
उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर ज़िले के बड़ागांव थाना क्षेत्र के छोटे से गांव जिंदोली में गुरुवार की रात जो कुछ हुआ, वह शब्दों से बयां कर पाना मुश्किल है। एक ही घर में दो महिलाएं – सास और बहू – जिंदा जल गईं। और अब उस घर में रह गया है सिर्फ़ राख, और उन राख में भी ढूंढे जा रहे हैं कुछ जवाब, कुछ निशानियाँ, कुछ अधूरी चीखें।
उस घर में रहने वाली 65 वर्षीय पप्पा बाई, जिनके बालों में वक्त की सफेदी थी और आंखों में अपने पोते-पोतियों का उजाला। और उनके साथ 35 साल की मांगी बाई, जो उस घर की बहू थी – दिनभर खटने वाली, सबके लिए चुपचाप जीने वाली और अपने छोटे-छोटे सपनों के साथ घर को चलाने वाली।
किसे पता था कि दोनों की ज़िंदगी की लौ एक साथ बुझ जाएगी, वो भी इस बेरहमी से… आग में जलकर।
अचानक लगी आग, और फिर… कुछ नहीं बचा
स्थानीय लोगों के मुताबिक़, गुरुवार रात अचानक घर से धुआं और आग की लपटें उठती दिखीं। जब तक लोग कुछ समझ पाते और दरवाज़ा तोड़ते, तब तक सब कुछ ख़त्म हो चुका था। पड़ोस की महिलाएं फूट-फूटकर रो रही थीं – “मांगी ने आज ही कहा था कि सुबह जल्दी उठकर मंदिर जाएगी… पर अब तो वो खुद भगवान के पास चली गई…”
दमकल आई, मगर देर हो चुकी थी
सूचना मिलते ही राजस्थान नागरिक सुरक्षा विभाग, उदयपुर और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची। आग पर काबू पाने के लिए दमकलकर्मी जान जोखिम में डालकर अंदर घुसे, लेकिन वहां सिर्फ़ राख मिली। टीम में मौजूद पुष्करलाल डांगी (ड्राइवर), कैलाश मेनारिया, मनोज जीसी, भवानी शंकर वाल्मीकि, नरेश चौधरी, शुभम मेनारिया और प्रकाश राठौड़ ने कड़ी मशक्कत के बाद शवों को बाहर निकाला।
लेकिन वो सिर्फ़ शरीर थे — जली हुई देह, पहचान के लिए भी कठिन। आत्मा तो शायद पहले ही उस धुएं के साथ उड़ चुकी थी।
“मेरी मां… मेरी बीवी…” – एक पति की चीख
घर के मुखिया गोपीलाल जब मौके पर पहुंचे, तो उनके मुंह से निकली एक चीख ने सन्नाटा तोड़ दिया —”मेरी मां… मेरी बीवी… कोई उठा दो इन्हें!” वो राख में हाथ डालकर मांगी बाई की चूड़ी, पप्पा बाई की पायल ढूंढ रहे थे। उनका रोना, उनका चिल्लाना किसी भी इंसान के सीने को चीरने वाला था।
गांव की औरतों की सिसकियां… गांव की एक बुजुर्ग महिला कहती हैं – “पप्पा बाई तो जैसे हमारी मां थी… जब घर में लड़ाई होती, तो वही समझाती थीं। मांगी बाई ने पिछले हफ्ते ही अपनी बेटी के लिए कढ़ाई की थी…” और फिर वह खुद भी फूट-फूट कर रोने लगती हैं।
अब सिर्फ़ सवाल हैं… जवाब नहीं
आग कैसे लगी?
क्या यह शॉर्ट सर्किट था?
या गैस लीकेज?
या फिर कुछ और?
बड़ागांव थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। लेकिन गांववालों को अब इससे फर्क नहीं पड़ता। उनके लिए दो ज़िंदगियाँ चली गईं — और साथ ही उस घर का सुकून भी।
इस ख़ामोश राख में सिसकती है एक कहानी…
आज उस घर में सिर्फ़ अधजली दीवारें हैं, टूटी खाट है, और कोने में एक तस्वीर… जिसमें मांगी बाई अपने बेटे को गोद में लिए मुस्कुरा रही है। गांव के बच्चे अब उस घर की ओर देखने से भी डरते हैं। शायद इस आग ने सिर्फ़ दो लोगों की जान नहीं ली, बल्कि पूरे गांव की आत्मा को जला दिया है।
नोट : प्रशासन ने पीड़ित परिवार को सहायता का आश्वासन दिया है। आग लगने के कारणों की जांच जारी है। लेकिन इस बीच, एक पूरा गांव शोक में डूबा है… और आंखों से गिरते आंसू अभी थमे नहीं हैं।
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