उदयपुर। स्कूलों व अन्य शिक्षण संस्थाओं में ‘गुड टच-बेड टच’ के संबंध में जानकारी हर बच्चे के लिए उतनी ही जरूरी है जितना उस बच्चे के लिए खाना-पीना और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन। हर बच्चा अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ‘गुड टच-बेड टच’ को समझकर जानकारी को जीवन में उतारे और इस अनुरूप अपेक्षित व्यवहार करें।
यह विचार विद्याभवन उच्च माध्यमिक विद्यालय, फतेहपुरा में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी नवीन जैन की प्रेरणा से शिक्षा विभाग में आयोजित किए जा रहे स्पर्श अभियान ‘गुड टच-बेड टच’ के अंतर्गत आयोजित कार्यशाला में मुख्य वक्ता कश्ती फाउंडेशन की संस्थापक श्रद्धा मुर्डिया, मीरा कन्या महाविद्यालय की ऐसोसियेट प्रोफेसर डॉ. सोफिया नलवाया और राधिका अग्रवाल ने व्यक्त किए।
इस दौरान मुर्डिया ने छात्राओं को दैनन्दिन व्यवहार में गुड टच-बेड टच की अवधारणा को स्पष्ट किया और कहा कि इसे बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए। मुर्डिया ने बाल मनोविज्ञान को समझने और इस अनुरूप व्यवहार का आह्वान किया। डॉ. नलवाया ने अभिभावकों और शिक्षकों के दायित्वों के बारे में बताया और कहा कि थोड़ी सी जागरूकता से हम किसी बच्चे के भविष्य को बर्बाद होने से रोक सकते हैं। अग्रवाल ने भी गुड टच-बेड टच के बारे में जानकारी दी।
वक्ताओं ने पावर प्वाइंट प्रजेन्टेशन व अभिनय के माध्यम से छात्राओं को जानकारी दी। कार्यशाला में विद्यालय की कक्षा 6 से 12 तक की 170 छात्राओं ने भाग लिया। वक्ताओं ने प्रश्नोत्तर सत्र में छात्राओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया। इस मौके पर विद्या भवन उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य पुष्पराजसिंह राणावत ने तीनों वक्ताओं का स्वागत किया और इस अभियान की सराहना की। कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए आभार नीलोफर मुनीर ने व्यक्त किया।
माता-पिता से सतत संवाद जरूरी :
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आजकल बच्चों और अभिभावकों के बीच संवाद का अभाव है जिस कारण बच्चे कई बार अनावश्यक मुसीबत में भी फंस जाते हैं क्योंकि वे अपने साथ होने वाले बुरे व्यवहार या गलत कार्यों के प्रति भी अभिभावको को नहीं बता पाते। इसलिए दोनों तरफ से इस कम्यूनिकेशन गेप को समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए। कार्यशाला दौरान उन्होंने छात्राओं से कहा कि माता-पिता ही उनके सुख-दुख के सच्चे साथी है इसलिए वे अपने माता-पिता से लगातार संवाद कायम रखें। स्कूल या कार्यस्थल पर होने वाली हर छोटी-बड़ी घटना को वे अपने माता-पिता या अभिभावकों की जानकारी में दें। उनसे समन्वय स्थापित करें क्योंकि विकट परिस्थितियों में वे ही उनके हर कदम पर साथ होंगे।
अभिभावकों की भी जिम्मेदारी :
वक्ताओं ने अभिभावकों से भी अपील की कि बच्चों के अच्छे व्यवहार पर उन्हें प्रोत्साहित करें, उनसे संवाद बनाएं। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि अनजान लोग ही बच्चों के साथ छेड़छाड़ या यौन शोषण करते हैं बल्कि ज्यादातर घटनाओं में सामने आता है कि आस पास के लोग नियमित संपर्क में आने वाले लोग और पारिवारिक लोग भी इस तरह की हरकत कर सकते हैं। ऐसे में जागरूकता और सावधानी बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ-साथ बड़े व अभिभावक सोशल मीडिया को लेकर सावधान रहे। अनावश्यक एप डाउनलोड करते समय सावधानी बरतें। यदि किसी अनजान के सोशल मीडिया पर गलत मैसेज आ रहे हैं तो उसकी शिकायत करें, उन्हें ब्लॉक करें। ओटीटी पर गाली-गलोच वाली फिल्मों व सीरियल आदि बच्चों को न देखने दें।
टीनएजर्स को किया सावधान :
वक्ताओं ने टीएनएजर्स को सावधान करते हुए अच्छी संगत में रहने की प्रेरणा दी व कहा कि यदि आप बिल्कुल शरीफ है लेकिन यदि आपकी संगत गलत हुई तो इसका बुरा प्रभाव आपके साथ आपके माँ-बाप पर भी पड़ सकता है क्योंकि जब भी आप या आपके साथी कुछ गलत करेंगे तो पुलिस सबसे पहले अभिभावकों को ही बुलाएगी। वहीं आपके गलत कार्यों की सामाजिक सजा भी आपके अभिभावकों को भुगतनी पड़ सकती है। उन्होंने बच्चों को गुड टच, बैड टच के प्रति विस्तार से जानकारी देते हुए, बच्चों व टीएनएजर्स को सावधान रहने की हिदायत दी। इसी तरह अन्य वक्ताओं ने विभिन्न स्कूलों में बच्चों को स्पर्श अभियान के तहत जागरूक किया।
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