विश्व पर्यटन दिवस पर फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत के लेंस से : राजस्थानी ड्रेस बनी सैलानियों की पहली पसंद

पर्यटन दिवस पर झीलों की नगरी में विदेशी पर्यटक पगड़ी-घाघरे में नजर आए, संस्कृति को जीते हुए खिंचवाई यादगार तस्वीरें

पर्यटन दिवस पर उदयपुर समय की खास पेशकश
राजस्थानी ड्रेस बनी सैलानियों की पहली पसंद


उदयपुर। पर्यटन दिवस पर हमारे फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत की नज़र से देखा जाए तो झीलों की नगरी सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए ही नहीं, बल्कि रंग-बिरंगी राजस्थानी परंपरा के लिए भी दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी ओर खींच रही है।
पर्यटन स्थलों पर पहुंचने वाले देश-विदेश के सैलानियों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है राजस्थानी ड्रेस। कहीं पगड़ी बांधते विदेशी पर्यटक, तो कहीं घाघरा-चोली में सजी पर्यटक महिलाएं जब कैमरे के सामने मुस्कुराती हैं तो राजस्थान की संस्कृति जीवंत हो उठती है। झीलों के किनारे, हवेलियों की गलियों और सिटी पैलेस जैसे भव्य स्थलों पर जब पर्यटक इस पारंपरिक वेशभूषा में तस्वीरें खिंचवाते हैं तो वे सिर्फ यादें नहीं, बल्कि राजस्थान का रंग अपने साथ ले जाते हैं।
सिर्फ पोशाक नहीं, संस्कृति का अनुभव
पर्यटक मानते हैं कि राजस्थानी ड्रेस पहनना सिर्फ एक फोटोशूट नहीं, बल्कि यहां की संस्कृति को महसूस करने का अनोखा तरीका है। रंग-बिरंगी चुनरियां, हाथों में कांच की चूड़ियां, सिर पर साफा और पैरों में जूतियां – यह सब मिलकर उन्हें एक अलग ही आनंद देता है। यही कारण है कि शहर में बने फोटो स्टूडियो और पर्यटन स्थलों पर ड्रेस रेंटल सेवाएं हमेशा सैलानियों से गुलजार रहती हैं।
कमल कुमावत की लेंस में कैद पल
हमारे फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत ने पर्यटन दिवस के मौके पर इन खास पलों को अपनी लेंस में कैद किया। किसी विदेशी बच्चे के सिर पर रंगीन पगड़ी सजाते स्थानीय कारीगर, तो किसी पर्यटक जोड़े को राजस्थानी परिधान में कैमरे के सामने पोज़ देते देखना – यह दृश्य न केवल पर्यटन की लोकप्रियता का प्रमाण है, बल्कि राजस्थान की जीवंत परंपरा का उत्सव भी है।
पर्यटन दिवस का संदेश
इस मौके पर यह साफ दिखा कि राजस्थान सिर्फ घूमने की जगह नहीं, बल्कि अनुभव करने की धरोहर है। पर्यटक यहां आकर सिर्फ स्मृतियां नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा बन जाते हैं।

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