
कैमरे की रोशनी में जन्मा एक बच्चा
(मुंबई, 29 जुलाई 1959 — ब्रीच कैंडी अस्पताल का कमरा)
खिड़की से आती धूप हल्के-हल्के सफेद परदों पर पड़ रही थी। बाहर गहमागहमी थी — फोटोग्राफरों के कैमरे चमक रहे थे, पत्रकार नोटबुक खोले खड़े थे।
भीतर, नरगिस दत्त ने अपने नवजात बेटे को गोद में लिया। सुनील दत्त, चेहरे पर एक आत्मविश्वास भरी मुस्कान के साथ बोले —
“ये भी फिल्मों में जाएगा… हमारे खून में है ये।”
किसी ने नहीं सोचा था कि यह बच्चा एक दिन बॉलीवुड का सबसे चर्चित, विवादित और करिश्माई चेहरा बनेगा — संजय बलराज दत्त।
बचपन का सितारा, परछाइयों का साया
संजय का बचपन चकाचौंध के बीच बीता। पिता सुनील दत्त — हिंदी सिनेमा के सज्जन नायक, मां नरगिस — ‘मदर इंडिया’ जैसी क्लासिक देने वाली दिग्गज अभिनेत्री।
घर में पार्टियां होतीं, मेहमानों में राज कपूर, दिलीप कुमार, देव आनंद जैसे नाम शामिल होते।

संजय की फिल्मों से पहली मुलाकात 13 साल की उम्र में हुई, जब उन्होंने अपने पिता की फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ (1972) में एक छोटे रोल में स्क्रीन पर कदम रखा।
लेकिन इस सुनहरे बचपन पर एक काली परछाई तब पड़ी, जब संजय किशोर थे और उनकी मां कैंसर से लड़ रही थीं।
“मां के बिना मैं खो गया था। अंदर से टूट चुका था,” उन्होंने बाद में एक इंटरव्यू में कहा।
नरगिस की मौत 1981 में हुई, रॉकी के रिलीज से कुछ ही दिन पहले। उसी समय संजय की जिंदगी में एक नया, खतरनाक मोड़ आया — ड्रग्स।
स्टार बनने का सफर और पहली मोहब्बतें
1981 की ‘रॉकी’ से संजय ने बतौर हीरो शुरुआत की। लंबा कद, गहरी आंखें, और एटीट्यूड — लड़कियों के बीच उनका क्रेज तुरंत बढ़ गया।
फिल्म हिट रही, और संजय रातों-रात स्टार बन गए।
80 का दशक संजय के लिए फिल्मों के साथ-साथ पार्टी लाइफ का भी दौर था। शूटिंग, फिर देर रात की महफिलें, शराब, ड्रग्स, और दोस्तों का बड़ा दायरा।
इसी दौरान उनकी जिंदगी में आईं टीना मुनीम (अब टीना अंबानी)। बचपन की दोस्ती मोहब्बत में बदली।
संजय ने ‘स्टारडस्ट’ मैगज़ीन को बताया था —”टीना मेरी जिंदगी में बहुत मायने रखती थीं। मैं उनके लिए पागल था, लेकिन मैं खुद को संभाल नहीं पाया।”
308 अफेयर्स — मिथक या सच्चाई?
फिल्म संजू (2018) में रणबीर कपूर के डायलॉग ने तहलका मचा दिया —
“308 औरतें… बस? गिनती में गलती हो गई होगी!”
राजकुमार हिरानी ने खुलासा किया कि यह आंकड़ा संजय के एक मजाकिया अंदाज़ में दिए जवाब से आया था।
संजय ने खुद कहा — “हाँ, जवानी में मेरे बहुत अफेयर्स रहे… और एक वक्त था जब मैं तीन महिलाओं को एक साथ डेट कर रहा था।”
उनके अफेयर्स में टीना मुनीम, माधुरी दीक्षित, लीजा रे, और सबसे चर्चित नाम — रेखा — शामिल रहे।
रेखा और सिंदूर का रहस्य

