
उदयपुर सेक्टर 14 । रिमझिम बारिश की बूंदें थीं, सुरीले सुरों की सिहरन थी, और संगीत के रसिकों की भीड़ थी — इस संगम ने शहर में एक नई सांगीतिक सुबह की दस्तक दी। स्वरांजलि म्यूजिक ग्रुप के पहले कार्यक्रम ने रविवार को सेक्टर 14 स्थित रिसोर्ट में संगीत का एक ऐसा कारवां छेड़ दिया, जो सुर, सरगम और सनातन संस्कृति का समर्पित स्वरूप बन गया।
जब सुर साधकों ने बांधा समां…
स्वरांजलि के संस्थापक विकास स्वर्णकार ने बताया कि भले ही शहर में संगीत के कई मंच हैं, पर ये समूह विशुद्ध गायकी और शुद्ध भावनात्मक प्रस्तुति के लिए बना है। निष्पक्ष, स्वच्छ और सनातनी भावना से ओतप्रोत इस ग्रुप ने पहले ही आयोजन में सबका दिल जीत लिया।
फुहारों के बीच सुरों की बरसात…
कार्यक्रम की शुरुआत नूतन बेदी द्वारा की गई सरस्वती वंदना से हुई। इसके बाद रिसोर्ट के स्वामी गजेंद्र सोनी ने जब गाया – “प्यार दीवाना होता है…” – तो सुरों की बर्फीली हवा बह चली।

योगेश उपाध्याय ने “पर्दा है पर्दा…” और विकास गोड़ ने “मेरे देश प्रेमियों…” गाकर जोश बढ़ाया, वहीं मोहन सोनी की “सुहानी चांदनी रातें…” और विकास सोनी की “नफरत की दुनिया को छोड़कर…” ने श्रोताओं को रोमांचित कर दिया।
प्रीति माथुर का “गाबूजी गाबूजी गम गम…” हो या उमेश माली का भावुक “तेरी उंगली पकड़ के…” – हर प्रस्तुति में भावनाओं की गहराई और सुरों की ऊंचाई देखने को मिली।
हर सुर में छिपी एक कहानी…
क्षितिज चुलेट ने “आशाओं के सावन में…” और दिव्या सारस्वत ने “इस प्यार से मेरी तरफ ना देखो…” गाकर नज़ाकत को छू लिया।
दिनेश थापा ने “ओ हंसिनी…” और सुरेश थापा ने “पुकारता चला हूं मैं…” जैसे गीतों में जमकर वाहवाही बटोरी।
CID सब-इंस्पेक्टर अरविंद सालवी जब गुनगुनाए – “आने से उसके आए बहार…”, और राजेश जी ने “साला मैं तो साहब बन गया…” गाया, तो माहौल में ऊर्जा का संचार हो गया।
गौरव सोनी ने “तुझे सूरज कहूं या चंदा…” में जब सुर मिलाया, तो श्रोता झूमने लगे। सुशील वैष्णव, निशा गौड़, नारायण सालवी जैसे नामों ने भी अपने-अपने अंदाज़ में समां बांधा।
गिटार की गूंज और दिल की धड़कन…
बेंगलुरु से आए पंकज और नीरज आर्य की गिटार प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही तारों पर उंगलियां चलीं, फिज़ाओं में संगीत बिखर गया।
सुमित गर्ग का “दिल संभल जा जरा…”, निशा कौशिक का “दिल तो है दिल…”, बालेश गोड़ का “वादियां मेरा दामन…”, अरुण चौबीसा का “सारंगा तेरी याद में…”, धर्मेंद्र वैष्णव का “दिल हूं हूं करे…” और विपिन अग्रवाल का “तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है…” — हर गीत दिल के तार छेड़ता रहा।
पुष्कर नायक ने “मेरी भीगी भीगी सी…” गाकर रोमांच की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया।
सावन झूमा और अंत में भक्ति में रंगा समापन…
नूतन बेदी और अरुण चौबीसा की युगल प्रस्तुति “सावन का महीना…” जब गूंजी, तो ऐसा लगा मानो खुद सावन संगीत की ताल पर नाच उठा हो।
और समापन में राम प्रकाश गोड़ के विशुद्ध भजन ने समारोह को पूर्ण आध्यात्मिक सौंदर्य प्रदान किया।
स्नेहभोज के साथ सुखद अंत
कार्यक्रम के पश्चात सभी प्रतिभागी और श्रोता बरसात की ठंडी फुहारों में डूबे हुए संगीत की मस्ती के साथ स्नेहभोज का आनंद लेते रहे।
आगे भी जारी रहेगा सुरों का सफ़र…
संस्थापक विकास सोनी और गजेंद्र सोनी ने बताया कि इस तरह के आयोजन हर माह संगीत प्रेमियों के लिए आयोजित किए जाएंगे, जिससे सुर साधकों को मंच और समाज को सौंदर्य, शांति और संस्कृति का सन्देश मिलता रहे।
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