उदयपुर | धातु और खनन जैसे पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान वाले क्षेत्रों में अब महिलाएं भी बराबरी से अपनी पहचान बना रही हैं। इसी कड़ी में हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने राजस्थान के उदयपुर स्थित देश के सबसे पुराने जिंक स्मेल्टर –देबारी में महिलाओं के लिए नाइटशिफ्ट की शुरुआत की है।
यह सिर्फ़ एक शिफ्ट नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक है जो कहती है – महिलाएं जहां चाहें, जब चाहें, वहां काम कर सकती हैं और उद्योग की कमान संभाल सकती हैं।
हिन्दुस्तान जिंक पहले ही अपने विभिन्न परिचालनों – रामपुरा आगुचा माइन, पंतनगर मेटल प्लांट, चंदेरिया स्मेल्टिंग कॉम्प्लेक्स, कायड़ माइन, जावर माइंस और सिंदेसर खुर्द माइन – में महिलाओं के लिए बैकशिफ्ट और नाइटशिफ्ट शुरू कर चुका है। इस कदम ने न केवल कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई है, बल्कि 26% जेंडर डायवर्सिटी अनुपात के साथ यह कंपनी देश के मेटल और माइनिंग क्षेत्र में सबसे आगे है।
“बाधाओं को तोड़ना ही असली प्रगति है”
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की चेयरपर्सन प्रिया अग्रवाल हेब्बर के शब्द इस पहल की असली भावना को दर्शाते हैं –“देबारी स्मेल्टर में महिलाओं की नाइटशिफ्ट शुरू करना हमारे लिए गर्व का क्षण है। यह सिर्फ़ रोजगार नहीं, बल्कि समावेशन और साहस की कहानी है। जब महिलाएं निर्भीक होकर नेतृत्व करती हैं, तभी सच्ची प्रगति होती है। हमारा उद्देश्य एक ऐसा कार्यस्थल बनाना है जहाँ विविधता से नवाचार और समावेशन से विकास को गति मिले।”
ग्राउंड से महिलाओं की आवाज़
देबारी स्मेल्टर में नाइटशिफ्ट करने वाली ग्रेजुएट ट्रेनी रुबीना अगवानी ने अपने अनुभव साझा किए-“नाइटशिफ्ट में काम करना मेरे लिए सिर्फ़ नौकरी नहीं, बल्कि एक सशक्त अनुभव है। यहां की सुरक्षा व्यवस्थाएं और मार्गदर्शन ने मुझे आत्मविश्वास दिया है कि मैं सीमाएं तोड़ सकती हूं। यह पहल मेरे साथ-साथ अनगिनत महिलाओं को प्रेरित करेगी कि मेटल और माइनिंग जैसे क्षेत्रों में भी उनके लिए जगह है।”
सुरक्षित और सक्षम कार्यस्थल
महिलाओं को नाइटशिफ्ट में काम करने के लिए कंपनी ने मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य सुविधाएँ और वेलनेस प्रोग्राम्स लागू किए हैं। यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाएँ बिना किसी डर के अपनी भूमिका निभा सकें।
महिला नेतृत्व की मिसालें
हिन्दुस्तान जिंक ने पहले भी कई ऐतिहासिक पहल की हैं –भारत की पहली महिला भूमिगत खदान प्रबंधक की नियुक्ति। देश की पहली महिला भूमिगत खदान बचाव टीम की स्थापना। इन कदमों ने साबित किया है कि अगर अवसर मिले तो महिलाएँ हर चुनौती का सामना कर सकती हैं।
भविष्य का खाका : 2030 तक 30% महिला प्रतिनिधित्व
कंपनी ने अपने प्रमुख अभियान “वुमेन ऑफ जिंक” के तहत 2030 तक कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 30% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। यह न केवल संगठनात्मक बदलाव है, बल्कि पूरे उद्योग को एक नई दिशा देने वाला कदम है।
महिलाओं की प्रेरक यात्रा
धातु और खनन उद्योग में अब वह समय आ गया है जब महिलाएँ सिर्फ़ सपोर्टिंग रोल में नहीं, बल्कि मुख्य इंजीनियर, प्रबंधक, निर्णयकर्ता और बदलाव की वाहक बन रही हैं। देबारी स्मेल्टर में नाइटशिफ्ट की यह शुरुआत आने वाली पीढ़ियों की महिलाओं के लिए उस दरवाज़े को खोलती है, जो लंबे समय तक बंद रहा।
हिन्दुस्तान जिंक का यह कदम यह संदेश देता है कि महिलाओं का कार्यस्थल या समय कोई तयशुदा दायरा नहीं है। चाहे वह खदान की गहराई हो या स्मेल्टर की रात – महिलाएं हर जगह अपनी जगह बनाने और नेतृत्व करने में सक्षम हैं।
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