गुणों को ग्रहण कर सम्यक दर्शन प्राप्त करें : साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री

– 21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना


उदयपुर। श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में बुधवार को विशेष प्रवचन हुए । महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में दोनों साध्वियों के सान्निध्य में  21 जुलाई को पद्मावती माता का जाप एवं सामूहिक एकासना किया जाएगा।
 चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने चातुर्मासिक प्रवचन में कहां कि धर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है, और धर्म प्राप्ति का उपाय है साधु भगवंतों का संघ। इनके सत्संग से जीव को सम्यक दर्शन ज्ञान-चारित्र की प्राप्ति होती है। भगवान श्री ऋषभ देव का जीव धन सार्थवाह के भव में सार्थ लेकर निकलते हैं। उनके साथ आचार्य भगवंत अपने परिवार के साथ पधारते हैं। कलिकाल सर्वम श्री त्रिपष्टि चरित्र में महात्मा बताते है कि जब धन सार्थवाह आचार्य भगवंत उपने परिवार के साथ पधारते हैं को वंदन करने जाते हैं तब देखते हैं कि कोई।

स्वाध्याय कर रहे हैं, कोई महात्मा वैयावच्च कर रहे है तो कोई महात्मा कायोत्सर्ग में, . ध्यान में लीन हैं। इस दृश्य को देखकर उनका मन हिल जाता है। उन्हें महात्माओं के प्रति अपूर्व आदर भाव जागता है और वहाँ उन साधुओं की भक्ति करते हुए उन्हें सम्यक दर्शन प्राप्त होताहै उन्होंने महात्माओं के गुणों को देखा इसलिए उन्हें बोधि की प्राप्ति हुई थी। हमें भी महात्माओं के पास जब-जब भी जाने का सुअवसर प्राप्त होते, हमें गुणों की ग्रहण करना है। चिलाती पुत्र को तीन शब्दों में ही धर्म का बोध हो गया था। हमने तीन शब्द नहीं तीन हजार शब्द सुन लिए लेकिन / फिर भी हमारे पर असर क्यूं नही हुआ? हमारा चित्त, हमारा मन ही उपशांत नहीं है तो उपदेश का असर कैसे होगा। जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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