उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में राजतिलक की रस्मों को लेकर जो विवाद छिड़ा था, वह अब थम गया है। गुरुवार देर शाम 6:30 बजे सिटी पैलेस के दरवाजे फिर से खोल दिए गए, और इसे खोलने का श्रेय मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह को जाता है। उन्होंने खुद वहां खड़े होकर दरवाजे खुलवाए और साथ ही शहरवासियों, प्रशासन और सरकार का धन्यवाद भी किया। लक्षराज ने कहा, “उदयपुर में अब सौहार्द का माहौल कायम हो गया है।”
हालांकि, इससे पहले पुलिस ने सुबह ही जगदीश चौक के पास लगे बैरिकेड्स और जालियां हटा ली थीं। अब सिटी पैलेस में पर्यटकों की आवाजाही फिर से शुरू हो सकेगी, और इसके साथ ही उदयपुर कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने धारा 163 को हटा दिया, जिससे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही सिटी पैलेस की रौनक वापस लौटेगी।
टूरिज्म को हुआ भारी नुकसान
इससे पहले, सिटी पैलेस के पर्यटकों के लिए टिकट की कीमतों पर चर्चा हुई। नवंबर और दिसंबर के महीने में यहां रोजाना सैकड़ों पर्यटक आते हैं। टूरिज्म के लिहाज से ये दोनों महीने पीक सीजन होते हैं। जानकारी के मुताबिक, यहां रोजाना 4,000 से 5,000 सैलानी सिटी पैलेस का दौरा करते हैं। सिटी पैलेस के स्टाफ के अनुसार, सिर्फ 4 दिनों में सिटी पैलेस को टूरिज्म से होने वाले रेवेन्यू में करीब 40-50 लाख रुपये का नुकसान हुआ। अब जब एंट्री फिर से शुरू हो रही है, तो उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही ये घाटा भर जाएगा।
क्या हुआ था 25 नवंबर को?
यह विवाद 25 नवंबर को शुरू हुआ था, जब चित्तौड़गढ़ में उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वराज सिंह का राजतिलक हुआ था। उन्हें एकलिंगजी का 77वां दीवान घोषित किया गया था। इसके बाद, वह धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस आए थे, जहां सैकड़ों समर्थकों के साथ पुलिस सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए सिटी पैलेस के गेट तक पहुंचे। लेकिन, सिटी पैलेस के गेट बंद होने के कारण वह धूणी दर्शन नहीं कर पाए, और यही विवाद का कारण बन गया।
अब, जब सिटी पैलेस के दरवाजे फिर से खोल दिए गए हैं, तो यह तय हो गया है कि उदयपुर में एक बार फिर से पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए सुखद वातावरण बनेगा।
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