नवसंवत्सर महोत्सव 2025: भारतीय संस्कृति के गौरव का भव्य उत्सव

उदयपुर। अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति, नगर निगम उदयपुर, आलोक संस्थान, एवं सर्व समाज-संगठन के संयुक्त तत्वावधान में इस वर्ष भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2082 के स्वागत में एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन किया जा रहा है। पंद्रह दिवसीय यह महोत्सव भारतीय संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को पुनर्जीवित करने वाला होगा। समिति के राष्ट्रीय सचिव डॉ. प्रदीप कुमावत ने आलोक संस्थान के चित्तमठ सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में इस विशेष आयोजन की जानकारी दी।

म्हारी घूमर: मातृशक्ति के गौरव का उत्सव
22 मार्च 2025, शनिवार को श्रीराम क्रीड़ा मैदान, आलोक संस्थान, हिरणमगरी सेक्टर-11 में महिलाओं और बालिकाओं के लिए विशेष रूप से “म्हारी घूमर” का भव्य आयोजन किया जाएगा। यह न केवल एक नृत्य कार्यक्रम होगा, बल्कि मातृशक्ति के सम्मान, लोक संस्कृति के उत्थान और समाज में महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करने का एक अनूठा प्रयास होगा।

इस आयोजन की थीम “नववर्ष, नव ऊर्जा, नव हर्ष – म्हारी घूमर में संस्कारों की छाँव” रखी गई है। 1008 महिलाएं पारंपरिक परिधान में नृत्य करेंगी, जिससे मेवाड़ी संस्कृति की अद्भुत झलक देखने को मिलेगी। आयोजन स्थल पर व्यंजन मेले, पारंपरिक वेशभूषा प्रदर्शनी और लोकगीत-संगीत की झलक भी होगी।

जल और प्रकृति को समर्पित वरुण वंदन – महावीर अभिनंदन
18 मार्च को सायं 5:30 बजे नेला तालाब पर वरुण वंदन – महावीर अभिनंदन का आयोजन होगा। इसमें जल देवता वरुण का पूजन और जल संरक्षण का संदेश दिया जाएगा। यह कार्यक्रम नेला तालाब विकास समिति के सहयोग से होगा।

विक्रम विरासत परिक्रमा और महापुरुष पूजन
24 और 25 मार्च को विक्रम विरासत परिक्रमा के अंतर्गत उदयपुर के प्रमुख चौराहों पर स्थित महापुरुषों की प्रतिमाओं का दुग्धाभिषेक एवं पूजन किया जाएगा। साथ ही समाजसेवियों का सम्मान भी होगा।

आमंत्रण यात्रा एवं विक्रम रंगोली प्रतियोगिता
19 से 21 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रमों के तहत गुड़ी पड़वा यात्रा, विक्रम रंगोली प्रतियोगिता, और संस्कृति चेतना यात्रा निकाली जाएगी। इसके अंतर्गत युवाओं को अपनी परंपराओं से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।

कयाकिंग और केनोइंग: पिछोला झील में पहली बार अद्भुत जलक्रीड़ा
27 मार्च को राजस्थान कयाकिंग एण्ड केनोइंग एसोसिएशन और क्रीड़ा भारती के सहयोग से पिछोला झील में कयाकिंग और केनोइंग के रोमांचक प्रदर्शन होंगे। यह आयोजन परशुराम घाट अंबापोल से लेकर गणगौर घाट तक होगा, जिसे देखने के लिए जनता विशेष रूप से आमंत्रित है।

लोक परिधान उत्सव और मूंछ प्रतियोगिता
28 मार्च को लोक परिधान उत्सव के तहत पारंपरिक वेशभूषा, राजस्थानी पगड़ी सजावट और मूंछ प्रतियोगिता का आयोजन फतेहसागर झील के किनारे किया जाएगा। इस कार्यक्रम में पुरुष अपनी मूंछों की लंबाई और शैली का प्रदर्शन करेंगे, जो राजस्थानी शान का प्रतीक है।

ज्योति कलश संस्कृति चेतना यात्रा
29 मार्च को दोपहर 3 बजे एकलिंगजी से प्रारंभ होकर यह यात्रा गणगौर घाट पहुंचेगी, जहां विशेष रूप से भगवान जगदीश और भगवान राम के मिलन की झांकी प्रस्तुत की जाएगी। यह यात्रा भारतीय संस्कृति के मूल्यों और परंपराओं का अद्भुत संगम होगी।

भव्य समापन: चैती एकम् री सवारी और आतिशबाजी
30 मार्च को पाला गणेशजी से दूधतलाई तक चैती एकम् री सवारी निकाली जाएगी, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा में सजे हाथी, घोड़े और बैंड बाजे होंगे। समापन समारोह में नगर निगम की ओर से भव्य आतिशबाजी होगी और गंगा आरती के साथ नवसंवत्सर को विदाई दी जाएगी।

महाअभियान: विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत घोषित करने की मांग
समिति के संयोजक कमलेन्द्र सिंह पंवार ने बताया कि महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा को संसद परिसर में स्थापित करने और विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत घोषित करने की मांग को लेकर देशव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस पर निर्णय नहीं लेती।

संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रभक्ति का महासंगम
अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति द्वारा डॉ. प्रदीप कुमावत के नेतृत्व में यह आयोजन भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक प्रयास है।

यह महोत्सव संस्कार, संस्कृति और राष्ट्र प्रेम का जीवंत उदाहरण बनेगा। आप सभी इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनें और भारतीय नववर्ष विक्रम संवत 2082 का भव्य स्वागत करें!

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