बरसती बारिश के बीच जोशी की बांसुरी और पद्मश्री रंजना गौहर की बही नृत्यधारा, बांधा समां


शिल्पग्राम में दो दिवसीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य का उत्सव ‘मल्हार’ का समापन


उदयपुर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर द्वारा दर्पण सभागार में आयोजित दो दिवसीय मल्हार उत्सव का समापन रविवार को हुआ। अंतिम दिन चेतन जोशी द्वारा बांसुरी वादन एवं पद्मश्री रंजना गौहर द्वारा नृत्यधारा की प्रस्तुति दी गई।


पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि मानसून की प्रसन्नता को प्रकट करता लोकप्रिय वार्षिक उत्सव ‘मल्हार’ में रविवार की शाम शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में सबसे पहले बांसुरी वादन श्री चेतन जोशी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में आकर्षण के केंद्र, राष्ट्रपति जी द्वारा केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी ने कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रोताओं से बातचीत में कहा कि आज उदयपुर में झमाझम बारिश हो रही है इस कारण उन्होंने वर्षाकालीन राग मधु मल्हार का चयन किया है।


पंडित जोशी ने अपने वादन का प्रारंभ राग मधु मल्हार में आलाप, जोड़ तथा झाला से किया। इसमें उन्होंने अति मंद्र सप्तक बजाने का भी अद्वितीय प्रयोग किया, जिसके लिए उनका नाम कई शोध प्रबंधों में भी आया है। संक्षिप्त आलाप के बाद उन्होंने विलंबित रूपक ताल में एक गत रखी, जिसमें विभिन्न प्रकार की लयकारियों का अद्भुत समावेश दिखाई दिया। मध्य लय की बंदिश ‘सकल घन छायो’ बजाने से पहले उसे गाकर भी बताया।
श्रोताओं की फरमाइश पर पंडित चेतन जोशी ने बनारस की एक कजरी सुना कर अपने अविस्मरणीय कार्यक्रम का समापन किया।


तबले पर दिल्ली से पधारे वरिष्ठ तबला वादक पंडित आशीष सेनगुप्ता ने सधी हुई संगत की। उन्होंने तबले पर अप्रतिम कुशलता का प्रदर्शन कर श्रोताओं का मन जीत लिया। तानपुरे पर हरिजा पांडेय ने संगति की। पंडित चेतन जोशी का बाँसुरी वादन श्रोताओं के लिए अविस्मरणीय रहा तथा इसकी गूँज लम्बे समय तक बनी रहेगी।
उसके बाद नृत्यधारा में पद्मश्री रंजना गौहर दल द्वारा कथक, ओडिसी और छाऊ की संयुक्त प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति का मुख्य उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाना है। यह प्रस्तुति मातृभूमि के आह्वान के साथ शुरू हुई, जिसके बोल जय जय जननी भू देवी, तुझको बार-बार प्रणाम…, जिसे सभी शैलियों द्वारा क्रियान्वित किया गया। आह्वान के बाद प्रत्येक शैली में एक शुद्ध नृत्य प्रस्तुत किया गया।

समापन समारोह में भारत रत्न पंडित रविशंकर द्वारा रचित गीतात्मक संगीत पर नृत्य किया गया। पंडित रविशंकर के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, जहां सभी शैलियां एक साथ लाई गई और नृत्य के माध्यम से राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन किया गया। इस प्रस्तुति में विनोद केविन बचन, उर्जस्वी दत्ता, स्वाति शर्मा, लावणा चुघ, मुस्कान, स्तुति पाण्डे, आरूषि लाल, अर्जुन कोहिल, हिमेश पर्चा, पंकज सिंह, श्रीराम सांखला, विधा लाल थे। प्रकाश परियोजना संदीप दत्ता ने किया।


अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सिद्धांत भटनागर ने किया। इस अवसर पर केन्द्र के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। देश के ख्यात नाम कलाकारों ने शात्रीय संगीत और नृत्यों की उम्दा प्रस्तुतियों से ‘मल्हार’ को यादगार बनाया।

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