पांचवी दो दिवसीय वर्ड फिजियोथेरेपी कांग्रेस का हुआ समापन
फिजियोथेरेपी से गंभीर बीमारियों का इलाज बिना साइड इफेक्ट संभव-प्रो सोडानी
उदयपुर। कोविड के पूर्व और उसके बाद टेली हैल्थ के संदर्भ में हेल्थकेयर सिस्टम में आए बदलावों और फिजियोथैरेपी के परिदश्य पर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक फिजियोथेरेपी चिकित्सा महाविद्यालय की ओर से रविवार को प्रतापनगर स्थिति आईटी सभागार में आयोजित पांचवी दो दिवसीय वर्ल्ड फिजियोथेरेपी कांग्रेस के समापान सत्र के मुख्य अतिथि डॉक्टर कैलाश सोडाणी कुलपति (वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा) ने कॉविड काल के दौरान फिजियोथेरेपिस्टों की सराहनीय और सकारात्मक भूमिका पर बोलते हुए कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र की इस विद्या के कार्याें और आशाजनक परिणामों से देश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई छवि निर्मित हुई है।
फिजियोथेरेपी के द्वारा आज गंभीर बीमारियों का भी इलाज संभव हो पाया है। साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। फिजियोथेरेपी के माध्यम से जनस्वास्थ को ओर भी अच्छा बनाने के लिए इसके मूलभूत सिद्वान्तों को विद्यालयी शिक्षा में जोड़ कर बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते है।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि कोरोना के दौरान फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति उपयोगी सिद्ध हुई है । कॉविड के समय की परिस्थितियों और उसके बाद के प्रभावों ने नई नई चिकित्सा तकनीकों की ओर हम सभी का ध्यान खीचा है। उसमें टेलीहैल्थ भी उनमें से एक है। फिजियोथेरेपी के साथ टेलीहैल्थ-टेलीरिहेब आज के समय की बहुत बड़ी मांग है। जिस तरह से जीवनचर्या में बदलाव देखने में आ रहा है ऐसे में स्वयं को स्वस्थ और फीट रखना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं हैं और ऐसे चुनौतिपूर्ण समय में फिजियोथेरेपी और टेलीहैल्थ- टेलीकम्यमूनिकेशन एक ऐसा जरिया बन कर उभरा है जो सहज और सरल इलाज का पर्याय बनता जा रहा है।
थोड़ी जागरूकता को अपना कर हम इस विद्या का लाभ उठा कर स्वस्थ जीवन की डगर पर चल सकते है।
विशिष्ट अतिथि विद्यापीठ के कुलप्रमुख भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि भारतीय चिकित्सा परंपरा में फिजियोथेरेपी बहुत ही प्राचीन पद्वति है जो वर्तमान के नवीन तकनीकी ज्ञान के साथ जुड़ कर आधुनिक चिकित्सा में अपना अहम योगदान दे रही है।
आयोजन सचिव डॉ. शैलेन्द्र मेहता ने बताया कि समापन सत्र में फिजियोथेरेपी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले डाक्टर्स को विभिन्न अवार्डो से नवाजा गया। है। कॉन्फ्रेंस में 300 से अधिक शोध पत्रों, 15 मॉडल तथा 60 पोस्टर का वाचन व प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा रोशन लाल मीणा द्वारा लिखित इलेक्ट्रोपेथी-प्रिंसिपल एंड प्रेक्टिस तथा डॉ अंजलि त्रिपाठी और डॉ युधिष्ठिर पंवार द्वारा लिखित इलेक्ट्रोपेथी पॉकेट गाइड का भी विमोचन किया गया।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में विदेशों से आए 11 रिर्सोसपर्सनस और विषय विशेषज्ञों के साथ गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट, उड़ीसा, केरल, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली उत्तरप्रदेश, मघ्यप्रदेश, आदि राज्यों से आए प्रतिभागियों ने फिजियोथैरपी विधा के अनुभव साझा किया।
इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपी के अध्यक्ष डॉ. संजीव झा ने कहा कि चिकित्सा की एक ऐसी विद्या जो बीमारी नहीं होने, किसी प्रकार का कोई साईड इफेक्ट नहीं हो तो उसके प्रति विश्वास और जुड़ाव दोनों ही बढ जाते हैं यही बदलाव फिजियोथेरेपी के प्रति देखने में आया है। भागदौड़ भरी और थकान से भरी जिन्दगी में खुद को तन्दुरूस्त रखने के लिए फिजियोथेरेपी से बेहतर कुछ भी नहीं। हमें फिजियोथेरेपी को हमारे जीवन का हिस्सा बनाना होगा जिससे बीमार होने से बचा जा सके और सम्पूर्ण समाज को फीट रखा जा सके। इसके लिए आईएमपी के बेवसाइड पर 200 से ज्यादा फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाएं निशुल्क उपलब्ध है। जिसका लाभ लेकर जीवन को स्वस्थ बना सकते है।
केनेडियन मेडिकल एण्ड रिहैबिलिटेशन आबूदाबी, बेलजीयम से आए डॉ जुसेपीरेग्नो -पेरिफिरल एंड स्पाइनल ज्वाइंट मेनिपुलेशन के संदर्भ में ऑस्टियोपेथी-विसरल मेनिपुलेशन टेकनीक के बारे में कार्यशाला में जानकारी देते हुए बताया कि ये तकनीक विसरा और उसके टिशूज की गति और टोन को बढ़ाने वाली टेकनीक है जो मरीज की स्थिति के अनुसार उसको विशेषज्ञ द्वारा इलाज प्रदान कर की जाती है। इसमें स्थान विशेष पर दबाव को आधार बना कर कार्य किया जाता है ।
मलेशिया से आई एलिनटेन ये ली ने बताया कि- मैट पिलाटिस ताकत और लचीलेनप का मिश्रण है जो व्यक्ति की मांसपेशियों के प्रभावी संचलन का मानक है। इसमें पेट,पीठ और कोख की मांसपेशियों पर कार्य करते हुए हम मरीज को बेहतर इलाज प्रदान कर सकते है। कोविड के दौरान और उसके बाद जिस तरह की स्थितियों में हम गुजरे है। ऐसे में फिर से मांसपेशियों की कार्यक्षमता को बढ़ाना और उसकी कार्यक्षमता में इजाफा करने में मैट पिलाटिस एक अहम भुमिका अदा कर रही है। बदली हुई लाइफस्टाइल में तो मैट पिलाटिस बहुत कारगर साबित हो रही है। कोविड के बाद जिस तरह से लोगों का रूजान हैल्थ सेक्टर में बढ़ा है मैट पिलाटिस ऐसे में एक वरदान साबित हो रहा है।
संचालन डॉ. प्रज्ञा भटट् ने किया जबकि आभार डॉ. सुमीता ग्रोवर ने जताया।
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