कहीं।
उदयपुर की शाम ने उस दिन खुद से कह दिया –
ये शायराना सावन, दिलों में बरसता रहेगा हर दिशा।
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