एक गोली, दस नाम और पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में
9 अक्टूबर 2025 की रात, चंडीगढ़ पुलिस ने एक ऐसी FIR दर्ज की जिसने हरियाणा पुलिस के शीर्ष अफसरों की नींद उड़ा दी। मामला था 2001 बैच के IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का। लेकिन यह आत्महत्या साधारण नहीं थी—इसमें हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर समेत 10 वरिष्ठ अधिकारियों के नाम दर्ज हैं।
पूरन कुमार की पत्नी, IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने अपने पति की मौत को “सुनियोजित उत्पीड़न” का परिणाम बताया। उनकी शिकायत पर ही FIR दर्ज की गई। इसमें भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के साथ-साथ SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी अपराध दर्ज हुआ।
पूरन कुमार कौन थे?
वाई पूरन कुमार हरियाणा कैडर के 2001 बैच के IPS अधिकारी थे। वे अपनी ईमानदारी, सख्त अनुशासन और निष्पक्षता के लिए जाने जाते थे। हाल ही में वे रोहतक रेंज के आईजी पद से सुनारिया में ट्रांसफर हुए थे। लेकिन इस ट्रांसफर से पहले ही, सूत्रों के मुताबिक, उनके ऊपर “सिस्टम के अंदर” दबाव डाला जा रहा था।
पूरन कुमार अनुसूचित जाति (SC) समुदाय से थे और कई बार उन्होंने अपने साथ हो रहे भेदभाव की ओर इशारा किया था। यही कारण है कि उनकी पत्नी ने SC/ST एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज करवाने की मांग की।
घटनाक्रम : बेसमेंट का दरवाज़ा और वो आखिरी गोली
सितंबर 2025 के आखिर में, वाई पूरन कुमार अपने सेक्टर-11 स्थित आवास में थे। उनकी पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ जापान दौरे पर थीं। 2 अक्टूबर की सुबह, घर के स्टाफ ने बेसमेंट के कमरे से गोली चलने की आवाज़ सुनी। जब दरवाज़ा तोड़ा गया — पूरन कुमार मृत पाए गए।
उनके पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ। उस नोट में कुछ वरिष्ठ अधिकारियों (IAS और IPS दोनों) के नाम थे। पूरन कुमार ने लिखा कि “मुझे लगातार मानसिक उत्पीड़न, अपमान और जातिगत टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है। मेरी ईमानदारी अब मेरे खिलाफ हथियार बना दी गई है।”
सुसाइड नोट में लिखे गए नामों से मचा भूचाल
पूरन कुमार के सुसाइड नोट में जिन अफसरों के नाम थे, उनमें हरियाणा के DGP शत्रुजीत कपूर, रोहतक SP नरेंद्र बिजारणिया और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं। यही नाम अब FIR में दर्ज किए गए हैं।
सूत्र बताते हैं कि सुसाइड नोट में लिखा गया था — “मैंने पुलिस वर्दी को हमेशा सम्मान दिया, पर अब वही वर्दी मेरे आत्मसम्मान को कुचलने में लगी है। मुझे जीने नहीं दिया गया।”
IAS अमनीत पी. कुमार की शिकायत : “मेरे पति को सिस्टम ने मार दिया”
जापान से लौटने के बाद अमनीत पी. कुमार ने सीधे चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी।
उन्होंने लिखा —“यह कोई साधारण आत्महत्या नहीं है। यह एक सुनियोजित हत्या है जो मानसिक प्रताड़ना के ज़रिए की गई। मेरे पति को शक्तिशाली अधिकारियों ने लगातार अपमानित और हतोत्साहित किया। एक ईमानदार अफसर को तोड़ने के लिए साजिश की गई।”
उन्होंने आगे कहा — “मेरे पति की मौत ने मेरा परिवार तोड़ दिया है। मेरे बच्चों को जवाब चाहिए। मेरे पति की 20 साल की सार्वजनिक सेवा खामोशी नहीं, सम्मान की हकदार है।”
हरियाणा DGP की कुर्सी खतरे में
FIR दर्ज होने के बाद हरियाणा सरकार भी एक्शन मोड में है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 1993 बैच के IPS अधिकारी आलोक मित्तल को अपने आवास पर बुलाया। सूत्रों के अनुसार, DGP शत्रुजीत कपूर को हटाया जा सकता है और उनकी जगह आलोक मित्तल को हरियाणा पुलिस की कमान सौंपी जा सकती है।
