विद्या भवन बना विद्यार्थियों की सफलता का आधारस्तंभ
उदयपुर। विद्या भवन संस्थान, जो पिछले 94 वर्षों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं समाजोन्मुखी नागरिकों के निर्माण में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है, ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह सिर्फ एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि एक विचार है—समर्पण, संस्कार और सफलता का।
शनिवार को विद्या भवन ऑडिटोरियम में आयोजित “संभाग स्तरीय उत्कृष्ट विद्यार्थी सम्मान समारोह” इसी परंपरा की अगली कड़ी रहा, जिसमें उदयपुर संभाग के 47 विद्यालयों के 300 से अधिक विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। ये वे विद्यार्थी थे जिन्होंने 75% से अधिक अंक अर्जित किए हैं।
समारोह के मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक राजेश मीणा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, “शिक्षा जीवन की अक्षय पूंजी है। विद्यार्थी अपने जीवन में बड़े सपने देखें, उन्हें साकार करने की योजनाएं बनाएं और कठिन परिश्रम के साथ अनुशासन को जीवन में उतारें। नैतिक मूल्यों जैसे दया, करुणा, सेवा और परोपकार को अपनाना भी उतना ही आवश्यक है जितना अच्छे अंक लाना।”
संस्थान अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार तायलिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि सफलता किसी विशेष वातावरण या संसाधन की मोहताज नहीं होती।
“हर सफल विद्यार्थी के पीछे उनके माता-पिता की तपस्या छिपी होती है। विद्या भवन उन अभिभावकों को प्रणाम करता है जो अभावों के बीच भी अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए समर्पित रहते हैं।”
संस्थान के मुख्य संचालक एवं पूर्व आईएएस अधिकारी राजेंद्र भट्ट ने कहा कि “विद्या भवन केवल शिक्षा नहीं, संस्कार देता है। यदि बच्चों में पढ़ने, लिखने और खेलने की लगन है, तो जीवन में कोई भी बाधा उन्हें सफल होने से नहीं रोक सकती।”
सीटीएई के डीन डॉ. सुनील जोशी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहकर कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना तभी साकार हो सकता है जब किशोर और युवा वर्ग प्रेरित हो, प्रतिबद्ध हो और शिक्षित हो। उन्होंने विद्या भवन की 94 वर्षों की प्रेरणादायी यात्रा को याद करते हुए कहा:
“यह संस्थान एक ऐसा मॉडल बन चुका है जो समाज, राष्ट्र और वैश्विक स्तर पर जिम्मेदार नागरिक गढ़ रहा है।”
समारोह में विद्या भवन की शिक्षण शैली, मूल्य आधारित शिक्षा प्रणाली, छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण और अभिभावकों के साथ मजबूत संवाद को खूब सराहना मिली। अभिभावकों, शिक्षकों, समाजसेवियों और उद्योगपतियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक सामाजिक पर्व का रूप दे दिया।
कार्यक्रम का संचालन विद्या भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पुष्पराज सिंह राणावत ने किया, और आभार ज्ञापन डॉ. दीपक गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किया गया।
विद्या भवन एक बार फिर यह सिद्ध कर सका कि शिक्षा केवल किताबों में नहीं, बल्कि विचारों, संस्कारों और प्रेरणाओं में बसती है — और यही कारण है कि यह संस्था हर वर्ष सैकड़ों विद्यार्थियों के जीवन को दिशा देने वाली मशाल बनती जा रही है।
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