सिर्फ़ एक बेटी नहीं गई, शहर के दिल में खालीपन भर गया

फोटो : कमल कुमावत


उदयपुर। कहते हैं कि आसमान का एक तारा टूटे तो धरती का कोई मासूम आँचल छोड़ देता है। इस बार, उस टूटते तारे का नाम था ध्रुवी बापना, एक ऐसी होनहार लड़की जिसने अपनी काबिलियत से हर दिल में अपनी जगह बना ली थी। हर इम्तिहान में टॉप करने वाली शायरा अब इस जहान के इम्तिहान से हमेशा के लिए आज़ाद हो गई, और उस आज़ादी की वजह पुलिस की वो लापरवाही है जिसे माफ़ करना मुश्किल है।

पुलिस की लापरवाही और हत्या की आशंका को लेकर लोगों ने किया प्रदर्शन।

गुरुवार की वो शाम किसी आम दिन की तरह थी, जब ध्रुवी (19) घर नहीं लौटी तो परिवार वालों ने भूपालपुरा पुलिस थाने में शिकायत की। एक छोटी सी लड़की, जिसके ख्वाबों की दुनिया इतनी बड़ी थी कि उसमें एक बेहतर कल की उम्मीदें थीं। सीए की इंटर्नशिप कर रही थी, हर कदम सोच-समझ कर उठा रही थी। मगर वही पुलिस, जिसने उसे वक़्त रहते ढूँढना था, अपनी सुस्ती और बेरुखी की चादर ओढ़े सोई रही। न जाने कितनी शिकायतें, कितनी दुआएं उनके दफ़्तरों में गुम हो गईं। अगर पुलिस फ़ौरन हरकत में आ जाती, तो शायद आज ध्रुवी ज़िंदा होती।

अगली सुबह वो बड़ी तालाब, जो शहर की बाहरी हदों पर शांति का प्रतीक था, मौत का गवाह बन गया। ध्रुवी की बेजान लाश वहाँ मिली। एक वहशी खामोशी ने पूरे इलाके को ढक लिया। वही तालाब, लबालब होने के बाद जिसे लोगों ने देखकर सुकून महसूस किया था, अब खून से सने सवालों से घिरा हुआ था।

दोनों के शव मिलने का बाद मामला शांत हुआ।

ध्रुवी के घरवाले तो पहले ही उस लड़के (अभिषेक चेलावत) पर शक कर रहे थे, जिसकी लाश भी उसी तालाब में पाई गई। मगर ये सवाल है—क्या ये सच में दो आत्महत्याएं थीं? या फिर कोई और दर्दनाक हकीकत इस परदे के पीछे छुपी हुई है? पुलिस, जो वक्त रहते हर पहलू को खंगाल सकती थी, उन्होंने मामले को प्रेम-प्रसंग का बना दिया, लेकिन इस दोहरे गुनाह की तह में कौन सा राज़ है, कोई नहीं जानता।

लेकिन सबसे ज़्यादा दुख इस बात का है कि इस शहर ने अपनी एक बेटी खो दी। ध्रुवी, हर उस मां-बाप की उम्मीद थी जो अपनी बेटियों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। और दूसरी तरफ उस लड़के के परिवार की भी बर्बादी हो गई, जिनका बेटा भी हमेशा के लिए खो गया। मगर शहर की सिसकियों में सिर्फ ध्रुवी की आवाज़ सुनाई देती है, क्योंकि बेटी हर घर की लाडली होती है।

पुलिस ने इस दर्द को और गहरा कर दिया, उनके बेपरवाह रवैये ने एक हँसते-खेलते परिवार को उजाड़ दिया। अगर वो पहले हरकत में आ जाते, तो शायद आज ये कहानी आँसुओं से नहीं बल्कि खुशियों से लिखी जाती। मगर अब बस एक सवाल गूंजता है—क्या ध्रुवी की मौत का जिम्मेदार कौन है, या फिर वो खामोश पुलिस जिसने उसे बचाने का एक आखिरी मौका भी खो दिया?

शहर के दिल में अब एक खालीपन है, और उस खालीपन को भरने वाली ध्रुवी अब कभी वापस नहीं आएगी।

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