मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ‘मातृ भू-सेवक’ की मानद उपाधि से किया गया अलंकृत

आचार्य सुंदर सागर जी महाराज की दिव्य देशना कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हुए शामिल

जैन धर्म जीवन जीने की कला, 24 तीर्थंकरों ने मानव जाति को दिखाया सही मार्ग राज्य सरकार जैन तीर्थाें के विकास के लिए प्रतिबद्ध – भजनलाल शर्मा

जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि परम पूज्य सुंदर सागर जी महाराज ज्ञान और अहिंसा का दीपक जलाते हुए समाज का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। उनका जीवन त्याग, तपस्या और करूणा का अद्भुत समन्वय है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार सभी धर्मों के विकास और संरक्षण के लिए समर्पित है। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे जैन मुनियों के उपदेशों को न केवल सुने, बल्कि उन्हें अपने जीवन में भी उतारें।

शर्मा गुरुवार को सांगानेर कैम्प कार्यालय में आयोजित आचार्य श्री सुंदर सागर जी महाराज की दिव्य देशना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जैन मुनियों का जीवन साधना से पूर्ण है, वे सांसारिक सुखों को त्याग कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हैं। उन्होंने कहा कि परम पूज्य श्री सुंदर सागर जी महाराज के जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्ची महानता विनम्रता, सच्ची शक्ति अहिंसा और सच्चा सुख त्याग में है।

मुख्यमंत्री द्वारा जैन मुनियों की पद वंदना

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सभी संतो की पद वंदना करते हुए उनका हाथ थामे एसएफएस मानसरोवर स्थित आदिनाथ मंदिर से सांगानेर कैम्प कार्यालय के कार्यक्रम में लेकर आए। इस दौरान मार्ग में पुष्प वर्षा एवं बैंड वादन कर उनका स्वागत-अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में श्री शर्मा को ‘मातृ भू सेवक’ की मानद उपाधि से अलंकृत भी किया गया। इससे पहले श्री शर्मा ने एसएफएस मानसरोवर स्थित श्री आदिनाथ मंदिर में दर्शन कर प्रदेश की सुख समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।

जैन धर्म के पंच महाव्रत ने दुनिया को दिया महत्वपूर्ण संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैन धर्म हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। इस धर्म के 24 तीर्थंकरों ने समय-समय पर मानव जाति को सही मार्ग दिखाया है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की सबसे बड़ी विशेषता ‘अहिंसा परमो धर्म’ है। ये एक वाक्य नहीं बल्कि सम्पूर्ण जीवन दर्शन है। आज पूरी दुनिया हिंसा से जूझ रही है और जैन धर्म का यह संदेश वर्तमान परिवेश में और अधिक प्रासंगिक हो जाता है। उन्होंने कहा कि जैन धर्म के पंच महाव्रत- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आज की भौतिकतावादी दुनिया में महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। जैन धर्म हमें बताता है कि सच्चा सुख बाहरी वस्तुओं में नहीं, आन्तरिक संतोष में है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जैन धर्म के मूल्यों एवं शिक्षाओं को प्रसारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जैन समाज के तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए सड़कें, पेयजल, स्वच्छता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए विकास कार्यों को प्राथमिकता दे रही है। कार्यक्रम में श्री शर्मा ने आचार्य श्री सुंदर सागर महाराज के प्रवचनों का श्रवण भी किया।

इस अवसर पर आचार्य सुंदर सागर जी महाराज, आचार्य शंशाक जी महाराज, सहकारिता राज्यमंत्री गौतम कुमार दक, जयपुर ग्रेटर उप महापौर पुनीत कर्णावत सहित जैन मुनि और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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