गर्मी की छुट्टियों में पढ़ाई और प्रतिभा निखार : हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा संबल शिविर में 1500 से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक सशक्त कदम

गर्मियों की छुट्टियों का नाम सुनते ही अधिकतर बच्चों के मन में घूमने-फिरने, मस्ती और आराम का ख्याल आता है, लेकिन राजस्थान के ग्रामीण इलाकों से आए 1500 से अधिक छात्र इस बार छुट्टियों में कुछ अलग करने की ओर अग्रसर हुए हैं। हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा संबल कार्यक्रम के तहत आयोजित ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविरों ने इन बच्चों के लिए शिक्षा, अनुशासन, कौशल विकास और रचनात्मक गतिविधियों से जुड़ा एक ऐसा मंच तैयार किया है, जो उनके भविष्य की मजबूत नींव रख रहा है।

6 जिलों के छात्र—गुणवत्ता शिक्षा की ओर एकजुट

हिन्दुस्तान जिंक द्वारा राज्य के 6 जिलों—उदयपुर, सलूंबर, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, राजसमंद और अजमेर—के राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत 6वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को लक्ष्य बनाकर इस वर्ष शिक्षा संबल के तहत ग्रीष्मकालीन प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इस बार 1200 छात्र गैर-आवासीय और 300 छात्र आवासीय शिविरों में शामिल हैं।

विद्यार्थी न केवल गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी में दक्षता हासिल कर रहे हैं, बल्कि उन्हें खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों, व्यक्तित्व विकास, ओडियो-विजुअल शिक्षण, और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों से भी जोड़ा जा रहा है।

विद्या भवन सोसायटी के सहयोग से 8वां आवासीय शिविर

विद्या भवन सोसायटी, उदयपुर के सहयोग से आयोजित आठवां आवासीय प्रशिक्षण शिविर इस वर्ष 20 मई से 18 जून तक चल रहा है। इसमें चित्तौड़गढ़, जावर, दरीबा, देबारी, आगूचा और अजमेर से चयनित छात्र भाग ले रहे हैं। कुल 300 से अधिक छात्र, जिनमें कक्षा 8, 10 और 12 (विज्ञान संकाय) के विद्यार्थी शामिल हैं, इस शिविर में विशेषज्ञ शिक्षकों से पढ़ाई कर रहे हैं।

विशेष बात यह है कि बच्चों को पहली बार एक महीने तक घर से दूर रहकर, एक आवासीय अनुशासित वातावरण में शिक्षा, खेल और जीवन कौशल के अनुभवों से रूबरू होने का अवसर मिला है। उनके चेहरों पर उत्साह और आत्मविश्वास इस बात का प्रमाण है कि यह अनुभव उनके जीवन में परिवर्तनकारी भूमिका निभा रहा है।

शिक्षा में नवाचार और आधुनिकता

इस वर्ष आवासीय शिविरों में कई नवाचारों को शामिल किया गया है, जैसे:

  • डिजिटल क्लासरूम और स्मार्ट लर्निंग
  • हैंड्स-ऑन प्रोजेक्ट्स
  • मिट्टी कला और पॉटरी वर्क
  • वेस्ट मटेरियल से क्रिएटिव आर्ट
  • बेसिक रोबोटिक्स और तकनीकी सत्र

ये सभी गतिविधियाँ बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने और उन्हें आधुनिक युग के अनुकूल बनाने की दिशा में सशक्त प्रयास हैं।

20 वर्षों से शिक्षा में सक्रिय योगदान

हिन्दुस्तान जिंक पिछले दो दशकों से शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा संबल कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के बच्चों को सशक्त बना रहा है। यह कार्यक्रम उन सरकारी विद्यालयों में लागू है जहाँ गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे स्कूलों में हिन्दुस्तान जिंक द्वारा विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सुनिश्चित किया गया है।

इस प्रयास से अब तक हज़ारों विद्यार्थी लाभान्वित हो चुके हैं और हर वर्ष इस कार्यक्रम की प्रभावशीलता और पहुंच बढ़ती जा रही है।

शिविर का औपचारिक शुभारंभ

विद्या भवन ऑडिटोरियम में हुए इस शिविर के शुभारंभ समारोह में कई गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:

मुरलीधर चौबीसा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी

अनुपम निधि, हेड – सीएसआर, वेदांता एवं हिन्दुस्तान जिंक

राजेंद्र भट्ट, सीईओ – विद्या भवन सोसायटी

डॉ. कामिनी उपाध्याय, कार्यक्रम समन्वयक

कमल महेन्द्रू, बोर्ड सदस्य – विद्या भवन

अन्य वरिष्ठ सदस्य व शिक्षाविद

इन सभी ने बच्चों को संबोधित करते हुए उन्हें आत्मविश्वास, अनुशासन और निरंतर अभ्यास का महत्व बताया।

सिर्फ शिक्षा नहीं, व्यक्तित्व विकास भी

शिक्षा संबल शिविर केवल अकादमिक ज्ञान तक सीमित नहीं है। यहां बच्चों को संचार कौशल, आत्म-अभिव्यक्ति, समूह में कार्य करना, नेतृत्व गुण, और मूल्य आधारित जीवन की शिक्षा भी दी जाती है। बच्चों को उनके भीतर छिपी प्रतिभा और संभावनाओं को पहचानने और निखारने का अवसर दिया जाता है।

विद्यार्थियों की प्रतिक्रिया: घर से दूर, पर अपनों के बीच

शिविर में भाग ले रहे कई विद्यार्थियों ने बताया कि यह अनुभव उनके लिए अद्भुत है। पहली बार इतने दिनों तक घर से दूर रहने के बावजूद उन्हें कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ क्योंकि शिक्षकों और टीम ने उन्हें प्यार, देखभाल और मार्गदर्शन से एक दूसरे घर जैसा माहौल दिया।

निष्कर्ष: ग्रामीण प्रतिभाओं को नया आयाम

हिन्दुस्तान जिंक का शिक्षा संबल कार्यक्रम यह प्रमाणित करता है कि संसाधनों की कमी के बावजूद यदि इच्छाशक्ति और सही रणनीति हो, तो ग्रामीण भारत के बच्चे भी वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बन सकते हैं।

यह कार्यक्रम न केवल शिक्षा का विस्तार कर रहा है, बल्कि उन बच्चों के सपनों को भी नई उड़ान दे रहा है जो अक्सर अवसरों से वंचित रह जाते हैं। हिन्दुस्तान जिंक का यह प्रयास अन्य औद्योगिक इकाइयों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है।

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