रक्सौल/नई दिल्ली। रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने एक बार फिर अपनी सतर्कता और तेज कार्रवाई से मानव तस्करी की एक बड़ी कोशिश को विफल कर दिया है। ऑपरेशन एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (आहट) के तहत रक्सौल रेलवे स्टेशन पर 13 मई की सुबह नेपाली मूल की चार नाबालिग लड़कियों को बचाया गया। लड़कियों को सत्याग्रह एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 15273) से दिल्ली की ओर ले जाया जा रहा था, जब संयुक्त एजेंसी टीम ने तस्करों की योजना पर पानी फेर दिया।
संयुक्त कार्रवाई : पाँच एजेंसियों की मुस्तैदी
इस ऑपरेशन को अंजाम देने में रेलवे सुरक्षा बल, राजकीय रेलवे पुलिस (GRP), सशस्त्र सीमा बल (SSB) की मानव तस्करी निरोधी इकाई, रेलवे चाइल्डलाइन-रक्सौल और गैर-सरकारी संगठन ‘प्रयास किशोर सहायता केंद्र’ की संयुक्त टीम ने सहभागिता निभाई।
सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया और 13 से 17 वर्ष आयु वर्ग की चार नाबालिग लड़कियों को सत्याग्रह एक्सप्रेस से रक्सौल में उतरते समय सुरक्षित बचा लिया गया। एजेंसियों की तत्परता से एक तस्कर को भी मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया।
धोखे की जाल में फंसी बच्चियाँ
प्रारंभिक जांच से सामने आया कि तस्करों ने लड़कियों को नौकरी दिलवाने और लापता रिश्तेदार को खोजने में मदद करने के बहाने नेपाल से भारत लाया था। परिजनों को इस यात्रा की जानकारी तक नहीं थी। यह मानव तस्करी की एक आम रणनीति है, जिसमें सीमावर्ती क्षेत्रों के गरीब और असुरक्षित समुदायों को झूठे वादों से फंसाकर शोषण के चक्रव्यूह में धकेल दिया जाता है।
पीड़ितों को बाल कल्याण अधिकारियों को सौंपा गया
चारों लड़कियों को रेस्क्यू के बाद स्थानीय बाल कल्याण समिति के सुपुर्द किया गया है। वहीं गिरफ्तार किए गए तस्कर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), किशोर न्याय अधिनियम और बाल एवं किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राजकीय रेलवे पुलिस, रक्सौल में प्राथमिकी दर्ज की गई है।
“सतर्कता जीवन बचा सकती है”: रेलवे सुरक्षा बल प्रमुख
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक मनोज यादव ने इस अभियान की सराहना करते हुए कहा, “यह घटना इस बात का प्रमाण है कि मानव तस्करी आज भी हमारे समाज में एक गंभीर समस्या है। लेकिन आरपीएफ और हमारी साझेदार एजेंसियों की प्रतिबद्धता इस चुनौती से निपटने में लगातार सफल हो रही है।”
उन्होंने सभी यात्रियों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना रेलवे हेल्पलाइन नंबर 139 पर देने की अपील की। “आपकी सतर्कता किसी मासूम की जिंदगी बचा सकती है,” उन्होंने कहा।
ऑपरेशन “आहट”: मानव तस्करी के खिलाफ एक राष्ट्रीय अभियान
मानव तस्करी के विरुद्ध रेलवे सुरक्षा बल का प्रमुख अभियान “ऑपरेशन आहट” 2024-25 में अब तक कई उल्लेखनीय सफलताएँ दर्ज कर चुका है:
कुल 929 पीड़ितों को मानव तस्करी के चंगुल से बचाया गया
इनमें 874 बच्चे शामिल हैं, जिनमें 50 लड़कियाँ और 824 किशोर हैं
274 मानव तस्कर गिरफ्तार किए गए
यह अभियान देशभर के रेलवे नेटवर्क पर चल रहा है, जिसमें ट्रेनों, स्टेशनों और सीमावर्ती क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखी जाती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ साझेदारी
मानव तस्करी निरोधी प्रयासों को और सशक्त बनाने के लिए RPF ने 2024 में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के साथ एक औपचारिक सहयोग समझौता (MoU) किया है। इसके अंतर्गत एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय, पीड़ितों को शीघ्र सहायता, और जागरूकता कार्यक्रमों को नई दिशा मिली है।
रेलवे सुरक्षा बल की समर्पित इकाइयाँ
रेलवे मंत्रालय ने देशभर में कार्यरत सभी आरपीएफ इकाइयों को मानव तस्करी निरोधी विशिष्ट इकाइयों से जोड़ने का निर्णय लिया है। ये इकाइयाँ विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों से सुसज्जित हैं जो बच्चों, किशोरियों और अन्य कमजोर वर्गों की पहचान और सुरक्षा के लिए विशेष कार्य करती हैं।
सामाजिक भूमिका और जागरूकता
आरपीएफ अब केवल रेलवे परिसरों की सुरक्षा एजेंसी भर नहीं है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए बाल सुरक्षा, महिला सुरक्षा और मानव तस्करी के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। एजेंसी विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के साथ मिलकर यात्रियों में जागरूकता फैलाने के लिए भी अभियान चला रही है।
रक्सौल में तस्करी की कोशिश विफल करना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यह भी साफ संकेत है कि मानव तस्करी की चुनौती अभी समाप्त नहीं हुई है। सीमावर्ती क्षेत्रों, कमजोर समुदायों और किशोरों को सुरक्षा देने के लिए सतत प्रयास और जनसहयोग जरूरी है।
रेलवे सुरक्षा बल और संबद्ध एजेंसियों की सतर्कता ने न केवल चार बच्चियों को एक दर्दनाक भविष्य से बचाया, बल्कि यह भी दिखाया कि एकजुट कार्रवाई और समय पर हस्तक्षेप से कैसे एक अंतर लाया जा सकता है।
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