1984 की बात है। फिल्म ‘जमीन आसमान’ की शूटिंग के दौरान अफवाह फैली कि संजय दत्त और रेखा ने मंदिर में शादी कर ली है। मीडिया में खबरें छपने लगीं कि रेखा घर से हफ्तों तक गायब रहीं और वापस लौटीं तो सिंदूर लगाए थीं।
कुछ रिपोर्ट्स ने लिखा कि सुनील दत्त नाराज़ हो गए और बेटे की शादी जल्दबाज़ी में ऋचा शर्मा से करवा दी।
सालों बाद लेखक यासिर उस्मान ने अपनी किताब ‘रेखा: द अनटोल्ड स्टोरी’ में साफ किया कि ये महज़ अफवाह थी।
“उस समय संजय मुश्किल दौर में थे और रेखा सिर्फ दोस्त की तरह मदद कर रही थीं। सिंदूर वाली कहानी महज़ मीडिया की सनसनी थी,” किताब में लिखा है।
रेखा ने खुद कहा — “जहां मैं पली-बढ़ी हूं, वहां सिंदूर लगाना फैशन है।”
तीन शादियों की इमोशनल जर्नी
पहली पत्नी : ऋचा शर्मा
1987 में शादी। 1988 में बेटी त्रिशाला का जन्म। लेकिन किस्मत ने cruel मोड़ लिया — ऋचा को ब्रेन ट्यूमर हो गया। इलाज के लिए वो अमेरिका चली गईं।
10 दिसंबर 1996 को 32 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई।
“उनकी मौत के बाद मैंने जिंदगी पर भरोसा खो दिया था,” संजय ने बाद में कहा।
दूसरी पत्नी : रिया पिल्लई
मॉडल रिया से 1998 में शादी। जेल के दिनों में रिया ने उनका साथ दिया, लेकिन फिल्मों की व्यस्तता और बढ़ती दूरियों के चलते 2008 में तलाक हो गया।
संजय ने रिया को बांद्रा के दो फ्लैट और दो कंपनियों के शेयर दिए।
तीसरी पत्नी : मान्यता दत्त
2008 में गोवा में शादी। 2010 में जुड़वां — शाहरान और इकरा का जन्म।
मान्यता ने शादी के बाद एक्टिंग छोड़ दी और अब संजय दत्त प्रोडक्शंस की सीईओ हैं।
खलनायक की असल जिंदगी का ट्रायल
1993 मुंबई ब्लास्ट केस में अवैध हथियार रखने के आरोप में संजय गिरफ्तार हुए।
पुलिस वैन में बैठा एक स्टार — हथकड़ियों में, और बाहर कैमरों की भीड़।
जेल में उनकी दिनचर्या — सुबह 5 बजे उठना, चाय बनाना, बैरक साफ करना, और दिनभर वर्कशॉप में लकड़ी का फर्नीचर बनाना।
“जेल ने मुझे तोड़ दिया, लेकिन मुझे नया इंसान भी बनाया,” उन्होंने कहा।
वापसी का मुन्नाभाई
2003 में ‘मुन्नाभाई M.B.B.S.’ आई और संजय की इमेज बदल गई।
राजकुमार हिरानी ने एक इंटरव्यू में कहा —
“मैंने संजय में एक बच्चा देखा — मासूम, ईमानदार, और प्यार से भरा हुआ। वही मुन्नाभाई बना।”
‘जादू की झप्पी’ देशभर में एक नया इमोशनल सिंबल बन गई।
आज का संजय
आज 66 की उम्र में संजय पहले से ज्यादा फिट हैं। सुबह योग, दिन में स्क्रिप्ट रीडिंग, और शाम को बच्चों के साथ वक्त।
“अब मुझे घर की शांति सबसे प्यारी लगती है,” वो कहते हैं।
उनकी आने वाली फिल्मों में कैंडीमैन और गुड बाय जैसे बड़े प्रोजेक्ट शामिल हैं।
नायक, खलनायक, और अपनी कहानी का हीरो
संजय दत्त की जिंदगी में सब कुछ था — प्यार, हानि, विवाद, जेल, और शानदार वापसी।
उन्होंने गिरकर उठना सीखा, और यही उन्हें खास बनाता है।
“लोग मुझे खलनायक कहते हैं, लेकिन मेरी कहानी में मैं हीरो हूं,” — संजय दत्त।
About Author
You may also like
- 
                
हरमाड़ा, जयपुर : मौत बनकर दौड़ा डंपर, 13 लोगों की चीखें हाईवे पर थम गईं
 - 
                
खान सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक : 49वां खान सुरक्षा सप्ताह शुरू
 - 
                
हिन्दी सिनेमा के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर और ‘रोमांस के किंग’ शाहरुख़ ख़ान की कहानी
 - 
                
Cambridgeshire Train Stabbings : Inside the 14 Minutes of Terror — And the Heroism That Saved Lives
 - 
                
नारायण सेवा संस्थान में तुलसी–शालिग्राम विवाह धूमधाम से सम्पन्न