उदयपुर। युग प्रवर्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती का महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान है,ये विचार महिला आर्य समाज, मुम्बई की पदाधिकारी श्रीमती जया पटेल ने व्यक्त किए।
वे यहां नवलखा महल,गुलाब बाग स्थित माता लीलावन्ती सभागार में ऋषि बोधोत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुम्बई से पधारी महिला आर्य समाज की कार्यकर्ताओं तथा उदयपुर शहर के आर्यजनों को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने बताया कि महर्षि दयानन्द के युग में महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय थी। उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। महिलाओं से भेदभाव किया जाता था। उस समय महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था न ही महिलाएं किसी भी प्रकार के संस्कार आदि करवा सकती थी।
यहां तक कि महिला के विधवा होने पर उसे पुनर्विवाह का अधिकारी नहीं था साथ ही सती प्रथा जैसी कुरीति भी थी। उस समय महर्षि दयानन्द सरस्वती ने पुरुषों की समान ही महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की। उन्होंने कन्या गुरुकुल के माध्यम से महिला शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए। वहीं विधवा विवाह का समर्थन किया और सती प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ भी आन्दोलन चलाया। अतः अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर हमें महर्षि के योगदान को स्मृत करना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय,उदयपुर की कुलपति प्रो.सुनीता मिश्रा ने कहा कि मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि मैं महिला हूं और आज विश्वविद्यालय की कुलपति हूं। महिलाओं को उच्च पदों व सम्मान दिलाने में महर्षि दयानन्द सरस्वती का विशेष योगदान हैं जिनके प्रयासों से ही आज महिलाएं देश के सर्वोच्च तक आसीन हुई हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एवं ऋषि बोधोत्सव के अवसर पर मैं बधाई सम्प्रेषित करती हूं।
इस अवसर पर प्रसिद्ध आर्य विदुषी श्रीमती सरला गुप्ता ने आर्य समाज की ओर से महिला उत्थान की दिशा में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और अपने उद्बोधन में महिलाओं में आधिकारिक शिक्षा का प्रसार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीमद् दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास की वरिष्ठ न्यासी श्रीमती शारदा गुप्ता, पूर्व प्राचार्य, राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय,उदयपुर ने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस होने के साथ ही ऋषि बोध दिवस भी है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती जिनका संन्यास ग्रहण करने के पूर्व मूलशंकर नाम थे, वे एक पौराणिक ब्राह्मण परिवार में गुजरात राज्य के राजकोट जिले के टंकारा में पैदा हुए थे। शिवरात्रि को शिव पूजन के साथ ही रात्रि जागरण था। रात्रि. समय बालक मूलशंकर ने देखा कि एक चूहा जो कि शिवलिंग पर चढ़कर वहां चढ़ाये प्रसाद को खा रहा था। यह देखकर महर्षि दयानन्द को यह बोध हुआ कि मूर्तिपूजा केवल आडम्बर है। सच्चा ईश्वर तो निराकार है। अतः शिवरात्रि के दिन को ऋषि बोधोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हमारे लिए गौरव की बात है कि महर्षि दयानन्द सरस्वती की इस पुण्य कर्म स्थली पर हम आज ऋषि बोधोत्सव का आयोजन कर रहे हैं।
