
राजस्थान सिन्धी संगत और सुरों की मंडली, उदयपुर के साझे इंतेज़ाम में एक बेहद ख़ूबसूरत और दिलकश महफ़िल का ऐहतमाम किया गया। मौक़ा था—सिन्धी सांस्कृतिक दिवस का। यह महफ़िल झूलेलाल भवन, उदयपुर में बड़ी शान-ओ-शौक़त और तहज़ीबी रौनक के साथ मनाई गई।
कार्यक्रम में सिन्धी संस्कृति, ज़बान और रिवायतों की ख़ूबसूरत झलक हर तरफ नज़र आई। समाज के नौजवानों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर शख़्स ने बड़े जज़्बे और मोहब्बत के साथ शिरकत की।

राजस्थान सिन्धी संगत के सदर व साबिक़ राज्यमंत्री हरीश राजानी ने बताया कि नई पीढ़ी तक अपनी तहज़ीब और विरासत पहुँचाने के लिए यह आयोजन हर साल किया जाता है। उन्होंने कहा कि “अब यह कार्यक्रम उदयपुर के सांस्कृतिक कैलेंडर में अपनी ख़ास पहचान बना चुका है।” उन्होंने यह भी इत्तिला दी कि आने वाले महीने में यह महफ़िल समाज के वृद्ध आश्रम ‘सुखधाम’ में भी रखी जाएगी, ताकि बुज़ुर्ग भी इस सांस्कृतिक रौनक का लुत्फ़ उठा सकें।
नन्ही फ़नकार नवनीत पंजाबी बनी महफ़िल की रौनक
इस साल महफ़िल का सबसे बड़ा आकर्षण रहीं अजमेर की नन्ही फ़नकार कुमारी नवनीत पंजाबी—जिनकी मीठी, सुरीली और दिलनशीन प्रस्तुतियों ने पूरे हाल में एक नई रूहानी फिज़ा पैदा कर दी। उनके स्टेज पर आते ही समाजजन में ख़ुशी और जोश की लहर दौड़ गई।
नवनीत के अलावा नामचीन फ़नकार—जितेश आहूजा, डॉ. हर्शा टिलवानी, अशोक परियानी, अंजली जेठानी और कई अन्य कलाकारों ने भी अपनी दिलकश आवाज़ से महफ़िल को चार-चाँद लगा दिए।
लाल झूलेलाल, मुंजी बेडी अथई विच, ठार माता ठार, उहो हथ मथे करे, सिन्धी अबाणी बोली, जिये सिन्ध जैसे मक़बूल गीतों ने समां बाँध दिया। तालियों की गूँज बार-बार पूरे सभागार में फैली रही।
40 से ज़्यादा कलाकारों की शानदार पेशकश — सुरों की मंडली

सुरों की मंडली के संस्थापक सदर मुकेश माधवानी ने बताया कि इस बार 40 से अधिक कलाकारों ने अपनी पेशकशों के ज़रिये सिन्धी लोकगीत, भजन और सांस्कृतिक धरोहर को ज़िंदा कर दिया। उनके मुताबिक— “यह कार्यक्रम सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी ज़बान, लोक-संगीत और रिवायतों की हिफ़ाज़त का एक मुहिम है।”
उन्होंने साफ़ कहा कि यह पूरा आयोजन राजस्थान सिन्धी संगत और सुरों की मंडली की संयुक्त कोशिश थी, जिसमें समाज के हर तबक़े ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
बेहतरीन इंतेज़ाम और ख़ूबसूरत पेशकशें
कार्यक्रम संयोजक रमेश दतवानी ने बताया कि मंच व्यवस्था, कलाकारों का समय निर्धारण और पूरा सांस्कृतिक क्रम बहुत ही तरतीब और अनुशासन के साथ पूरा किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि समाज की बड़ी भागीदारी ने इस कार्यक्रम को और भी शानदार बना दिया।
कई मौकों पर हिंदी गीतों और भजनों की पेशकश भी की गई, ताकि नौजवान पीढ़ी ये संदेश ले सके कि— “दूसरी ज़बानों की ख़ूबसूरती अपनाते हुए भी अपनी असल बोली—सिन्धी—को हमेशा ज़िंदा रखना है।”
समाज के इन लोगों का रहा ख़ास योगदान : इस खूबसूरत महफ़िल में विशेष सेवाएं
रमेश दतवानी, लक्ष्मी आसवानी, कमलेश राजानी ने दीं। कार्यक्रम का संचालन और निर्णायक की ज़िम्मेदारी दुर्गेश चांदवानी और अर्चना चावला ने बेहद ख़ूबसूरती से निभाई।

