उदयपुर। उदयपुर शहर विधानसभा का एक ऐसा पॉलिटिशियन है, जिसने सियासत तो की, लेकिन किसी को गाली नहीं दी और ना कभी पार्टी से बगावत नहीं की। इस राजनीतिज्ञ का नाम प्रमोद सामर है। पिछले तीन दशक से भाजपा की सियासत में वो सुर्खियों में रहे हैं। पार्टी में हर मंच पर उनको इज्जत मिली, लेकिन योग्य होने के बाद भी उन्हें पार्टी ने एमएलए या एमपी का टिकट नहीं दिया। यह उनकी और पार्टी की बदकिस्मती है।
दरअसल प्रमोद सामर भी इस बार भाजपा के प्रबल दावेदारों में शामिल थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिलने के बावजूद सामर ने कोई रैली नहीं निकाली, सड़क पर या पार्टी के मंच पर किसी तरह का विरोध नहीं जताया। हालांकि उन्हें लोग सहकारिता किंग के नाम से जानते हैं। राजनीतिक विरोधियों ने समय समय पर सामर पर कई तरह के आरोप लगाए, लेकिन साबित नहीं कर सके।
इसके बावजूद भी सामर ने कभी अपने विरोधियों के खिलाफ कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यही वजह है कि वे उदयपुर की राजनीति में अब भी प्रासंगिक बने हुए हैं। सामर ने कई लोगों को सियासत में आगे बढ़ाया, लेकिन उनका कद कम नहीं हुआ।
इससे पहले 2004 में प्रमोद सामर जब पार्षद का चुनाव जीते तो सभापति की दावेदारी की थी, लेकिन रवींद्र श्रीमाली सभापति चुने गए थे, तब भी सामर ने विरोध जताने की बजाय समिति अध्यक्ष पद पर संतोष कर लिया था। हालांकि छात्रसंघ चुनावों से लेकर नगर निगम और पंचायत चुनावों में भी उनकी सक्रियता रहती है।
बुराई तो हर इंसान में होती है, लेकिन राजनीति में प्रमोद सामर के धैर्य से सभी सक्रिय राजनीतिज्ञों को सीखने की जरूरत है।
About Author
You may also like
-
जयपुर टैंकर ब्लास्ट से उदयपुर में छाए मातम के बादल : ड्राइवर की स्थिति गंभीर, खलासी का मालूम नहीं, 22 सवारी घर पहुंची, 8 का अस्पताल में इलाज जारी
-
शहीदे आज़म अशफ़ाक उल्ला खान को मुस्लिम महासंघ ने खिराजे अकीदत पेश की व उनकी याद में 78 स्वेटर वितरित किए
-
वृद्ध महिला की नथ छीनकर फरार हुए बदमाश, पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप
-
उदयपुर पुलिस, यूट्यूबर पत्रकार और स्वास्थ्य अधिकारी : क्या है असल कहानी?
-
शिल्पग्राम महोत्सव 2024 : मणिपुरी लोक नृत्य ‘थौगोऊ जागोई’ और महाराष्ट्र का प्रसिद्ध ‘लावणी’ नृत्य करेंगे दर्शकों को मंत्रमुग्ध