फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद सेना के सम्मान में शुक्रवार शाम उदयपुर में नागरिक तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया। नगर निगम टाउनहॉल परिसर से प्रारंभ हुई इस यात्रा को पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यात्रा में जनप्रतिनिधियों से लेकर स्कूली बच्चों और नागरिकों ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की, वहीं भागीदारी की वास्तविक संख्या को लेकर राजनीतिक चर्चाएं भी तेज़ रहीं।

यात्रा शाम करीब 4:30 बजे शुरू हुई और शहर के विभिन्न हिस्सों से लोगों का हुजूम इसमें शामिल होता चला गया। हाथों में तिरंगा लिए स्कूली बच्चों की स्केटिंग टोली सबसे आगे रही, जिन्होंने देशभक्ति नारों से माहौल को जीवंत कर दिया। ‘वंदे मातरम्’, ‘भारत माता की जय’, और ‘देश के गद्दारों को गोली मारो…’ जैसे नारों से फिज़ा गूंजती रही।

राज्यपाल ने यात्रा में की भागीदारी, दिया विशेष भारत का संदेश
यात्रा को रवाना करते हुए राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भारत अब एक विशेष प्रकार का भारत बन चुका है। हमारी सेना की ताकत इतनी मज़बूत हो चुकी है कि वह किसी भी परिस्थिति का समाधान निकालने में सक्षम है।” उन्होंने यह भी कहा कि तिरंगा यात्रा के ज़रिए देश दुनिया को यह संदेश दिया जा रहा है कि भारत एकजुट है और उसकी सैन्य शक्ति आत्मनिर्भर है।

इस दौरान चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी, उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, भीलवाड़ा सांसद दामोदर अग्रवाल सहित उदयपुर संभाग के कई विधायक और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी यात्रा में मौजूद रहे। भाजपा शहर अध्यक्ष गजपाल सिंह राठौड़, महिला मोर्चा, युवा मोर्चा सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि भी तिरंगा लेकर शामिल हुए।
महिलाओं और बच्चों की बड़ी भागीदारी


यात्रा में महिलाओं और बच्चों की बड़ी भागीदारी देखी गई। स्कूली बच्चों ने न सिर्फ देशभक्ति गीतों के माध्यम से माहौल को जीवंत बनाया, बल्कि स्केटिंग के जरिए शहरवासियों का ध्यान भी खींचा। विभिन्न स्कूलों के शिक्षक, एनसीसी कैडेट्स और सामाजिक संगठनों के सदस्य भी तिरंगा लेकर यात्रा का हिस्सा बने।
जन भागीदारी पर सियासत गर्म
यात्रा में लोगों की संख्या को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच बहस तेज़ हो गई। भाजपा के कुछ नेताओं ने दावा किया कि यात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया, वहीं विपक्षी खेमे ने इसे ‘प्रायोजित भीड़’ करार दिया। यात्रा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए, जिनमें लोगों की भागीदारी देखी जा सकती है। बावजूद इसके, यह बहस बनी रही कि पार्टी की ओर से उतनी भीड़ नहीं जुटाई जा सकी, जितनी होती है।
नारे : ‘वंदे मातरम्’ से ‘गद्दारों को गोली मारो’ तक
यहाँ विरोधाभास स्पष्ट दिखा। जहां एक ओर ‘वंदे मातरम्’, ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे देशभक्ति की भावना को जगाते हैं, वहीं ‘देश के गद्दारों को गोली मारो’ जैसे नारे देश की लोकतांत्रिक संस्कृति पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं। यह नारा राजनीतिक ध्रुवीकरण का परिचायक है, जो अतीत में भी नागरिकता कानून आंदोलन से लेकर चुनावी रैलियों तक देखा गया है।
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था चाक-चौबंद
शहर में यात्रा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन ने पहले से ही रूट डायवर्जन और यातायात नियंत्रण की व्यवस्था लागू कर रखी थी। नगर निगम द्वारा यात्रा मार्ग पर झंडों और होर्डिंग्स के माध्यम से वातावरण को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत किया गया था।











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