यहां से आप सिंधी भाषा में पढ़िए…
सिन्धी सांस्कृतिक दिवस ते सजीलु ‘सिन्धी संगीत जी महफ़िल’
उदयपुर। राजस्थान सिन्धी संगत अते सुरन जी मंडली, उदयपुर वसीले झूलेलाल भवन में मिलीजुली तरह एक शानदार अते शानदार साँस्कृतिक महफ़िल जो ऐहतमाम कयो वयो। मौको हो— सिन्धी साँस्कृतिक दिवस।
महफ़िल में सिन्धी तहज़ीब, ज़बान अते रिवायतन जी सुहानी झलक हर पुट नजर आई।
समाज जे नौजवानन खाँ लेइ बुज़ुर्गन ताइं, सबनी बढ़चढ़ के हिस्सा लिहो।
राजस्थान सिन्धी संगत जा सदर अते साबेक राज्य मंत्री हरीश राजानी चव्यो ता यह कार्यक्रम हर साल उहे मकसद साँ आयोजित कयो विंदो, ता असांजी तहज़ीब अते सांस्कृतिक विरासत नई पीढ़ी ताइं पहुंचे। उन्हां चव्यो ता “उदयपुर जे साँस्कृतिक कैलेंडर में हिन कार्यक्रमे खास पहिचान हासिल कयी आहे।”
उन्हां यह भी हिक खबर दिती ता अऋंदा महीने हिन जेहड़ी महफ़िल समाज जे वृद्ध आश्रम ‘सुखधाम’ में भी रखी विंदी, ता बुज़ुर्गन भी सांस्कृतिक खुशीयूँ जो लुत्फ़ उठाई सघन।
नन्ही कलाकार – नवनीत पंजाबी रही कार्यक्रम जी शोभा
हिन साल जो सबण खां वधीक आकर्षण रही अजमेर जी नन्ही फ़नकार कुमारी नवनीत पंजाबी। तिनजी मीठी, सुरिली अते दिलकश पेशकशें सभागार में रूहानी माहौल पैदा करे छड्यो। स्टेज ते आउँदियै ही समाजजन में जोश अते उमंग जी लहर दौड़ी पई।
नवनीत खां सिवाए, मशहूर फ़नकार—जितेश आहूजा, डॉ. हर्शा टिलवानी, अशोक परियानी, अंजली जेठानी अते कहिं कलाकारन भी अपनी आवाज़ जी जादू सां महफ़िल में चार-चाँद लगाया।
लाल झूलेलाल, मुंजी बेडी अथई विच, ठार माता ठार, उहो हथ मथे करे, सिन्धी अबाणी बोली, जिए सिन्ध वगैरा लोकप्रिय गीतन समाजजन के मंत्रमुग्ध कर छोड़ेओ।
तालियूँ जो शोर वारंवार सभागार में गूँजंदो रहीो।
40 खां वधीक कलाकारन जी पेशकश — सुरन जी मंडली
सुरन जी मंडली जे संस्थापक सदर मुकेश माधवानी चव्यो ता हिन साल 40 खाँ वधीक कलाकारन सिन्धी लोकगीत, भजन अते असांजी सांस्कृतिक धरोहर के जन्दा करे दिखायो।
उन्हां चव्यो—“हे आयोजन सिर्फ़ मनोरंजन नाहिं, परगट असांजी ज़बान, लोकसंगीत अते रिवायतन जी हिफ़ाज़त जो मुहिम आहे।”
उन्हां वाज़ेह कयो ता कार्यक्रम राजस्थान सिन्धी संगत अते सुरन जी मंडली जे सामुही तत्वावधान में आयोजित कयो वयो, जिंह में समाज जे हरेक तबके हिस्सा लिहो।
बेहतरीन इंतज़ाम — शानदार महफ़िल
कार्यक्रम संयोजक रमेश दतवानी चव्यो ता मंच व्यवस्था, कलाकारन जो टाइम, अते सांस्कृतिक क्रम—सबकुछ बखूबी, तरतीब साँ पूरे कयो वयो।
समाजजे वसीअ हिस्सा लेने सान कार्यक्रम घणो भव्य अते सफल रहेो।
कहिं ठाईं हिंदी गीत अते भजन भी पेश कया वया, जेह जो मकसद यह हो ता नई पीढ़ी समझी सके ता—“दुनिया जी दूसरी ज़बानन जो आदर करते हुए, असांजी असल बोली — सिन्धी — के हमेशा जन्दा राखेओ।”
इन सदस्यन जो खास योगदान : हिन खूबसूरत कार्यक्रम में रमेश दतवानी, लक्ष्मी आसवानी, कमलेश राजानी जी खास सेवाएं रहीं। कार्यक्रम जो संचालन अते निर्णायक मंडल जी ज़िम्मेदारी दुर्गेश चांदवानी अते अर्चना चावला बहुत खूबसूरती सां निभायी।
यह खबर हरीश राजानी के सौजन्य से
About Author
You may also like
-
प्रेमिका के लिए पत्नी की मर्डर : कोर्ट ने आरोपी पति को सुनाई सजा-ए-मौत
-
उदयपुर में बड़ा हादसा : ढाई घंटे तक लिफ्ट में फंसी रही महिला, रिवर्स चलकर छत से टकराई लिफ्ट—ड्रिल मशीन से दीवार तोड़कर बचाया गया
-
वंदे मातरम विवाद पर अरशद मदनी का बयान : मुसलमानों की देशभक्ति के लिए किसी प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं
-
थाईलैंड–कंबोडिया संघर्ष पर अमेरिका की अपील, युद्धविराम समझौते का पालन करने को कहा
-
मेवाड़ की विरासत पर “प्रेमार्पण” प्रदर्शनी 15 दिसंबर से उदयपुर में शुरू