मेवाड़ विरासत पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन
उदयपुर। राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय के चित्रकला विभाग के निर्देशन में, सूचना केंद्र में महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन और नमस्ते इंडिया फाउंडेशन पुणे के संयुक्त तत्वावधान में मेवाड़ विरासत पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन ने मेवाड़ की समृद्ध संस्कृति और विरासत को कला के माध्यम से प्रस्तुत करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मंगलम आर्ट के श्याम रावत ने इस प्रतियोगिता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल हमारी विरासत को सहेजने का प्रयास है, बल्कि आज की युवा पीढ़ी को हमारे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट प्रयासों के लिए बधाई दी। विशिष्ट अतिथि, सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय के संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने कला के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और संस्कृति को संजोने का अवसर मिलता है। साथ ही प्रख्यात मूर्तिकार हेमंत जोशी ने भी प्रतिभागियों को उत्साहित किया और उन्हें कला के क्षेत्र में और अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
चित्रकला विभाग के सहायक आचार्य, डॉ. दीपक सालवी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में कुल 66 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें उदयपुर के विभिन्न कला संस्थानों के विद्यार्थियों के साथ-साथ कई स्वतंत्र कलाकार भी शामिल थे। प्रतियोगिता में मेवाड़ की विरासत, संस्कृति और परंपराओं को विभिन्न कलात्मक दृष्टिकोणों से चित्रित किया गया। इसका उद्देश्य भावी कलाकारों को मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर से अवगत कराना और उन्हें इसे अपनी कला के माध्यम से बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना था।
प्रतियोगिता के विजेताओं में पहला स्थान छवि चित्रोल ने प्राप्त किया, दूसरे स्थान पर दीपिका मेघवाल, अक्सपरी चुंडावत रहे, और तीसरे स्थान पर सुरेश चंद्र जटिया एवं वैशाली वसीटा ने अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। सांत्वना पुरस्कार विजेताओं में रिया तनवानी, कौमुदी लवानिया, निशा जिनगर, ज्योति मीना, विशाखा माली, भारती खोखर, छवी शास्त्री, सुप्रिया जोशी, चेष्ठा माली, नेहल शर्मा, मालिका भटनागर, सलोनी जाटव, उषा भील, और ऋतु गमेती शामिल हैं।
इस कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. मनीष श्रीमाली और सूचना केंद्र के कर्मचारियों द्वारा किया गया, जिन्होंने आयोजन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह प्रतियोगिता न केवल मेवाड़ की कला और विरासत को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण मंच थी, बल्कि यह संस्कृति को सहेजने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी था।
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