इस अवसर पर मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर डॉ.नीरज शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि नवलखा महल महर्षि दयानन्द सरस्वती की कर्मभूमि रही है। जहां मेवाड के तत्कालीन महाराणा सज्जन सिंह जी के निमंत्रण पर महर्षि दयानन्द यहां पधारे व लगभग साढ़े छह माह नवलखा महल में प्रवास किया साथ ही अपने अमर ग्र्रन्थ सत्यार्थ प्रकाशन का प्रणयन भी इसी स्थल पर किया गया। अतः महर्षि दयानन्द के सिद्धान्तों के प्रसारण हेतु शिवरात्रि के दिन देश विदेश में ऋषि बोधोत्सव का आयोजन किया किया जाता है और हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि हम आज महर्षि दयानन्द सरस्वती की स्मृति में ऋषि बोधोत्सव एवं अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन आज नवलखा महल जैसे स्थल पर कर रहे हैं।
कार्यक्रम में डॉ. शैली पोसवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महिला उत्थान में महर्षि दयानन्द सरस्वती एवं आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। एक समय था जब देश में अंग्रेजी बोलने वालों का प्रभुत्व था। देश में अंग्रेजी शिक्षण संस्थाओं पर केवल ईसाई मिशनरियों का एकाधिकार था। ऐसे समय में नवाचारों में अंग्रेजी शिक्षा के साथ साथ उनमें वैदिक संस्कारों का संचरण कैसे हो इसके लिए आर्य समाज ने दयानन्द एग्लो वैदिक (डीएवी) संस्थाओं के माध्यम से देश में अंग्रेजी शिक्षा के साथ साथ नवाचारों में वैदिक संस्कृति के संचरण का कार्य भी किया।
इससे पूर्व श्रीमद् दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास के अध्यक्ष श्री अशोक आर्य ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि नवलखा महल आर्य समाज को प्राप्त होने से पूर्व जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था तथा यहां शराब का गोदाम था। आर्य समाज के पास आने के पश्चात् यहां विभिन्न प्रकल्प यथा जीवन्त रूप में दिखती संस्कार वीथिका,आर्यावर्त चित्र दीर्घा,सुरेश चन्द्र दीनदयाल आर्य मल्टीमीडिया सेंटर, भव्य यज्ञशाला, माता लीलावन्ती वैदिक सभागार इत्यादि प्रकल्प तैयार किए गए हैं। वही यहां भव्य पुस्तकालय भी हैं जहां विद्यार्थी एवं शोथार्धी अध्ययन लाभार्जन करते हैं। नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र के माध्यम से सामाजिक व शैक्षिक उन्नयन के कार्य भी किए जा रहे हैं।
इससे पूर्व मुम्बई महिला आर्य समाज से पधारी बहिनों, स्थानीय आर्य समाज के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं को अपने स्वागत भाषण से न्यास के मंत्री श्री भवानी दास आर्य ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि महिला जागरूकता हेतु मुम्बई महिला आर्य समाज की बहनों का नवलखा महल में पर्दापण हुआ है। मैं उनका हृदय से आभार प्रकाशित करता हूं।
इससे पूर्व मुम्बई आर्य समाज की बहनों ने स्वागत गीत भी प्रस्तुत किया।
समारोह का संचालन नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र युवा समिति की अध्यक्ष श्रीमती ऋचा पीयूष ने किया एवं धन्यवाद न्यासी श्रीमती ललिता मेहरा ने किया।
इस अवसर पर महिला आर्य समाज, मुम्बई की तीन बहिने, आर्य समाज, हिरण मगरी,उदयपुर के प्रधान श्री भंवर लाल,मंत्री डॉ.भूपेन्द्र शर्मा,न्यास के मंत्री श्री भवानी दास आर्य, संयुक्त मंत्री डॉ. अमृतलाल तापड़िया,कोषाध्यक्ष श्री नारायण लाल मित्तल,न्यासी श्रीमती ललिता मेहरा,न्यास के कार्यालय मंत्री श्री भंवरलाल गर्ग, पुरोहित श्री नवनीत आर्य,श्रीमती चन्द्रकान्ता आर्य,डॉ प्रिया अग्रवाल,योगिता श्रीमाली, दुगा गोरमात,करिश्मा,श्री दिव्येश सुथार, श्री कालू,श्रीमती निरमा, श्री देवीलाल परगी, श्री लक्ष्मण आदि का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।
समारोह का समापन शांति पाठ के साथ हुआ जिसे श्री नवनीत आर्य पुरोहित द्वारा करवाया गया।
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