सड़क सुरक्षा समिति की बैठक
उदयपुर। उदयपुर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था ही सबसे बड़ा मर्ज है। इसको सुधारने के लिए अब तक प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने सिर्फ प्रयोग किए वो भी विफल रहे। समाधान का तो सवाल ही नहीं उठता। ट्रैफिक को लेकर सबसे बड़ी परेशानी देहलीगेट और सूरजपोल चौराहे की है, लेकिन इलाज स्वरूप सागर से अरावली वाटिका रोड का हो रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन और सड़क सुरक्षा समिति का नागरिक अभिनंदन किया जाना चाहिए।
दरअसल सड़क सुरक्षा समिति हो या हर साल मनाए जाने वाला सड़क सुरक्शा सप्ताह। इनमें चालान बनाने की बात होती है, गाड़ियों के कागजात, लाइसेंस आदि की जांच की बात की जाती है, लेकिन सड़क पर होने वाले गड्ढों से दुर्घटनाओं को रोकने की बात कभी नहीं की जाती है। सूरजपोल चौराहे की बनावट सुधारने पर मंथन किया जाता है, हालही जहां एक ट्रक चौराहे पर बने पार्क की दीवार तोड़कर अंदर घुस गया।
सड़कों और चौराहों की बनावट को कैसे सुधारा जाएगा? इस सवाल का जवाब किसी बैठक में नहीं पूछा जाता है। हां हेलमेट नहीं होने पर चालान बनाया जाएगा, सीट बेल्ट नहीं होने पर शहर के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस ईमानदारी के साथ चालान बुक लेकर खड़े रहेंगे। भले ही इस तरह ड्यूटी सालभर नहीं करेंगे, लेकिन चालान का टारगेट पूरा करेंगे।
पिछले पांच सालों से देहलीगेट चौराहे को ट्रैफिक सुधार प्रयोगशाला बना दिया और कोई भी प्रयोग सफल नहीं हुआ। कोरोना से बचाव की वैक्सीन कुछ ही महीनों में बनकर तैयार हो गई और देश में 140 करोड़ लोगों को लग भी गई, लेकिन देहलीगेट चौराहे पर ट्रैफिक सुधार के प्रयोग अब तक सफल नहीं हुए हैं। इस दरम्यां उदयपुर शहर के कई स्टूडेंट्स साइंटिस्ट बनकर इसरो, नासा में काम करने लगे हैं। आरएएस से आईएएस बनने वाले और सीधे यूपीएससी के जरिये आईएएस बनने वाले अधिकारी भी शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने में कामयाब नहीं हो सके।
बहरहाल नई सरकार, नई मंत्री और नए विधायक खूब सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। अब अफसरों के भी बदलने का दौर जारी है। आने वाले दिनों में नए अफसर फिर यहां कोई प्रयोग करेंगे और उम्मीद है कि वो सफल होंगे।
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