कटारिया के न होने का असर : नगर निगम बोर्ड बैठक में वो सबकुछ देखने को मिला जो पहले कभी नहीं दिखा : अहंकार, गुटबाजी, अनुशासनहीनता और हिंदू-मुस्लिम

उदयपुर। नगर निगम की गुरुवार को हुई बोर्ड बैठक में कुछ ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इस बैठक में भाजपा के भीतर अहंकार, गुटबाजी, और हिंदू-मुस्लिम मुद्दे के साथ-साथ अनुशासनहीनता भी चरम पर दिखाई दी।

बैठक में सबसे पहले अहंकार का प्रदर्शन देखने को मिला जब उपमहापौर पारस सिंघवी ने कांग्रेस के एक पार्षद को अपमानजनक तरीके से यह याद दिलाया कि वह लगातार छह बोर्ड चुनावों में हार चुके हैं और विधायक तथा सांसदी के चुनावों में भी हार का सामना कर चुके हैं। सिंघवी ने उन्हें चुनौती दी कि वे उस वार्ड से जीतकर दिखाएं जहाँ मुस्लिम आबादी न हो। इस पर कांग्रेस के पार्षद हिदायतुल्ला ने उन्हें उसी वार्ड से लड़ने की चुनौती दी। इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट हुआ कि पहले कभी किसी नेता ने अपनी जीत पर इतना अहंकार नहीं दिखाया, जबकि राजनीति में अहंकार कई बड़े नेताओं को बर्बाद कर चुका है।

दूसरी ओर, भाजपा के भीतर गुटबाजी भी खुलकर सामने आई। समिति अध्यक्ष मनोहर चौधरी और दूसरे समिति अध्यक्ष छोगालाल भोई के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जहाँ भोई ने चौधरी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘चोर’ कह दिया। जवाब में चौधरी ने भोई पर हमला करते हुए कहा कि अतिक्रमण समिति के अध्यक्ष होने के बावजूद वे चार मकान तक नहीं हटा पाए। इस दौरान कचरा उठाने वाली गाड़ियों के ठेके का भी मुद्दा गरमाया और दोनों पक्षों में तीखी बहस हुई।

बैठक में अनुशासनहीनता की सभी सीमाएँ पार हो गईं। पार्षद प्रशांत श्रीमाली और छोगालाल भोई के बीच बहस इस कदर बढ़ी कि दोनों एक-दूसरे पर अंगुलियां उठाने लगे, और विधायक फूलसिंह मीणा को बीच-बचाव करना पड़ा।

इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि कटारिया की अनुपस्थिति में पार्टी के अनुशासन में भारी कमी आई है। उदयपुर के इस नगर निगम बोर्ड की यह बैठक राजनीति के उन सभी नकारात्मक पहलुओं को उजागर करती है, जिन्हें कटारिया की उपस्थिति में शायद ही कभी देखा गया हो।

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