
उदयपुर। देशभर में जब लोग इंजीनियरों की कल्पनाशीलता और जज़्बे का जश्न मना रहे थे, तभी राजस्थान की धरती पर खनिज संपदा से भरी सुरंगों में, आधुनिक मशीनों की आवाज़ और धातु विज्ञान की चमक के बीच एक कहानी लिखी जा रही थी। यह कहानी है उन इंजीनियरों की, जो न सिर्फ़ धातुओं का उत्पादन कर रहे हैं, बल्कि भारत के भविष्य की नींव गढ़ रहे हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी और भारत की एकमात्र एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी—हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड। आज इसकी धड़कनें उन 1490 से अधिक इंजीनियरों से संचालित होती हैं, जिनमें से 55% से ज़्यादा एक्जीक्यूटिव पदों पर इंजीनियर कार्यरत हैं। यह आँकड़ा सिर्फ़ एक संख्या नहीं, बल्कि उस दृष्टि का प्रमाण है जिसमें तकनीकी उत्कृष्टता, नवाचार और समस्या-समाधान को प्रगति का इंजन माना गया है।
बाधाओं को तोड़ती महिलाएं
कुछ साल पहले तक भूमिगत खानों और भारी मशीनों की दुनिया में महिलाओं की मौजूदगी दुर्लभ मानी जाती थी। लेकिन आज हिन्दुस्तान जिंक में 270 से अधिक महिला इंजीनियर कार्यरत हैं। ये महिलाएं न सिर्फ़ प्रयोगशालाओं और टेक्नोलॉजी टीमों में, बल्कि खदान प्रबंधन और भूमिगत रेस्क्यू टीमों तक का नेतृत्व कर रही हैं।
भारत की पहली पूरी तरह महिला भूमिगत खदान बचाव टीम—क्या यह सिर्फ़ एक उपलब्धि है? नहीं, यह उस साहस और परिवर्तन की मिसाल है जो यह साबित करती है कि धातुओं की दुनिया में भी स्त्रियों का हौसला चमक सकता है।
सिंदेसर खुर्द खदान में मैकेनिकल इंजीनियर कविता मीणा मुस्कुराते हुए कहती हैं—
“हिन्दुस्तान जिंक में सीखना एक निरंतर यात्रा है। हर दिन नई चुनौतियाँ सामने आती हैं, लेकिन डिजिटल उपकरण, डेटा और टीमवर्क हमें उन चुनौतियों को अवसरों में बदलना सिखाते हैं। यह सिर्फ़ नौकरी नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का हिस्सा है।”
बदलाव की नई परिभाषा
पिछले पाँच वर्षों में, इंजीनियरों ने हिन्दुस्तान जिंक के हर पहलू में बदलाव लाया है—
खनन में टेली-रिमोट तकनीक और रियल-टाइम एनालिटिक्स
उत्पादन में ऑटोमेशन और रोबोटिक्स
पर्यावरण के लिए डीकार्बोनाइजेशन और संसाधनों का संरक्षण
ये कदम न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि सुरक्षा, सततता और भारत के जलवायु लक्ष्यों के समर्थन में भी अहम योगदान देते हैं।
नई पीढ़ी, नया जोश
कंपनी ने हाल ही में भारत के शीर्ष संस्थानों से 300 युवा प्रोफेशनल्स का स्वागत किया है।
वीएलडीपी, जीईटी, पीजीईटी और एमटी जैसे कार्यक्रमों से आए ये युवा “Echoes of Tomorrow” हैं—एक ऐसी पीढ़ी जो स्टार्टअप की फुर्ती और इंडस्ट्री लीडर की मजबूती को साथ लेकर चलती है।
नेतृत्व की नज़र से
हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक अरुण मिश्रा गर्व के साथ कहते हैं—
“इंजीनियर हमारी रीढ़ हैं। उनका नवाचार और समस्या-समाधान ही हमें आत्मनिर्भर भारत के सपने को हकीकत में बदलने की शक्ति देता है। इंजीनियर्स डे पर हम उन सभी पुरुषों और महिलाओं को सलाम करते हैं, जो खनन और धातु विज्ञान के भविष्य को आकार दे रहे हैं।”
आज हिन्दुस्तान जिंक सिर्फ़ जिंक और चांदी का उत्पादक नहीं, बल्कि भारत के आर्थिक और औद्योगिक विकास का स्तंभ है।
यहाँ काम करने वाले इंजीनियर हर दिन यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उद्योग न केवल मुनाफ़े और उत्पादन से आगे बढ़े, बल्कि पर्यावरण, समाज और राष्ट्र के साथ भी संतुलित रहे।
रात की शिफ्ट में रोशनी से जगमगाती खदानों से लेकर प्रयोगशालाओं में जटिल समीकरणों तक, और हाई-टेक कंट्रोल रूम से लेकर फील्ड में मशीनों के शोर तक—हर जगह एक ही संदेश गूंजता है:
“हम सिर्फ़ धातु नहीं गढ़ते, हम भारत का भविष्य गढ़ते हैं।”
About Author
You may also like
-
उदयपुर में हुई RBI सेंट्रल बोर्ड की बैठक : ग्लोबल-डोमेस्टिक हालात की समीक्षा
-
Billie Eilish urges billionaires to “give away their money” — makes remark while Mark Zuckerberg watches.
-
SS Rajamouli’s Baahubali: The Epic Poised to Rewrite Box Office History
-
हिन्दुस्तान जिंक ने बढ़ाया स्मार्ट माइनिंग का दायरा : आईआईओटी संचालित फ्लीट इंटेलिजेंस से दक्षता और ऊर्जा प्रदर्शन में ऐतिहासिक सुधार
-
भारत विमेंस वर्ल्ड कप के फाइनल में : जेमिमा रॉड्रिग्ज की शतकीय चमक से भारत ने 7 बार की चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को हराया