
उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा द्वारा माफी मांगने के बावजूद छात्र आंदोलन जारी है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर माफी की वास्तविक मायने क्या हैं।
प्रदेश सरकार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर एवं उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने जयपुर में पूछे गए सवाल पर कहा था कि कुलगुरु ने माफी मांग ली है, इसलिए इसे और आगे बढ़ाना उचित नहीं। वहीं, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने उदयपुर में शनिवार को कहा कि वीसी द्वारा माफी मांगना उनके अपराधबोध का संकेत है।
आंदोलन जारी रहने की वजह क्या है?
छात्रों के आंदोलन के पीछे की वजह अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है। आमतौर पर विश्वविद्यालयों में ऐसे आंदोलनों के पीछे सामाजिक, राजनीतिक और सामुदायिक कारण भी होते हैं। यही कारण है कि उदयपुर में कुलगुरु के खिलाफ आंदोलन की जटिल और अलग कहानी होने की आशंका है।
प्रशासनिक भवन के बाहर छात्रों और पुलिस में झड़प
शनिवार को एनएसयूआई के छात्रों ने प्रशासनिक भवन में प्रवेश की कोशिश की, जिससे पुलिस और छात्रों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। भारी पुलिस बल को मौके पर तैनात कर स्थिति को नियंत्रित किया गया। सर्व समाज, एबीवीपी और एनएसयूआई के पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रशासनिक भवन के बाहर मौजूद रहे।
कुलपति को हटाने तक आंदोलन जारी
छात्रों ने स्पष्ट किया कि जब तक कुलपति को हटाया नहीं जाएगा, यह आंदोलन जारी रहेगा। प्रदर्शनकारियों ने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा और मंत्री जोगाराम पटेल द्वारा कुलपति के माफी मांगने और मामले को आगे न बढ़ाने के बयान पर भी नाराजगी जताई।
भूख हड़ताल और स्वास्थ्य संकट
कुलपति को हटाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एनएसयूआई के छात्रों में से एक छात्र कैलाश की तबीयत बिगड़ गई, जिसे तत्काल 108 एम्बुलेंस से एमबी हॉस्पिटल ले जाया गया।
कुलगुरु ने वीडियो में मांगी माफी
कुलगुरु प्रो. सुनीता मिश्रा ने हाल ही में एक वीडियो जारी कर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि 12 सितंबर को ‘विकसित भारत का रोडमैप’ विषय पर आयोजित सेमिनार में उनके कुछ वक्तव्य भूलवश बोले गए। कुलगुरु ने मेवाड़ की जनता और राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना से क्षमा मांगी और कहा कि उनके वक्तव्य से सर्वसमाज, विशेषकर राजपूत समुदाय की भावनाओं को जो आघात पहुंचा, उसके लिए वह खेद प्रकट करती हैं।
माफी के बावजूद छात्रों का यह आंदोलन यह दर्शाता है कि विश्वविद्यालयों में सिर्फ शब्दों से समस्या हल नहीं होती। छात्रों और प्रशासन के बीच भरोसे और संवाद की कमी, आंदोलन को जारी रखने के मुख्य कारणों में शामिल हैं।
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