
उदयपुर। वेदांता समूह की प्रमुख कंपनी और दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक, हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड न केवल मेटल्स के उत्पादन में उत्कृष्टता दिखा रही है, बल्कि कला, संस्कृति और सामाजिक समावेशन के क्षेत्र में भी अपने समर्पित प्रयासों से भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं समुदायों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। कंपनी का यह दृष्टिकोण केवल औद्योगिक प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सामाजिक बदलाव को भी एक महत्वपूर्ण आधार मानती है, जिसमें कला और संस्कृति की भूमिका केंद्रीय है।
पारंपरिक कला और शिल्प के संरक्षण में हिन्दुस्तान जिंक का प्रयास
हिन्दुस्तान जिंक ने भारत की विविध और समृद्ध कला परंपराओं जैसे अजरख ब्लॉक प्रिंटिंग, आदिवासी गवरी नृत्य, और पारंपरिक पखावज संगीत को संरक्षित करने एवं पुनर्जीवित करने के लिए विशेष पहल शुरू की है। कंपनी का मानना है कि ये सांस्कृतिक विरासत न केवल हमारी पहचान का हिस्सा हैं, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक विकास का भी माध्यम बन सकती हैं।
इसके लिए हिन्दुस्तान जिंक ने अजमेर में ब्लॉक प्रिंटिंग की इकाई स्थापित की है, जहां पारंपरिक तकनीकों में प्रशिक्षित 18 महिलाओं को रोजगार मिला है। यह पहल न केवल पारंपरिक कला को बचाने का प्रयास है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को कौशल, आजीविका और आत्मनिर्भरता प्रदान करने का भी एक उदाहरण है। कंपनी के घरेलू कपड़ों के ब्रांड ‘उपाया’ के तहत यह कार्य महिलाओं को सशक्त बनाने एवं उनकी कलात्मक प्रतिभा को व्यावसायिक रूप देना सुनिश्चित करता है।
सखी ब्लॉक प्रिंटिंग यूनिट की प्रशिक्षु शर्मिला ने इस पहल पर कहा, “अपनी पारंपरिक कला को जीवित रखना मेरे लिए गर्व की बात है। यह पहल मुझे न केवल नया कौशल सिखा रही है, बल्कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र भी बना रही है।”
प्रदर्शन कला के संरक्षण और संवर्धन में सक्रिय योगदान
हिन्दुस्तान जिंक वेदांता उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल जैसे बड़े सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से प्रदर्शन कलाओं को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस संगीत महोत्सव में लोक, शास्त्रीय, रॉक और फ्यूजन जैसे विभिन्न संगीत शैलियों के कलाकार भाग लेते हैं, जो राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करता है। साथ ही, भूले-बिसरे वाद्ययंत्रों और संगीत परंपराओं को पुनर्जीवित करने में भी यह महोत्सव महत्वपूर्ण है।

कंपनी की सहयोगी संस्था ‘सृजन द स्पार्क’ भारतीय कला एवं संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करती है, जबकि स्मृतियाँ — तबला वादक पंडित चतुर लाल को श्रद्धांजलि — भारतीय शास्त्रीय संगीत की विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य करती है।
सामाजिक सशक्तिकरण के लिए समग्र प्रयास
2025 में हिन्दुस्तान जिंक ने जावर, रामपुरा आगुचा, चंदेरिया, दरीबा और पंतनगर में ‘सखी उत्सव’ आयोजित किए, जिनमें 7,000 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। ये उत्सव महिलाओं के नेतृत्व, कल्याण, खेल गतिविधियों, वित्तीय साक्षरता शिविरों और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से उनकी सशक्तिकरण की क्षमता को प्रदर्शित करते हैं।
इसके अतिरिक्त, ‘उठोरी अभियान’ के तहत 180 स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों तक पहुंच बनाई गई है, जहां मासिक धर्म स्वच्छता, घरेलू हिंसा और बाल विवाह जैसे सामाजिक मुद्दों पर संवादात्मक प्रस्तुतियां और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अभियान ने ग्रामीण एवं आदिवासी महिलाओं के 2,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को सक्रिय कर 25,000 से अधिक महिलाओं को नेतृत्व, उद्यमिता और वित्तीय स्वतंत्रता के लिए सशक्त बनाया है।
समग्र सामाजिक प्रभाव और सतत विकास
हिन्दुस्तान जिंक की ये सभी पहलें शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, पेयजल, स्वच्छता, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्रों में समग्र विकास का आधार हैं। कंपनी का विश्वास है कि व्यक्तिगत सशक्तिकरण से ही व्यापक सामुदायिक परिवर्तन संभव है। इसी दृष्टि से हिन्दुस्तान जिंक ने लगभग 4,000 गांवों में 20 लाख से अधिक लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड न केवल एक अग्रणी मेटल उत्पादक कंपनी है, बल्कि कला, संस्कृति और सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है। कंपनी के ये सतत और समावेशी प्रयास न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाकर समृद्ध भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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