उदयपुर दीपावली मेला : मां गंगा और महाकाल भस्म आरती से रंगी सांस्कृतिक संध्या…फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत के कैमरे की नजर से देखिए


उदयपुर। नगर निगम दीपावली मेले के अंतिम सांस्कृतिक दिन पर उदयपुर का वातावरण पूरी तरह से धार्मिक और सांस्कृतिक रंगों से भर गया। बनारस और उज्जैन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत मां गंगा की महाआरती और महाकाल की भस्म आरती ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

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नगर निगम मेला संयोजक दिनेश मंडोवरा ने बताया कि दीपावली मेले का शुभारंभ उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, जिला कलक्टर नमित मेहता, निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना, यूडीए आयुक्त राहुल जैन, निवर्तमान उप महापौर पारस सिंघवी आदि द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मां सरस्वती एवं गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर उड़िसा के बालांगीर जिले से सांसद संगीता कुमारी सिंह देव और निवृत्ति कुमारी मेवाड़ भी उपस्थित रहीं।

नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना ने बताया कि सांस्कृतिक संध्या विशेष रूप से भारत की पवित्र नदियों, मां गंगा और क्षिप्रा के नाम समर्पित रही। कार्यक्रम की शुरुआत मंत्रोच्चारण के साथ गंगा आरती से हुई, जिसने दर्शकों को बनारस के गंगा घाट की अनुभूति कराई। दर्शक पूरे समय हाथ जोड़कर खड़े रहे और पवित्र मां गंगा को प्रणाम करते हुए भावपूर्ण पल का अनुभव किया।

मंच पर कलाकारों ने मां गंगा की आरती के साथ अष्टविनायक और माता रानी की आरती भी प्रस्तुत की। इस दौरान पूरे मेले का स्थान गंगा घाट में परिवर्तित प्रतीत हुआ। दर्शकों ने मंच से निकलते इस दृश्य को अविस्मरणीय बताया और कई लोगों ने कहा, “उदयपुर में मां गंगा की आरती देखकर इतना आनंद मिल रहा है, तो बनारस में वास्तविक गंगा आरती देखने का अनुभव कैसा होगा।”

कार्यक्रम के दूसरे चरण में उज्जैन के महाकाल मंदिर की भस्म आरती ने माहौल को शिवभक्ति से गुंजायमान कर दिया। कलाकारों ने भस्म आरती को इस प्रकार प्रस्तुत किया कि दर्शक खुद को महाकालेश्वर मंदिर में उपस्थित महसूस करने लगे। भस्म आरती की प्रस्तुति ने उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और पूरे मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अंतिम दिन विशेष बन गया।

नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना ने स्पष्ट किया कि महा आरती के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समापन हुआ, जबकि दीपावली मेला 23 अक्टूबर तक यथावत जारी रहेगा। 9 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक चलने वाले मेले में कई तरह के सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के अलावा झूले, स्वादिष्ट व्यंजन और खरीददारी का आनंद भी लिया जा सकता है।

इस वर्ष मेले में लगे 121 फीट ऊंचे डोलर झूले ने विशेष आकर्षण पैदा किया। इसके अलावा चांद तारा, मिकी माउस, नाव, 80 फीट ऊंचा झूला, ऑक्टोपस झूला, ड्रैगन झूला, टोरा टोरा, ब्रेक डांस झूला सहित कई झूले मेले में लगाए गए हैं। शाम होते ही झूलों के लिए कतारें लगना शुरू हो जाती हैं और रात तक जारी रहती हैं।

नगर निगम और राजस्थान स्टेट प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सहयोग से मेले में एक विशेष पहल फिनीलूप कार्यक्रम के तहत की गई। इसके अंतर्गत शहरवासियों से अपील की गई कि वे मेले में 1 किलो प्लास्टिक कचरा लाकर जमा करें और इसके बदले में 11 मिट्टी के दीये, कपड़े का बैग और मुफ्त हेल्थ चेकअप वाउचर प्राप्त करें। इस पहल का उद्देश्य प्लास्टिक वेस्ट और ई-वेस्ट मैनेजमेंट को बढ़ावा देना है।

नगर निगम ने जनता से अपील की है कि वे अपने घरों में पड़े प्लास्टिक कचरे को फिनीलूप कॉर्नर पर जमा कर इस पहल में भाग लें और उदयपुर को सुंदर और प्लास्टिक वेस्ट फ्री शहर बनाने में सहयोग करें।

दीपावली मेला 2025 ने इस बार न केवल रंग और रोशनी से शहर को सजाया बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से उदयपुरवासियों के लिए यादगार अनुभव भी प्रस्तुत किया।

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