उदयपुर। शिल्पग्राम के दर्पण प्रेक्षागृह में सितम्बर के पहले रविवार को मंचित प्रसिद्द नाटक “ नट सम्राट ” एक यादगार प्रस्तुति के रूप में दर्शकों को भा गया। दो घंटे के इस नाटक में कई मार्मिक दृश्यों ने संज़ीदा लोगों की आखें भिगो दीं।

इस नाटक की मूल रचना मराठी में ज्ञानपीठ पुरूस्कार प्राप्त प्रसिद्द कवि एवं नाटककार वि.वा. शिरवाडकर( कुसुमाग्रज) ने वर्षों पहले की है, जिसके मराठी में सैंकड़ों प्रदर्शन हुए हैं। बाद में फिल्म भी बनी है। इसी नाटक के हिन्दी में भी काफी सफल प्रदर्शन हो चुके हैं।

“नट सम्राट” एक ऐसे विलक्षण अभिनेता की कहानी है जिसने रंगमंच पर बहुत प्रसिद्धी पाई है। अपने शानदार अभिनय की धाक ज़माने वाले नट –अप्पा बहुत यश और धन कमाते हैं और रंगमंच से अवकाश लेने के बाद वह बहुत प्रेम व आशा के साथ अपनी सारी सम्पत्ति अपनी दोनों संतानों में बांटकर निश्चिंत हो जाते है, किन्तु कालान्तर में अपने पुत्र व पुत्री के कटु व्यवहार तथा अपनी जीवन संगिनी की मृत्यु के बाद अर्द्ध-विक्षिप्तावस्था में बिना बताये घर छोड़कर चले जाते हैं। शेष जीवन एक रंगशाला के बाहर फुटपाथ पर निराश्रित रहकर व्यतीत करते हैं । अपनी गलती का भान होने पर उसके पुत्र व पुत्री परिवार सहित उन्हें वापस ले जाने के लिये आते हैं, किन्तु अप्पा वापस न जाकर बूट पॉलिश करने वाले एक अनाथ बच्चे(राजा ) के साथ ही शेष जीवन बिताने को कृत संकल्प होते हैं।

80 वर्षीय पंडित वासुदेव भट्ट ने नट सम्राट( अप्पा ) की भूमिका में जीवंत अभिनय से जान फूंक दी। असीम ऊर्जा के साथ उन्होंने अलग -अलग प्रसंगों पर, उम्दा अभिनय करते हुए दर्शकों को बांधे रखा। उनकी पत्नी कावेरी की भूमिका में रेखा शर्मा ने बहुत मार्मिक अभिनय किया। अन्य पात्र नन्दा ( सुरेश मोहन) , शारदा ( मनीषा शर्मा),नलू ( सुदर्शिनी माथुर), सुधाकर(दिलीप सिंह नरुका) विठोबा ( मदनलाल शर्मा), कलवणकर दम्पति ( राजीव ‘अंकित और ऋचा पालीवाल), नन्ही( नवीक्षा बज), मंगल ( युवराज सिंह), दर्शक-1( विजय मिश्र दानिश), दर्शक-2(कुशलेश वर्मा) ने अपने किरदार के साथ न्याय किया। राजा की भूमिका में शौर्य मिश्रा ने सहज अभिनय से प्रभावित किया।
राम सहाय पारीक ने नाटक की परिकल्पना, निर्देशन और प्रकाश योजना की ज़िम्मेदारी बखूबी से निभाई। मंच सज्जा में संजय मिश्रा, रूप सज्जा में भुवनेश भटनागर, वेशभूषा में अभिषेक बज, ध्वनि प्रभाव में धनेश वर्मा , मंच व्यवस्था में कृष्ण गोस्वामी और हेमान मिश्रा का सहयोग रहा।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता के अनुसार रंगमंच को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से रंगशाला के तहत, हर माह के पहले रविवार को नाट्य मंचन होता है। कार्यक्रम अधिकारी विलास जानवे ने दर्शकों का स्वागत किया और कलाकारों का परिचय दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. लईक हुसैन, श्री मनीष गोयल, श्री एच. एल. कुनावत एवं प्रो. परितोष दुग्गड़ ने नाट्य निर्देशक राम सहाय पारीक को केन्द्र का पोर्ट फोलियो भेंट किया।
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