श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंक के खिलाफ सुरक्षा बलों की मुहिम लगातार तेज़ होती जा रही है। गुरुवार को पुलवामा जिले के त्राल इलाके में हुई मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के तीन स्थानीय आतंकवादी मारे गए। इन आतंकियों की पहचान आसिफ अहमद शेख, आमिर नजीर वानी और यावर अहमद भट के रूप में की गई है। ये सभी पुलवामा जिले के ही निवासी थे।
यह मुठभेड़ केंद्र शासित प्रदेश में 48 घंटे के भीतर दूसरी बड़ी मुठभेड़ है। इससे पहले मंगलवार को शोपियां जिले के केल्लर इलाके में एक मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के तीन आतंकी ढेर किए गए थे।
खुफिया जानकारी पर की गई कार्रवाई : भारतीय सेना की 15वीं कोर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि “15 मई, 2025 को एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से मिली खुफिया जानकारी के आधार पर श्रीनगर सेक्टर की CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सेना ने त्राल के नादेर इलाके में एक व्यापक तलाशी अभियान चलाया।”
सुरक्षा बलों को इलाके में संदिग्ध गतिविधि का पता चला, जिसके बाद उन्होंने पूरे गांव को घेर लिया। तलाशी अभियान के दौरान आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में तीनों मारे गए।
जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले और भारतीय प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि पिछले कुछ सप्ताहों में जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में एक बार फिर तेज़ी आई है, खासकर 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद, जिसमें 25 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद भारत ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि
“देश के भीतर किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।”
10 मई को भारत और पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से संघर्ष विराम की घोषणा की थी, लेकिन इस घोषणा के कुछ ही घंटे बाद नगरोटा में भारतीय सेना के मुख्यालय के बाहर गोलीबारी की गई, जिससे दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनावपूर्ण हालात बन गए हैं।
मारे गए आतंकियों का रिकॉर्ड
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, मारे गए आतंकवादी हाल ही में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुए थे। आसिफ अहमद शेख और आमिर नजीर वानी पहले भी आतंकी गतिविधियों में संलिप्त थे।
यावर अहमद भट को बीते कुछ महीनों में स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल कराने की कोशिशों में देखा गया था। इस कार्रवाई को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
सरकार और सेना की प्रतिक्रिया
राज्य के पुलिस महानिदेशक ने मुठभेड़ के बाद एक बयान में कहा, “यह ऑपरेशन हमारी निरंतर सतर्कता और आक्रामक रणनीति का परिणाम है। हम जम्मू-कश्मीर में आतंक के नेटवर्क को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
सेना के प्रवक्ता ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि “सभी सुरक्षा एजेंसियां मिलकर सीमापार आतंकवाद के खिलाफ एक संगठित मोर्चा बनाए हुए हैं। आने वाले समय में आतंकियों के लिए कश्मीर में जगह नहीं बचेगी।”
पुलवामा की यह मुठभेड़ एक बार फिर दर्शाती है कि भारतीय सुरक्षा बल आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए पूरी तरह तैयार और सक्षम हैं। लगातार मिल रही सफलताओं से संकेत मिलता है कि घाटी में आतंकियों का नेटवर्क धीरे-धीरे कमज़ोर हो रहा है। केंद्र सरकार की आतंक के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति और सेना की आक्रामक रणनीति आने वाले दिनों में और निर्णायक साबित हो सकती है।
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