ग्वालियर में सिटी एसपी हिना ख़ान ने लगाया ‘जय श्री राम’ का नारा, बढ़ते तनाव के बीच शांति बनाए रखने की कोशिश

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में सोमवार शाम एक प्रशासनिक विवाद अचानक धार्मिक टकराव में तब्दील हो गया, जब फूलबाग़ इलाके़ में तैनात सिटी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) हिना ख़ान ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाकर भीड़ को शांत करने की कोशिश की। इस नारे के जवाब में वहां मौजूद अधिवक्ता अनिल मिश्रा और उनके समर्थकों ने भी नारेबाज़ी की, जिससे कुछ देर के लिए तनावपूर्ण माहौल बन गया।

पूरा मामला ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ परिसर में डॉ. भीमराव आंबेडकर की 10 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने के प्रस्ताव से जुड़ा है। 19 फरवरी 2025 को कुछ अधिवक्ताओं ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैट से इस प्रतिमा की अनुमति मांगी थी। मौखिक सहमति मिलने के बाद पीडब्ल्यूडी ने प्लेटफॉर्म भी बना दिया और मूर्ति का ऑर्डर दे दिया।

हालांकि, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि उन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं दी गई थी। इसी को लेकर विवाद गहराने लगा। विरोध करने वालों में अधिवक्ता अनिल मिश्रा भी शामिल थे, जिन्होंने बीते दिनों डॉ. आंबेडकर पर विवादित टिप्पणी की थी।

उनकी इस टिप्पणी के बाद उन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223, 353(2) और 196(1) के तहत मामला दर्ज हुआ।

आंबेडकर समर्थक संगठनों—भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी और ओबीसी महासभा—ने 15 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन का एलान किया था। हालांकि प्रशासन से बातचीत के बाद प्रदर्शन वापस ले लिया गया, लेकिन शहर में तनाव और असुरक्षा का माहौल बना रहा।

स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने ग्वालियर में बीएनएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। इस दौरान फूलबाग़ इलाके़ में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।

जय श्री राम के नारे से बदला माहौल

इसी दौरान मंगलवार शाम अनिल मिश्रा ने स्थानीय मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ का एलान किया। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें रोकने की कोशिश की। तभी मिश्रा और उनके समर्थक नारे लगाने लगे और आरोप लगाया कि एसपी हिना ख़ान “सनातन धर्म विरोधी” हैं। इस पर हिना ख़ान ने भीड़ को शांत करने के लिए स्वयं ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, उनका यह कदम तनाव कम करने में अहम साबित हुआ।
एक स्थानीय नागरिक ने बताया, “स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी, लेकिन जब एसपी ने खुद वही नारा लगाया, तो भीड़ शांत हो गई। लोग समझ गए कि पुलिस किसी धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है।”

हिना ख़ान ने क्या कहा : घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सिटी एसपी हिना ख़ान ने मीडिया को बताया-“मैं इस पूरे मामले को पॉजिटिवली देखती हूं। मैं बस अपना काम कर रही थी। मेरी ड्यूटी थी कि शहर में शांति बनी रहे। मेरा मक़सद सिर्फ़ लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन रखना था, न कि किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाना।”

हिना ख़ान ने स्पष्ट किया कि उनका कदम पूरी तरह स्थिति को नियंत्रित करने के लिए था, ताकि किसी भी तरह की हिंसा या सांप्रदायिक झड़प न हो।

दूसरी ओर, अधिवक्ता अनिल मिश्रा ने दावा किया कि हिना ख़ान ने “दबाव में आकर” नारे लगाए। उन्होंने कहा, “हमारा रामचरितमानस पाठ हनुमान मंदिर में होना था, लेकिन मंदिर में ताला लगवा दिया गया। हमने विरोध किया और आगे भी करते रहेंगे। अगर हमारे मंदिरों पर ताले लगाए जाएंगे, तो विरोध स्वाभाविक है।”

उनका कहना था कि प्रशासन ने धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक लगाई है।

प्रशासन हाई अलर्ट पर : तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए पूरे ग्वालियर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शहर में 4,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। 700 अतिरिक्त जवान संवेदनशील इलाकों में मौजूद हैं।

सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री पर नज़र रखी जा रही है, अब तक 500 से ज़्यादा पोस्ट हटाई जा चुकी हैं। कुछ स्कूलों को एहतियातन बंद कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए बल तैनात रहेगा।

कौन हैं हिना ख़ान?

हिना ख़ान मूल रूप से मध्य प्रदेश के गुना ज़िले की आरोन तहसील की रहने वाली हैं। उनके पिता सरकारी शिक्षक रहे हैं और अब सेवानिवृत्त हैं, जबकि उनकी मां गृहिणी हैं। हिना ख़ान ने फिजियोथेरेपी में स्नातक किया है।

उन्होंने जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमर्शियल टैक्स ऑफिसर के रूप में कुछ समय कार्य किया।

2016 में एमपीपीएससी परीक्षा के माध्यम से चयन हुआ। 2018 से वे पुलिस सेवा में कार्यरत हैं। उनके परिवार में दो बहनें और एक भाई हैं—तीनों ही वकील हैं।

बढ़ती चर्चा और सामाजिक सन्दर्भ

सोशल मीडिया पर हिना ख़ान का ‘जय श्री राम’ नारा लगाते हुए वीडियो वायरल हो चुका है। कई लोगों ने इसे “साम्प्रदायिक तनाव के बीच साहसी और संतुलित कदम” बताया है, वहीं कुछ लोगों ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी को धार्मिक नारों से दूरी रखनी चाहिए।

समाजशास्त्रियों का कहना है कि यह घटना भारत जैसे विविधतापूर्ण समाज में प्रशासनिक तटस्थता की सीमाओं को रेखांकित करती है।

ग्वालियर की यह घटना बताती है कि धार्मिक प्रतीक, राजनीति और प्रशासन के बीच संतुलन बनाए रखना कितना मुश्किल हो गया है। सिटी एसपी हिना ख़ान का कदम—चाहे उसे “साहसिक” कहा जाए या “रणनीतिक”—फिलहाल इस बात का उदाहरण है कि कभी-कभी एक नारा भी भीड़ को हिंसा से रोक सकता है।

प्रशासन ने शहर में शांति बनाए रखने की अपील की है और स्थिति पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।

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