हर-हर महादेव की गूंज से गूंज उठा उदयपुर : गंगाजल से भरे पीतल के कलश के साथ 11 हजार कांवड़ियों की आस्था यात्रा

फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर आज शिवभक्ति में सराबोर हो गई। हर दिशा से “हर-हर महादेव” और “बोल बम” के जयकारे गूंजे, जब 11 हजार से अधिक शिवभक्तों ने गंगोदभव कुंड से उभयेश्वर महादेव के पावन धाम तक कांवड़ यात्रा का शुभारंभ किया। गंगाजल से भरे पीतल के भव्य कलश को साथ लेकर शुरू हुई यह यात्रा एक दिव्य और अलौकिक अनुभव में परिवर्तित हो गई।

गंगू कुंड पर विधिपूर्वक पूजन और गंगाजल की आरती के बाद श्रद्धालुओं ने अपने-अपने कांवड़ों की पूजा कर यात्रा का आरंभ किया। आगे खुली जीप में प्रतिष्ठित पीतल के कलश में गंगाजल सुशोभित था, जिसे पीछे डीजे पर गूंजते शिव भजनों की मधुर धुनें और भक्तों की टोलियां महादेव के जयघोष के साथ आगे बढ़ा रही थीं।

इस विशाल यात्रा में पुरुष पारंपरिक वस्त्र—सफेद बनियान, कुर्ता, धोती और सिर पर भगवा पट्टी बांधे हुए चल रहे थे, तो महिलाएं रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में नतमस्तक होकर आस्था की इस डगर पर कदमताल कर रही थीं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर आयु वर्ग के शिवभक्तों ने इस यात्रा को धर्म और भक्ति का उत्सव बना दिया।

21 किलोमीटर लंबी यह कांवड़ यात्रा शिव महोत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित की जा रही है, जो गंगोदभव कुंड से आरंभ होकर उभयेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचेगी। वहां सभी कांवड़िए महादेव का गंगाजल से जलाभिषेक कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे।

कांवड़ यात्रा का मार्ग

गंगोदभव कुंड → आयड़ → अशोक नगर → शक्ति नगर → टाउन हॉल → बापू बाजार → देहली गेट → तीज का चौक → मंडी की नाल → मोचीवाड़ा → घंटाघर → जगदीश चौक → गडियादेवरा → चांदपोल → ब्रह्मपोल → दुधिया गणेशजी → रामपुरा → गोरेल्ला → धार → मोरवानिया → उभयेश्वर महादेव

इस पावन यात्रा ने न केवल शहर को भक्तिरस से सराबोर किया, बल्कि यह दृश्य दर्शाता है कि श्रद्धा और समर्पण जब जनसैलाब में परिवर्तित होता है, तो वह केवल एक यात्रा नहीं रह जाती—वह एक जीवन का अनुभव बन जाती है।

आज उदयपुर की धरती शिवमय है, आकाश में गूंजते जयकारे इस बात के साक्षी हैं कि जब आस्था जागती है, तो पत्थर भी देवता बन जाते हैं। कांवड़ियों के हर कदम के साथ यह संदेश स्पष्ट होता जा रहा है —”भक्ति वही जो शिव तक पहुंचे, जल वही जो कांवड़ में चढ़े!”

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