उदयपुर। राजस्थान से संबंध रखने वाली देश के अलग अलग कस्बों व शहरों से आई साधारण व मध्यम वर्ग परिवारों से आई युवा नवोदित लेखिकाओं ने शनिवार को सेवा मन्दिर के रमा मेहता सभागार मे आयोजित प्रेस मीट मे महिलाओं की समाज मे स्थिति व उनके समक्ष कठिनाइयों व चुनौतियों पर खुलकर विचार रखे।
रमा मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम मे राजस्थान से संबंध रखने वाली तथा देश के अलग अलग कस्बों, शहरों से आई इन युवा लेखिकाओं ने कहा कि लेखन सहित विविध रचनात्मक व सृजनात्मक कार्यों के लिए घर परिवार से बाहर आकर खुद को पूर्ण अभिव्यक्त करने मे अनेकों चुनौतियाँ है । मद्यमवर्गीय परिवारों से जुड़ी युवा लेखिकाओं के लेखन कौशल व साहित्य सृजन ऊर्जा को परिष्कृत कर उन्हे इस विधा मे आगे बढ़ाने के अवसर भी कम है। जबकि, संबल, सहयोग व मार्ग दर्शन मिलने पर युवा लेखिकाएं अपने लेखन से समाज, देश व विश्व मे परिवर्तन लाने का कौशल व साहस रखती है।
उल्लेखनीय है कि रमा मेहता मेमोरियल ट्रस्ट युवा लेखिकाओं को लेखन ग्रांट प्रदान कर उन्हे लेखन क्षेत्र मे स्थापित होने का अवसर प्रदान कर रहा है।
ट्रस्टी अजय मेहता व नीलिमा खेतान ने बताया कि जन्म, विवाह, शिक्षा, करियर या पिछले निवास के द्वारा राजस्थान से संबंध रखने वाली हर महिला इस ग्रांट के लिए पात्रता रखती है। ग्रांट हिंदी, राजस्थानी, उर्दू व अंग्रेजी, प्रति भाषा एक लेखिका को दी जाती है। लेखन का विषय ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष नवंबर में घोषित किया जाता है। और 31 मार्च तक प्रविष्टियों स्वीकार किया जाता है । इस लेखन ग्रांट का उद्देश्य नवोदित लेखिकाओं की पहचान कर उनकी लेखन प्रतिभा व कौशल को परिष्कृत व स्थापित करना है।
लेखन ग्रांट योजना के सलाहकार मंडल मे प्रख्यात लेखिकाएं इरा पांडे, रख्शंदा जलील और एनी ज़ैदी सम्मिलित है।
वर्ष 2023 ग्रांट के लिए ट्रस्ट को चारों भाषाओं में कुल 177 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई ।जिनमें 43 चयनित लेखिकाएं चार दिवसीय राइटर्स’ रिट्रीट कार्यशाला मे भाग ले रही है। चारों भाषाओं की विजेता लेखिकाओं के नाम की घोषणा 23 सितंबर 2023 को मुंशी प्रेमचंद की पोती , प्रसिद्ध लेखिका, अनुवादक व संपादक
सारा राय करेगी।
ट्रस्ट की जानकारी देते हुए मेहता तथा खेतान ने बताया कि रमा मेहता मूलत : गुजरात की रहने वाली थीं और आजादी के पश्चात भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चयनित पहली तीन महिलाओं में से एक थी ।
रमा मेहता का विवाह उदयपुर निवासी उनके ही साथ कार्यरत भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी जगत एस. मेहता से हुई । पद्म भूषण जगत मेहता देश के सफलतम विदेश सचिव रहे।
जगत मेहता से विवाह रमा मेहता को उदयपुर ले आया । वह इस शहर की संस्कृति और परंपराओं के साथ पूरी तरह घुल मिल गई।
वर्ष 1951 में , बेटी के जन्म के पश्चात् तथा उनके पति के विदेश में तैनात हो जाने के कारण, रमा मेहता न विदेश सेवा छोड़ दी। और, उन्होंने द ट्रिब्यून और हिंदुस्तान टाइम्स अखबारों मे एक नियमित कॉलमिस्ट के रूप में लिखना प्रारंभ कर दिया । उनके लेख के विषय मुख्यतया परिवार संस्कृति ,कला और शिल्प, परिवार व समाज मे महिलाओं की स्थिति पर केंद्रित होते थे।
रमा मेहता ने पारंपरिक समाजों की उन परम्परागत मान्यताओं पर गहन शोध किया जो आधुनिकीकरण से साम्य रखती थी । उनके तीन उपन्यास रामू, केशव का जीवन और हवेली के अंदर विश्व प्रसिद्ध हुए।उनके सभी उपन्यासों की पृष्ठभूमि मे उदयपुर रहा ।
वर्ष 1977 मे प्रकाशित उनके उपन्यास हवेली के अंदर को वर्ष 1979 मे केंद्रीय सहित्य अकादमी राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
उनके देहावसान के पश्चात् उनकी स्मृति मे,30 अगस्त 1980 को, “श्रीमती रमा मेहता चैरिटेबल ट्रस्ट” की स्थापना की गई। चार दशकों से यह ट्रस्ट जरूरत मंद महिलाओं को शिक्षा सहायता प्रदान करता रहा है।
लेखन व साहित्य सृजन रमा मेहता के मन के बहुत नजदीक रहा। इसलिए ट्रस्ट ने अपने 40 वे वर्ष मे रमा मेहता लेखन अनुदान योजना प्रारंभ की। पहले अनुदान के विजेताओं का ऐलान 23 सितंबर 2021 को हुआ, और वर्ष 2023 लेखन ग्रांट का तीसरा वर्ष है।
कार्यक्रम मे युवा लेखिकाओं के मेंटर के रूप मे उपस्थित हिंदी के साहित्यकार प्रभात रंजन , राजस्थानी साहित्यकार सी पी देवल, उर्दू साहित्यकार ग़ज़नफ़र अली, अंग्रेजी साहित्यकार अनुपमा मोहन ने भी विचार व्यक्त किये।
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