उदयपुर। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल उदयपुर सभी चिकित्सकीय सुविधाओं से परिपूर्ण हैl यहां निरंतर रूप से जटिल से जटिल ऑपरेशन इलाज कर रोगियों को नया जीवन दिया जा रहा है। अभी हाल ही में जन्म से बहरेपन से जूझ रहे मात्र 3 वर्षीय रोगी का गीतांजली हॉस्पिटल के नाक,कान, गला रोग विभाग से डॉ. ए.के. गुप्ता, डॉ वी.पी गोयल, डॉ प्रितोष शर्मा, डॉ नितिन शर्मा, डॉ अनामिका, डॉ रिद्धि डी राज, एन्स्थिसियोलाजिस्ट डॉ अल्का छाबड़ा, ऑडियोलॉजिस्ट एवं स्पीच थेरेपिस्ट डॉ भागवत कुमार द्वारा सफल कॉकलियर इम्प्लांट किया गया, बच्चे की सर्जरी के दौरान आर.एन.टी से डॉ नवनीत माथुर को मेंटर के रूप में आमंत्रित किया गया।
क्या होता है कॉकलियर इम्प्लांट?
कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी सामान्य रूप से बेहोश करके की जाती है। सर्जन कान के पीछे स्थित मस्तूल की हड्डी को खोलने के लिए एक चीरा लगाते हैं। चेहरे की नस की पहचान की जाती है और कॉकलिया का उपयोग करने के लिए उनके बीच एक रास्ता बनाया जाता है और इसमें इंप्लांट इलेक्ट्रोड्स को फिट कर दिया जाता है। इसके बाद एक इलेकट्रोनिक डिवाइस जिसे रिसीवर कहते हैं, उसे कान के पीछे के हिस्से में चमड़ी के नीचे लगा दिया जाता है और चीरा बंद कर दिया जाता है।
ऑपरेशन की कहानी, डॉक्टर की जुबानी
डॉ. प्रितोष शर्मा ने बताया उदयपुर निवासी 3 वर्षीय इशिता (परिवर्तित नाम) बचपन से सुन नही पाता थी जिस कारण से वह बोल भी नहीं सकी। गीतांजली हॉस्पिटल में इस आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज किया जा रहा है एवं अब तक गीतांजली हॉस्पिटल में 13 कॉकलियर इम्प्लांट प्लांट सफलतापूर्वक हुए हैं और सभी बच्चे स्वस्थ हैं। साधारण बच्चे की तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं। इस इम्प्लांट के पश्चात रोगी को स्पीच थेरेपी दी जाती है जिससे बच्चा धीरे-धीरे बोलने लगता है अपनी उम्र के मुताबिक बोलना शुरू कर देता है।
जीएमसीएच के सीओओ ऋषि कपूर ने बताया कि यदि आपका बच्चा बोलने/सुनने में सक्षम नहीं है, तो ऐसे में सर्व सुविधाओं से युक्त गीतांजली हॉस्पिटल के ई.एन.टी विभाग में अवश्य दिखाएँ और साथ ही यह भी बताया कि इस बच्चे का उपचार केन्द्रीय सरकार की एडिप योजना के अंतर्गत पूर्णतः निःशुल्क किया गया है।
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