राज्य के भीतर ये चर्चा ज़ोरों पर है कि पूरन कुमार केस हरियाणा पुलिस के शीर्ष नेतृत्व के लिए “सबसे बड़ी नैतिक और संवैधानिक परीक्षा” बन गया है।
पूरन कुमार का करियर : सादगी, सख़्ती और ईमानदारी का मिश्रण
पूरन कुमार ने 2001 में IPS के रूप में करियर शुरू किया। वे हमेशा “ज़ीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन” के लिए जाने जाते थे। उनके कार्यकाल में नूंह, हिसार और रोहतक जैसे संवेदनशील जिलों में अपराध नियंत्रण के लिए कई सफल ऑपरेशन चले।
वे नूंह दंगों के बाद प्रशासनिक शांति लाने वाले अफसरों में शामिल थे। कई बार उन्होंने राजनीतिक दबाव को सार्वजनिक तौर पर चुनौती दी। यही शायद उनकी ईमानदारी को सिस्टम में कुछ लोगों के लिए असुविधाजनक बना गया।
मानसिक प्रताड़ना का सिलसिला
अमनीत कुमार के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पूरन कुमार को “अत्यधिक ट्रांसफर”, “फर्जी शिकायतों के नोटिस”, “बैठकों में सार्वजनिक अपमान” जैसे तरीकों से निशाना बनाया गया।
उनकी पत्नी ने लिखा — “वो रोज़ कहते थे कि अब मुझे नहीं रहने दिया जाएगा। उन्हें लगता था कि कुछ अफसर उनकी जाति और ईमानदारी दोनों से परेशान थे।”
कानूनी पहलू : क्या DGP सहित अन्य अफसर गिरफ़्तार होंगे?
FIR में BNS धारा 108 और SC/ST Act की धाराएं लगाई गई हैं। इसमें यह साफ़ कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति को “जातिगत भेदभाव या पद के दुरुपयोग से इस हद तक मानसिक प्रताड़ना दी जाए कि वह आत्महत्या कर ले,” तो यह गंभीर अपराध है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि — “DGP स्तर के अधिकारी पर FIR दर्ज होना अपने आप में एक अभूतपूर्व घटना है। अगर जांच में साक्ष्य मिले तो गिरफ्तारी संभव है, लेकिन यह केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर संवेदनशील मामला बन सकता है।”
राजनीतिक सियासत और सिस्टम पर सवाल
पूरन कुमार केस अब सिर्फ एक पुलिस अफसर की मौत नहीं रहा — यह हरियाणा के शासन-प्रशासन में जातिगत और नौकरशाही असंतुलन की कहानी बन गया है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने इसे “सिस्टम की विफलता” बताया है।
AAP नेता ने कहा — “एक IAS पत्नी को FIR दर्ज करवाने के लिए इतना संघर्ष क्यों करना पड़ा? क्या सिस्टम केवल ताकतवरों के लिए है?”
वहीं बीजेपी सरकार ने फिलहाल जांच पूरी होने तक “ चुप्पी” साध रखी है।
पूरन कुमार के आखिरी शब्द : सूत्रों के मुताबिक सुसाइड नोट में उन्होंने एक भावनात्मक लाइन लिखी थी — “मेरी मौत शायद किसी को झकझोरे, ताकि अगला ईमानदार अफसर इस अपमान से न गुज़रे।” उनके ये शब्द अब एक प्रतीक बन चुके हैं — उस संघर्ष का, जो एक ईमानदार अफसर को अपनी ही वर्दी के भीतर लड़ना पड़ा।
जांच अब चंडीगढ़ पुलिस के हाथों में : चंडीगढ़ के SSP ने पुष्टि की है कि “मामला दर्ज कर लिया गया है और सुसाइड नोट व अन्य साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच कराई जा रही है।”
इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने भी आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में सस्पेंशन या ट्रांसफर CBI या SIT जांच
जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
पूरन कुमार केस सिर्फ आत्महत्या का मामला नहीं — यह उस गहरी बीमारी का आईना है जिसमें ईमानदारी, जाति और शक्ति का संतुलन बिगड़ चुका है। एक अफसर जिसने अपराधियों से नहीं, सिस्टम से हार मानी — उसके नाम के साथ अब एक प्रश्न चिह्न जुड़ा है:
“क्या भारत की नौकरशाही में ईमानदार अफसर सुरक्षित हैं?”
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