विश्व पर्यटन दिवास : उदयपुर की विरासत, हमारा गौरव

लेखक : जतिन श्रीमाली, पूर्व सचिव, होटल एसोसिएशन उदयपुर, राजस्थान

विश्व पर्यटन दिवस केवल एक तिथि भर नहीं है, बल्कि यह दिन हमें गर्व से भर देता है कि हम उदयपुर जैसे शहर के निवासी हैं, जिसकी संस्कृति, परंपरा और धरोहरें विश्व भर में अद्वितीय हैं। झीलों की नगरी उदयपुर को विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाने वाली हमारी विरासत ही है।

उदयपुर की झीलें, भव्य किले, राजसी महल और मंदिर केवल स्थापत्य कला के नमूने नहीं हैं, बल्कि यह मेवाड़ की शौर्यगाथाओं, कला और संस्कृति के अमर प्रतीक हैं। जब कोई पर्यटक पिछोला झील की नाव यात्रा करता है, सिटी पैलेस की भव्यता देखता है या फतेहसागर के किनारे बैठकर सूर्यास्त निहारता है, तो वह केवल दृश्य नहीं देखता, बल्कि मेवाड़ की जीवंत आत्मा, गौरव और इतिहास को महसूस करता है। यही अनुभव उदयपुर को दुनिया में अलग स्थान दिलाता है।

आज आवश्यकता है कि हम सभी मिलकर अपनी इस अमूल्य धरोहर को स्वच्छ, सुरक्षित और संरक्षित रखें। पर्यटन केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि हर उदयपुरवासी का कर्तव्य है। जब हम अपने शहर को और स्वच्छ-सुंदर बनाएँगे, तो हर आने वाला अतिथि हमारी मेहमाननवाज़ी, आत्मीयता और अपनापन से अभिभूत होगा।

पर्यटन केवल अर्थव्यवस्था का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारी “अतिथि देवो भवः” की परंपरा का उत्सव है। जब कोई सैलानी उदयपुर से लौटे, तो उसकी आँखों में झीलों और महलों की छवियाँ हों और हृदय में यहाँ की संस्कृति, सद्भाव और आत्मीयता की अमिट छाप। यही भावनाएँ उदयपुर को विश्व पर्यटन का गहना बनाती हैं।

इस विश्व पर्यटन दिवस पर आओ, हम सब संकल्प लें—
👉 अपनी झीलों और धरोहर को गौरव से संजोएँगे।
👉 संस्कृति और परंपरा को आत्मविश्वास से प्रस्तुत करेंगे।
👉 और उदयपुर को पर्यटन जगत में विश्व का सिरमौर बनाएँगे।


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